रविवार, 11 अगस्त 2019

बेटियों को उड़ान भरने दो

माता-पिता को अपनी बेटियों को सदा ही प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्हें हतोत्साहित नहीं करना चाहिए। उन्हें ऊँची उड़ान भरने देनी चाहिए। वे जितना ऊँचा उड़ना चाहें, उन्हें उड़ने देना चाहिए। उनके पंख काटकर धरती पर गिराने का प्रयास कदापि नहीं करना चाहिए। जितना वे परिश्रम करेंगी, उतना ही सफलता के सोपानों पर अपने कदम रखेंगी। उनके लिए माता-पिता को रोल मॉडल बनना चाहिए।
          मैं आप सबसे यही कहना चाहती हूँ कि बेटी जिस भी क्षेत्र में अपना नाम रोशन करने चाहे, उसे वैसा करने के लिए उत्साहित करना चाहिए। आजकल किसी विशेष क्षेत्र में स्थान बनाना आवश्यक नहीं रह गया है। बेटी शिक्षा, खेल, राजनीति, ज्ञान-विज्ञान, नृत्य, संगीत, कला, खाना पकाना(Hotel managemenत) आदि किसी भी क्षेत्र में अपना नाम कमाने चाहे, तो उसे अपने मनपसन्द कार्य करने देना चाहिए।
         शिक्षा के क्षेत्र में तो सदियों से वह अपना कैरियर बनाती रही है। आजकल विभिन्न खेलों में बेटियाँ विश्व प्रतियोगिताओं में गोल्ड मेडल ला रही हैं। राजनीति में देखें तो भारत जैसे विश्व के सबसे बड़े गणतन्त्र की प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी थीं और राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल बनीं। इसके अतिरिक्त विधान सभाओं और संसद
में अनेक महिलाएँ है। कितने प्रदेशों की मुख्यमन्त्री व राज्यपाल के पद को महिलाएँ सुशोभित कर रही हैं। भारत के बाहर विदेशों में वे उच्चायोग में राजदूत का पद भी सम्हाल रही हैं।
          चाहे फ़िल्म जगत हो या पत्रकारिता का क्षेत्र हो वे सर्वत्र अपना लोहा मानव रही हैं। नृत्य और संगीत के क्षेत्र में टी.वी. माता-पिता को अपनी बेटियों को सदा ही प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्हें हतोत्साहित नहीं करना चाहिए। उन्हें ऊँची उड़ान भरने देनी चाहिए। वे जितना ऊँचा उड़ना चाहें, उन्हें उड़ने देना चाहिए। उनके पंख काटकर धरती पर गिराने का प्रयास कदापि नहीं करना चाहिए। जितना वे परिश्रम करेंगी, उतनी सफलता के सोपानों पर अपने कदम रखेंगी। उनके लिए माता-पिता को रोल मॉडल बनना चाहिए।
          चाहे फ़िल्म जगत हो या पत्रकारिता का क्षेत्र हो वे सर्वत्र अपना लोहा मानव रही हैं। नृत्य और संगीत के क्षेत्र में टी.वी. पर  रिएल्टी शो में भी भाग लेकर वाहवाही लूट रही हैं। ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में भी वे अपना परचम लहरा रही है। टी.वी. पर होने वाले रिएल्टी शो में भाग भी लेकर वे वाहवाही लूट रही हैं। ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में भी वे अपना परचम लहरा रही है। कला के क्षेत्र में वे अपने देश और विदेश में प्रदर्शनियाँ लगाकर अपने झण्डे गाड़ रही हैं। आकाश से समुद्र तक उसकी पैठ सुविधापूर्वक हो रही है।        
          कहने का तात्पर्य यह है कि किसी भी क्षेत्र की चर्चा करें, तो योग्य बेटियों के योगदान को विस्मृत नहीं किया जा सकता। वे हर मायने में लड़कों को पछाड़कर या पीछे छोड़कर बिना पीछे देखे आगे की ओर कदम बढ़ाती जा रही हैं। वे निरन्तर उन्नति के पथ पर अग्रसर होती जा रही हैं। उच्च पदों पर आसीन होती वे आज आर्थिक मोर्चे पर भी अपना कीर्तिमान स्थापित करती जा रही है।
          इस आलेख को लिखने का उद्देश्य मात्र यही है कि आज बेटियों के लिए कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं रह गया है। सर्वत्र उनका नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जा रहा है। ऐसी बेटियों पर उनके माता-पिता को तो गर्व होता ही है, देश का मस्तक भी ऊँचा हो जाता है। धन्य है वे माता-पिता जिन्होंने ऐसी बेटियों को जन्म दिया है। जिनके प्रोत्साहन से आज बेटियाँ आकाश छू रही हैं। उन पर देश और समाज को उन पर गर्व है।
चन्द्र प्रभा सूद
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