रविवार, 31 जुलाई 2016

जीवन फूलों की सेज नहीं

यह जीवन फूलों की  सेज नहीं
जहाँ बैठकर आराम फरमाना है

मौज मना लो औ मस्ती कर लो
जीवन में आनन्द मनाते जाना है

पल-पल खुशियों की चाहत बस
कुछ और नहीं  हमें अब  पाना है

हम यह सब जाना चाहते हैं भूल
जो हमारे  सयानों ने समझाना है

पग-पग पर यहाँ  बिछे हुए  काँटे
जिन पर  चलते हुए बढ़ जाना है

हो जाएँगे पैर लहूलुहान तो क्या
मंजिल तक दौड़ लगाते जाना है

चाहे लक्ष्य मिल जाए इसी क्षण
या बरसों उसे  खोजते  जाना है

तब तक नहीं तुम्हें होश गँवाना
और न ही हारकर बैठ जाना है

गगनभेदी बाणों से  निज लक्ष्य
सन्धान करते  हुए बढ़ जाना है

फिर एकटक  देखो योगी  जैसे
उसी पर नजर  गढ़ाते  जाना है

निज यत्नों को कसते हुए फिर
एक दिन यूँ सफल  हो जाना है

तब खुशियों के उमगते ये पल
सब के साथ ही बाँटते जाना है।
चन्द्र प्रभा सूद
Email : cprabas59@gmail.com
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