दैवी शक्तियाँ हर मनुष्य की सहायता करती रहती हैं, परन्तु सभी मनुष्य उस दैवी शक्ति को पहचान नहीं सकते। उसे जानने और समझने के लिए मनुष्य को भौतिक नहीं ज्ञान चक्षुओं की आवश्यकता होती है। ईश्वर की आराधना श्रद्धा और सच्ची भावना से करनी होती है। मनुष्य उस ईश्वर की पूजा-अर्चना में जितना अधिक लीन होता जाता है उतनी ही उसकी शक्तियाँ बढ़ती रहती हैं। ऐसे व्यक्ति को ही पता चलता है कि दैवी शक्ति उसके आसपास ही है, और वह सुरक्षित है।
संसार में बहुत से लोगों को दैवीय सहायता मिलती है। अपने शुभकर्मों के अनुसार किसी को अधिक सहायता मिलती है, तो किसी को कम। इसी तरह कुछ लोगों के माध्यम से दैवीय शक्तियाँ कुछ विशेष कार्य करवा लेती हैं। अब प्रश्न यह उठता है कि साधारण व्यक्ति कैसे पहचान सकता है कि दैवीय शक्तियाँ उसकी मदद कर रही हैं? उसकी पूजा-अर्चना का कोई असर भी हो रहा है?
दैवीय शक्ति स्वयं प्रकट होकर इसका बोध नहीं करवाती, बल्कि संकेतों के माध्यम से इसकी पहचान कर सकते हैं। सभी जानते हैं कि जो व्यक्ति दूसरों के दुख को समझता है, बुराइयों से दूर रहता है, नकारात्मक विचार अपने मन में नहीं आने देता और नियमित अपने इष्ट की आराधना करता हुआ परोपकार के कार्य में लगा हुआ है, तो निश्चित ही दैवीय शक्तियाँ उसकी सहायता करती हैं। इस बात को सदा ही स्मरण रखना चाहिए कि मनुष्य चौबीसों घण्टे ईश्वर के सी.सी.टी.वी. कैमरे की सीमा में रहता है।
मनीषी कहते हैं कि प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में यानी रात के तीन से पाँच के बीच अचानक ही खुल जाती हैं, तो निश्चित ही दैवीय शक्तियाँ साथ हैं। यदि बचपन से लेकर युवावस्था तक मनुष्य इस समय जागता रहा है, तो दैवीय शक्तियाँ उस व्यक्ति के माध्यम से कुछ करवाना चाहती हैं। वे उस मनुष्य को पुण्यात्मा समझकर यह संकेत दे रही हैं कि अब उठ जाओ, इस जीवन को सोने में व्यर्थ न गँवाओ। इस अमृतवेला में ही उठकर साधक साधना करते हैं।
यदि स्वप्न में किसी देव स्थान में जाना हो या देवदर्शन होता है या फिर देवी, देवताओं से वार्तालाप करते हैं, स्वयं को आकाश में उड़ते देखते हैं, तो उस मनुष्य पर दैवीय शक्तियों की विशेष कृपा हैं। स्वप्न में हो या वैसे ही भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पूर्वाभास भी मनुष्य को दैव कृपा से होता है। यदि पति-पत्नी, सन्तान और परिजन आज्ञाकरी हों और परस्पर सामञ्जस्य से रहते हैं, तो प्रभु उस मनुष्य पर दयालु है।
जीवन में अचानक ही लाभ प्राप्त होना, बाधा रहित कार्य सम्पन्न होना और मनचाहा सरलता से मिल जाना भी किसी दैवी चमत्कार से कम नहीं होता। रात्रि में गहरी नींद में सोते हुए यदि कोई आवाज दे और मनुष्य अचानक उठकर बैठ जाए, कभी ऐसा प्रतीत हो कि किसी ने शरीर पर थपथपाया है, तो यह सब भी दैवी शक्ति का ही कार्य होता है। वह इसी प्रकार अपनी उपस्थिति का अहसास मनुष्य को करवाती रहती है।
घर में बैठे हुए बिना किसी कारण के अपने आसपास सुगन्ध का अहसास हो अथवा पूजा करते समय अचानक सुहानी हवा का झोंका या प्रकाश पुञ्ज दिखने से शरीर में सिहरन दौडऩे लगे या धरती पर रहते हुए आसपास बादल या ठण्डी हवा का आनन्द आए, तो अलौकिक शकि पास ही है। ऐसा अधिक पूजा-अर्चना करने वाले व्यक्ति के साथ होता है।
कभी-कभी अचानक ही तीव्र प्रकाश दिखाई दे या सबके बीच में बैठे हुए भी केवल अपने कानों में सहसा मधुर संगीत या मन्त्रपाठ या सीटी सुनाई दे, तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होती। निरन्तर प्रभु का स्मरण करने वाले दैवी शक्तियों के बिल्कुल करीब रहते हैं।
यदि ईश्वरीय शक्ति का अनुभव करने की मन में लालसा हो, तो अनवरत ईश की आराधना में मन लगाना आरम्भ कर देना चाहिए। इन अनुभवों का लाभ मनुष्य तभी ले सकता है, जब वह उस मालिक का सान्निध्य करे। तब वह परमेश्वर की अनुकम्पा प्राप्त कर सकता है। तभी उसका इहलोक और परलोक में उद्धार हो सकता है।
चन्द्र प्रभा सूद
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शनिवार, 28 सितंबर 2019
दैवी शक्ति को पहचानो
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