मनुष्य के जीवन में चाहे कितने भी दुख आ जाएँ या परेशानियाँ आएँ, उसे इनसे हार मानकर कभी घबराना नहीं चाहिए। सीना तानकर और डटकर उनका सामना करना चाहिए। यदि मनुष्य उनसे भयभीत हो जाएगा, तो सारा समय बस रोता-कलपता रहेगा। जब मनुष्य उनसे दो-दो हाथ करने का संकल्प ले लेता है, तब उन्हें सहन कर पाना अपेक्षाकृत बहुत अधिक सरल हो जाता है।
जो व्यक्ति मौसम की तरह अपने मित्रों को बदलता है, वह कभी विश्वसनीय नहीं हो सकता। इसलिए ऐसे मनुष्य को मित्र नहीं बनाना चाहिए, बल्कि उससे दूरी बनाकर रहना चाहिए। यदि गलती से ऐसे मनुष्य को अपना मित्र बना लिया जाए, तो ऐसा आस्तीन का साँप डंक मारने से बाज नहीं आता। इस स्थिति में पश्चाताप करने के अतिरिक्त उसके पास और कोई चारा नहीं बचता। इसलिए सदा ही सावधान रहना चाहिए।
मनुष्य को बिन बुलाए किसी पार्टी आदि स्थानों पर नहीं जाना चाहिए। इसी तरह मनुष्य को अपने उन बन्धु-बान्धवों के घर जाने से और सम्पर्क करने से सदा परहेज करना चाहिए, जहाँ उसका सम्मान नहीं होता हो। जहाँ मनुष्य को तिरस्कार मिले या अपमानित होने की आशंका हो, वहाँ से तुरन्त ही उल्टे पाँव वापिस लौट आना चाहिए। ताकि उसका आत्मसम्मान बना रहे।
मनुष्य का जो साथी सत्य बोलने पर रूठ जाए, उसे कभी मनाना नहीं चाहिए। दूसरों से सत्य सुनना हर व्यक्ति चाहता है चाहे वह स्वयं कभी सत्य न बोलता हो। इसी प्रकार वह दूसरे लोगों से सत्य का व्यवहार करने की कामना करता है, परन्तु स्वयं से नहीं। ऐसे लोग समाज की नजरों से शीघ्र उतर जाते हैं। उनके नाम पर झूठा होने का ठप्पा लग जाता है। उस स्थिति में कोई उनसे सम्बन्ध नहीं रखना चाहता। फिर लोग उनको तिरस्कार भरी नजरों से देखने लगते हैं।
मनुष्य को ऐसे व्यक्ति से किनारा कर लेना चाहिए जो बार-बार समझाने पर भी सुनने के लिए या मानने के लिए तैयार नहीं होता। ऐसे चिकने घड़े जैसे मनुष्य को पुनः पुनः समझाकर अपनी शक्ति को व्यर्थ व्यय नही करना चाहिए, बल्कि उससे किनारा कर लेने में ही समझदारी होती है। न ऐसे व्यक्ति के साथ अपना माथा फोड़ा जाएगा और न अपने मन को अनावश्यक कष्ट ही होगा।
एक महत्त्वपूर्ण बात यह भी है कि मनुष्य को अपने स्वास्थ्य के लिए बहुत ही सावधानी बरतनी चाहिए। उसे सदाअपने आहार-विहार का ध्यान रखना चाहिए। उसे सुपाच्य और पौष्टिक भोजन ही खाना चाहिए। जो खाद्यन्न उसे नहीं पचते उनको खाने से परहेज करना चाहिए। जब तक वह स्वास्थ्य के नियमों का पालन नही करेगा, उसके सिर पर रोगी हो जाने का खतरा मंडराता रहेगा।
मनुष्य को इस बत पर भी विचार कर लेना चाहिए कि वह किन लोगों के साथ अपना सम्बन्ध बनाना चाहता है। एक बार जो व्यक्ति नजरों से गिर जाए, तो उसे ऊपर उठाने के लिए प्रयास करना चाहिए। यदि वह स्वयं ही गड्ढे में गिरना चाहे, तो उसके लिए कोई कुछ नहीं कर सकता। ऐसे व्यक्ति से शीघ्र ही किनारा कर लेना चाहिए। ऐसा व्यक्ति मनुष्य के जीवन के लिए भार बन जाता है।
ये कुछ सुझाव हैं, जिनको अपनाकर मनुष्य कभी मायूस नहीं हो सकता। यह जीवन मनुष्य को बहुत ही शुभकर्मों को करने के बाद मिलता है। उसे कभी भी यूँ ही अनावश्यक उठापटक करते हुए नहीं गाँवना चाहिए। अपने जीवनकाल में मनुष्य को सदा चौकन्ना रहना चाहिए। जहाँ तक हो सके सत्पुरुषों को ही अपना मीत बनाना चाहिए। ताकि मनुष्य का चहुँमुखी विकास हो सके। जीवन में मनुष्य सफलता प्राप्ति के लिए ये कुछ सूत्र हैं।
चन्द्र प्रभा सूद
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शुक्रवार, 13 सितंबर 2019
जीवन के लिए सूत्र
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