मंगलवार, 6 अगस्त 2019

बेटियों की पूजा

बेटी का जन्म जब होता है, तो लोग 'लक्ष्मी घर में आई है' कहकर घर के सदस्यों को बधाई देते हैं। बहुत से पिता अपने घर में बेटी की कामना करते हैं। हमारी भारतीय संस्कृति में ही ऐसा होता है कि लड़की या कन्या को देवी मानकर उसकी पूजा करने का विधान है। भारतीय लोग लक्ष्मी, दुर्गा और सरस्वती आदि देवियों के रूप में बेटियों की उपासना करते हैं। उनके साथ प्रेम का व्यवहार करते है।
            प्रतिवर्ष हर छह मास के पश्चात आने वाले नवरात्रों में कन्याओं को पूजा जाता है और भोज कराया जाता है। आठवें दिन विशेष पूजा होती है। घर में कन्याओं को बुलाकर उनके चरण धोकर, उनकी पूजा करके लोग अपनी श्रद्धा से उन्हें धन व वस्त्र उपहार में देते हैं और भोजन खिलाते हैं। गुजरात में शारदीय नवरात्रों के नौ दिनों में विशेष रूप से रात के समय उत्सव मनाया जाता है। इसमें लड़कियाँ बढ़-चढ़कर भाग लेती है।
          किसी भी शुभ कार्य को करने से पूर्व कन्याओं की पूजा करके, उन्हें उपहार दिया जाता है। किसी धार्मिक अनुष्ठान को विघ्नरहित सम्पन्न करने के लिए भी विधानपूर्वक कन्यापूजन किया जाता है। इससे भी बढ़कर धार्मिक यात्रा से लौटकर आने पर भी विधिवत कन्यापूजन किया जाता है। ताकि जिस उद्देश्य से उन्होंने धर्मिक अनुष्ठान अथवा उनकी धार्मिक यात्रा की है, वह फलदायी हो। ईश्वर अपने भक्त पर प्रसन्न हो जाए और उसकी मनोकामना पूर्ण कर दे।
          कहने का तात्पर्य यह है कि बेटियों को इतना मान-सम्मान देने की परम्परा हमारे देश भारत में ही है। इसीलिए हमारे शास्त्रों के अनुसार उसे पैर से छूना वर्जित माना गया है। हमारे बड़े-बुजुर्गों का पैर यदि गलती से भी किसी बेटी को छू जाए, तो माथे पर हाथ रखकर, ईश्वर से क्षमा याचना किया करते थे। इसी कड़ी में उसके लिए अपमान जनक शब्दों का प्रयोग भी नहीं करने के लिए कहा जाता है।
          बेटियाँ बहुत कोमल हृदय होती हैं। उनकी परवरिश फूलों की तरह की जाती है। माता-पिता का कठोर व्यवहार उस नाजुक-सी बिटिया का हृदय छलनी कर देता है। इसलिए अपनी बेटी के साथ माता-पिता को प्रेम व कोमलता से पेश आना चाहिए। उसे सदा यह अनुभव करवाना चाहिए कि वह अपने माता-पिता पर भार नहीं ह, अपितु उनके कलेजे का टुकड़ा है।
          बेटी को यह अहसास भी करना आवश्यक है कि वह घर का एक महत्त्वपूर्ण सदस्य है, जैसे अन्य सदस्य हैं। उसके बिना घर बहुत सूना हो जाता है। घर के सभी सदस्य उसके बिना उदास हो जाते हैं। उसे सदा प्रोत्साहित करते रहना चाहिए कि उनकी प्यारी बेटी किसी से भी कम नहीं है। उसमें इतनी सामर्थ्य है कि वह किसी तरह का कोई भी कार्य सफलतापूर्वक कर सकती है।
           बड़े दुर्भाग्य की बात है कि कुछ दुष्ट प्रकृति के लोग, इन बेटियों पर कुदृष्टि डालते हैं। उनके साथ कुकर्म तक करने से बाज नहीं आते। ऐसे लोगों को कठोर से कठोर दण्ड देना चाहिए, ताकि कोई भी सिरफिरा दुर्जन इस प्रकार के दुष्कर्म करने का दुस्साहस न कर सके। हालॉंकि इन लोगों के लिए कानून में सजा का प्रावधान किया है। उन्हें शीघ्र ही सारे जीवन के लिए सलाखों के पीछे फेंक देना चाहिए।
         माता-पिता को चाहिए कि वे अपनी बेटी को इन दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों के बारे में बताकर सावधान रहने के उपाय बताएँ। हो सके तो उन्हें सुरक्षित रहने के लिए कोई ट्रेंनिग भी करवा दें। इस प्रकार बेटी सुरक्षित रहेगी, तो माता-पिता भी निश्चिन्त हो सकते हैं। अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलाकर उसे अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए प्रोत्साहित करके अपने दायित्व का निर्वहण करना चाहिए।
चन्द्र प्रभा सूद
Email : cprabas59@gmail.com
Blog : http//prabhavmanthan.blogpost.com/2015/5blogpost_29html
Twitter : http//tco/86whejp

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें