हमारा घर हमारे लिए सुरक्षा कवच होता है। यहाँ आकर हम दिनभर की थकान से मुक्त होकर तरोताजा हो जाते हैं। घर में पलक पाँवड़े बिछाए हमारे अपने दिन-रात हमारी प्रतीक्षा में बैठे रहते हैं। उन्हें हमारी चिन्ता रहती है। इसलिए वे हमारी खोज-खबर रखना चाहते हैं। अपनों का साथ हर मनुष्य के लिए सदा ही बहुत आनन्ददायक होता है।
वे लोग बहुत दुर्भाग्यशाली होते हैं जिन्हें कोई भी नहीं पूछता। कोई भी उनकी प्रतीक्षा में बैठा नहीं होता। वे तरसते हैं कि कोई उनका हाल-चाल पूछे, कोई उनकी देखभाल करे, उनसे जब गलती हो जाए तब उन्हें जी भर कर डाँटे-फटकारे। उनके प्रति अपनेपन का भाव रखे।
यह सब अपना-अपना भाग्य होता है कि किसी की सभी इच्छाएँ स्वतः ही पूर्ण हो जाती हैं और कोई आजन्म तरसता रह जाता है कि कोई तो होता जो उसका अपना कहलाता।
इनके विपरीत कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनकी परवाह करने वाले होते है और वे उससे परेशान होकर चिढ़ जाते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि मानो उनकी आजादी पर प्रहार हो रहा है और इससे उनकी जिन्दगी नरक बनती जा रही है। वे किसी के प्यार व अपनेपन का सम्मान करना ही नहीं जानते। पता नहीं किस अहंकार के नशे में रहते हैं। फिर धीरे-धीरे उनके रूखे-रूखे व्यवहार तथा दिन-प्रतिदिन की खिचखिच से तंग आकर परिवारी जन उनकी परवाह करना छोड़ देते हैं।
एक समय ऐसा भी आता है जब वे परेशानियों में डूबे होते हैं और उन्हें किसी सहारे अथवा कन्धे की आवश्यकता होती है, तब वह उपलब्ध नहीं होता। उस समय उन्हें अहसास होता है कि जीवन में कितनी बड़ी भूल कर दी है उन्होंने। उस समय बस पश्चाताप करना ही शेष बचता है।
प्रयत्न यही करना चाहिए कि अपने घर को घर बनाया जाए, उसे ईंट-पत्थरों का मकान न बनने दिया जाए। घर के सभी सदस्य मिलकर रहें, उनमें परस्पर भाईचारा होना चाहिए।
यदि वह घर केवल मकान या बिल्डिंग ही बनकर रह जाएगा तो वहाँ रहने वाले सभी सदस्यों की संवेदनाएँ मृतप्राय हो जाएँगी। वहाँ प्राय: झगड़े होते रहते हैं। कोई किसी की बात नहीं सुनता। सभी लोग अपनी मनमानी करते रहते हैं। यह किसी घर के लिए कभी अच्छी स्थिति नहीं हो सकती।
समय रहते यदि मनुष्य चेत जाए तो वह बहुत-सी समस्याओं से छुटकारा पाने में समर्थ हो सकता है। अपनों के विषय में सोचना, उनकी चिन्ता करना किसी भी तरह से उनके मौलिक अधिकारों का हनन करना नहीं कहलाता। इसे दूसरी तरह से मानना चाहिए। पूरा शहर बसे पर कोई यह सोचने का कष्ट नहीं करता कि हम कैसे हैं? हम स्वस्थ हैं या नहीं, हम भूखे सो रहे हैं या पेटभर खाना खा लिया है। कोई अपना होगा तो हमारी परेशानी में दस बार आकर हमें पूछेगा। हमारी परेशानियों को बाँटने की कोशिश करेगा ताकि हम कष्ट से मुक्ति पा सकें।
सभी सुधी मित्र मेरी इस बात से सहमत होंगे कि घर में रहने वालों में सदा परस्पर प्यार होना चाहिए, एक-दूसरे की सुख-दुख में परवाह करने वाले होने चाहिएँ। घर के सभी सदस्य आपसी सामञ्जस्य से रहें। छोटे बड़ों का सम्मान करें और छतनार वृक्ष की भाँति बड़ों की छत्रछाया छोटों को मिलती रहे। बिना हील हुज्जत के एक-दूसरे की बातों को समझें और मान लें।
ऐसा ही घर स्वर्ग के समान सुन्दर व सुखदायी होता है जिसकी शीतल छाया अपने पास से गुजरने वालों को भी ठंडक देती है। ऐसे परिवार के लोग सबकी प्रशंसा का कारण बनते हैं। वहाँ यदि किसी कारणवश सुविधाओं की कमी हो तो भी किसी को कानोंकान भनक तक नहीं लगती। सुख हो या दुख हर परिस्थिति में वे सभी एकसमान रहकर समय के गुजर जाने की प्रतीक्षा करते हैं।
ईश्वर से यह प्रार्थना है कि ऐसा घर-परिवार रूपी सुरक्षा कवच सभी को दे जिसमें रहते हुए हर मनुष्य सुख, शान्ति व समृद्धि का उपभोग करे।
चन्द्र प्रभा सूद
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सोमवार, 30 सितंबर 2019
घर सुरक्षा कवच
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