हम सभी अपने व्यापर-व्यवसाय में अथवा जमा पूँजी यानि धन-संपत्ति का ब्यौरा रखते हैं। हर वर्ष की समाप्ति पर उसकी बैलेंसशीट तैयार करवाते हैं। उसका उद्देश्य यही होता है कि पूरा वर्ष हमने क्या कमाया और क्या खर्च किया। फिर उसी बची हुई राशि को हम आगामी वर्ष के लिए अपनी ओपनिंग स्टॉक बनाकर भविष्य के लिए योजनाएँ बनाते हैं।
कुछ दिन पूर्व वाट्सअप पर जिन्दगी की बैलेंसशीट को किसी ने सूत्र रूप में लिखा था। आज हम उसी का विश्लेषण करते हैं।
जीवन का ओपनिंगस्टाक जन्म है। मनुष्य को उसके पूर्वजन्म कृत शुभाशुभ कर्मों के फल को भोगने के लिए भाग्य के रूप में उसके साथ ईश्वर भेजता है।
मनुष्य के क्रेडिट या जमा क्या होता है? उसके खाते से क्या कम होता है अथवा डेबिट या घटाया जाता है?
इन प्रश्नों के उत्तर में यही कहा जा सकता है कि हमारे शुभाशुभकर्मों की राशि हमारे खाते में जमा होती है जिनका फल हम सुख-दुःख के रूप में भोगते हैं। भोगने के पश्चात वह राशि हमारे खाते से घटा दी जाती है।
इस जीव की मृत्यु उसका क्लोज़िंग स्टॉक होता है। यानि नया जन्म लेने तक वह अब वह कोई कमाई नहीं कर सकेगा। मनुष्य के सुविचार अथवा कुविचार उसका एसेट होते हैं। उन्हीं के अनुसार जीवन में उसे सफलता या असफलता मिलती है। उसके मित्र बनते हैं और समाज में उसका स्थान बनता है। यही सब विचार उसकी देनदारी भी बनते हैं।
मनुष्य का लाभ प्रसन्नता उसकी होती है और दुःख उसकी हानि होते हैं। इसी तरह वह जीवन में इन सबसे बच नहीं पता। उसे ये भोगने ही पड़ते हैं, उनसे छुटकारा किसी भी तरह सम्भव नहीं होता। मनुष्य की आत्मा उसकी गुडविल होती है। उसकी आत्मा जो परमात्मा का अंश है उसे अपने शुद्ध व पवित्र विचारों से सात्विक बनाए रखना उसका कर्तव्य है। जहाँ उसमें कलुषता के भाव आने लगते हैं वहीँ उसकी आध्यात्मिक उन्नति बाधित होने लगती है।
मनुष्य का हृदय ही उसकी अचल सम्पत्ति होती है। यदि इसमें सद् विचार, सरलता, सहजता आदि गुणों का समावेश होता रहता है तो मनुष्य सहृदय बन जाता है अन्यथा क्रूरता उसे दबोच लेती है। इसी से उसके संस्कारों और महानता का ज्ञान होता है।
उसके कर्तव्य उसकी आऊट स्टेन्डिंग होते हैं जिनका उसे सही तरीके से निर्वहण करना होता है। उसकी मित्रता उसका गुप्त समझौता होती है। इससे पता चल जाता है की मनुष्य कैसा होगा। उसके आचार-व्यवहार की झलक उसके मित्रों से मिल जाती है। संगति का प्रभाव मनुष्य पर बहुत अधिक होता है।
मनुष्य का चरित्र उसकी पूँजी होती है। यही उसकी महानता की कसौटी होता है। यह सभी धनों से मूल्यवान होता है। इसकी रक्षा यत्नपूर्वक करनी चाहिए।
उसका ज्ञान इनवेस्टमेंट होता है जो जन्म-जन्मान्तर तक उसका साथ देता है। हर जन्म में जो भी ज्ञान वह अर्जित करता है वह पहले ज्ञान के साथ जुड़कर वृद्धि को प्राप्त हिट रहता है।
सहनशीलता उसका बैंक बैलेन्स होता है और उसके विचार करंट अकाउन्ट होते हैं। इसी प्रकार उसका अपना व्यवहार सामान्य प्रविष्टि होती है। कहने का तात्पर्य यह है कि सहनशील व्यक्ति को लोग चाहे मूर्ख कह सकते हैं परन्तु उससे अधिक समझदार व्यक्ति कोई ओर नहीं हो सकता।
मनुष्य के विचारों की परिपक्वता ही उसकी महानता का प्रतीक होती है। वह अपने व्यव्हार से सबको अपना बना लेता है। ऐसे लोगों के शत्रु बहुत काम होते हैं।
मनुष्य के मन में अवसाद का आना शुभ लक्षण नहीं होता। अतः अपनी बैलेंसशीट को सदा अच्छा बनाने का प्रयास करना चाहिए। जहाँ तक हो सके उसमें झूठी एंट्रियाँ नहीं होनी चाहिएँ। यह हमेशा याद रखना चाहिए कि ईश्वर हमारी इस बैलेन्स शीट का ऑडीटर है। इस दुनिया के ऑडीटर तो हेराफेरी करके गलत बैलेंसशीट बना सकते हैं पर वह मालिक ऐसा नहीं करेगा। उसे असत्य से घृणा है। जहाँ भी हम चूक करने का यत्न करेंगे वहीँ वह हमारी गलती पकड़ लेगा। वह बशूट कड़ी सजा देता है, उसकी सजा से कोई नहीं बच सकता।
चन्द्र प्रभा सूद
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शुक्रवार, 29 जुलाई 2016
जीवन की बैलेंसशीट
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