बहुत से पति-पत्नी आपसी सम्बन्धों से इतने निराश हो जाते हैं कि एक-दूसरे की जासूसी जैसा घृणित कार्य करने लगते हैं। वे भूल जाते हैं कि अपने जीवन साथी की जासूसी करवाकर वे अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं। इसका खामियाजा उन्हें भविष्य में भुगतना पड़ता है। एक-दूसरे पर कीचड़ उछालकर वे दोनों अपना सुख-चैन खो बैठते हैं।
सन्देह का कीड़ा धीरे-धीरे जीवन को खोखला कर देता है। तब जीवन बेमायने प्रतीत होने लगता है। कहते हैं शक का इलाज तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं था जो हर प्रकार का इलाज करने में सिद्धहस्त थे।
एक-दूसरे पर अविश्वास मानसिक शान्ति भंग कर देता है। हर समय इन्सान टेन्शन में रहता है। डरा-सहमा वह अनमना हो जाता है। तब उसे खाना-ओढ़ना कुछ भी नहीं भाता। हर समय मायूस रहता हुआ वह व्यक्ति नकारात्मक विचारों का शिकार हो जाता है।
कभी-कभी अनावश्यक ही विचारों का पिष्टपेषण करते रहने से कुछ लोग मानसिक अवसाद या डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। कभी उससे भी बढ़कर मानसिक रोगी हो जाते हैं। उन्हें यही लगने लगता है कि सारी दुनिया बेवफा है। वे किसी पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए। हर समय उन्हें यही लगता है कि हर कोई आकर धोखा दे जाएगा।
कहीं-कहीं तो यह सच्चाई हो सकती है पर हर केस में यह सम्भव नहीं होता। इस तरह करने के लिए जासूस मनमानी रकम वसूलते हैं। जो पति-पत्नी सचमुच साथी से द्रोह कर रहे होते हैं उनमें लानत-मलानत तो होती ही है और फिर उन सबूतों को आधार बनाकर तलाक ले लिया जाता है। इससे भी तो उनके दुखों का अन्त नहीं हो सकता।
इसके विपरीत जहाँ व्यर्थ शक किया गया होता है, वहाँ दूसरे साथी को जब इस वास्तविकता का पता चलता है तो वहाँ तू तू मैं मैं होने लगती है। फिर गलत काम करने वाले साथी पर से दूसरे साथी का विश्वास उठ जाता है। यहाँ भी घर मे नित्य प्रति झगड़े होने लगते हैं और जिसका अन्त भी अलगाव ही होता है।
यह भी सुना है कि कुछ व्यवसायी अपने पार्टनर की जासूसी करवाते हैं। शादी तय करते समय भी कई लोग लड़के या लड़की की जासूसी करवा लेते हैं। यदा कदा प्रेमी-प्रेमिका भी परस्पर अविश्वास के कारण दूसरे की जासूसी करवाते हैं। राजनैतिक स्तर पर तो यह बहुत सामान्य-सी बात होती है। राजनेताओं द्वारा अपने विरोधियों की जासूसी करवाई जाती है. एक देश दूसरे पड़ौसी देश की जासूसी अपनी एजेन्सियों के द्वारा सुरक्षा कारणों से करवाते हैं।
अब हम पति-पत्नी में इस अविश्वास के कारण की चर्चा करते हैं। जिस घर में पति और पत्नी अपने मोबाइल फोन को दूसरे को छूने नहीं देते अथवा उसे हाथ लगाने पर झगड़ा करते हैं तो वहाँ विश्वासघात होने की पूरी सम्भावना बनी रहती है।
वे दोनों छुप-छुपकर साथी का फोन देखते हैं कि कहीं कुछ गलत तो नहीं हो रहा। उनका साथी दिनभर में किससे फोन करता है अथवा चैट करता है। कहीं गलत लोगों की संगति तो नहीं कर रहा।
यदि इन्सान कोई गलत काम नहीं करता या साथी से विश्वासघात नहीं कर रहा तो उसे डरने की कोई आवश्यकता नहीं होती। ये गजट तो ऐसे होने चाहिए कि पति-पत्नी तो क्या बच्चे भी उसका प्रयोग कर सकें। जो लोग ऐसा करते हैं निश्चित ही उनके घर में प्यार-मुहब्बत बने रहते हैं। वहाँ कोई झगड़ा नहीं होता।
पति-पत्नी का सम्बन्ध खून का नहीं होता पर भावनात्मक होता है। इस एक रिश्ते के लिए इन्सान दुनिया के सारे रिश्ते-नातों को होम करने के लिए तत्पर रहता है। फिर आखिर ऐसा क्या हो जाता है कि उसके चरित्र में इस हद तक गिरावट आ जाती है।
दोनों को आपसी सामञ्जस्य बनाए रखना चाहिए। अनावश्यक ही एक-दूसरे पर सन्देह करके बाहरी लोगों अथवा किराए के जासूसों को अपने जीवन में झाँकने देने की गलती कभी नहीं करनी चाहिए। यदि साथी की कोई बात नापसन्द हो तो मिल-बैठकर बातचीत करके समस्या का निदान करना चाहिए। यदि दूसरा साथी किसी भी शर्त पर अपनी गलती सुधारने को तैयार न हो तो अपना रास्ता अलग किया जा सकता है। अन्यथा यथासम्भव अपने साथी के प्रति ईमानदारी और निष्ठापूर्वक व्यवहार करना चाहिए। इस प्रकार करने से अपना, घर, परिवार और बच्चों सबका मान बना रहता है।
चन्द्र प्रभा सूद
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शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2016
जीवन साथी की जासूसी
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