हमारे अंतस में विचारों का एक घना जंगल है। वहाँ न तो पूर्णरूप से अंधेरा है और न ही उजाला। यहाँ पर प्रकाश घने पेड़ों से छन-छनकर आता है। इसलिए हमें विचारों की उठापटक झिंझोड़ती रहती है। अंधेरे विचारों को हम नकारात्मक कह सकते हैं ये विचार हमें सबसे दूर करने की प्रक्रिया में रहते हैं। उजले विचार सकारात्मक होते हैं जो हमें सबसे जोड़कर रखते हैं और हम एक इकाई के रूप में रहना चाहते हैं।
इस जंगल में झाड़-झांखड़ व कंटीली झाड़ियों जैसे विचार हैं जो हमारे जीवन में उथल-पुथल मचाते रहते हैं। ऐसे रूखे व कठोर विचार भी हैं जो सदा हमें कचोटते रहते हैं।अनायास ही मन में उठ आए ये विचार हमारे सरल मार्ग को कठिन बनाकर हमारे लिए रुकावटें उत्पन्न करते हैं। इन्हें उखाड़ फैंकने में ही भलाई होती है अन्यथा ये हमारे लिए कष्टदायी हो जाते हैं।
यहाँ छायादार घने और फलवाले पेड़ जैसे विचार भी हैं जो सभी घर-परिवार जनों व बन्धु-बान्धवों को शीतल छाया एवं सफलता देते हैं। ऐसे सुविचारी लोगों के संपर्क में आने वाले सभी धन्य हो जाते हैं। छतनार वृक्ष की भाँति ये विचारशील परोपकारी लोग समाज के दिग्दर्शक बनते हैं। ये देश और समाज के लिए ईश्वर के वरदान की तरह होते हैं।
खूशबू फैलाने वाले पेड़ जैसे विचार हैं जो अपनी सुगन्ध से सभी दिशाओं को महका देते हैं जिस तरफ निकल जाते हैं इनकी खुशबू उनसे पहले पहुँच जाती है। जन साधारण के प्रिय बन जाने वाले ये सम्माननीय सभी को खुशियाँ व सुगन्ध से सराबोर कर देते हैं।
कौवों की कांव-कांव जैसे कर्कश या कठोर विचारों का होना हमारे लिए कभी अच्छा नहीं होता किसी के घर की मुंडेर पर कांव-कांव करने वाले कौवे को लोग पसंद नहीं करते बल्कि कंकर मारकर भगा उड़ा देते हैं।
उसी प्रकार ऐसे लोगों की कोई भी परवाह नहीं करता और न ही उनका साथ देता है।
हमारे विचारों में शेर की-सी हिंस्र प्रवृति भी विद्यमान रहती है। इसके कारण मन में क्रूरतापूर्ण विचार आते हैं। इसका ही परिणाम विध्वंस रूप में सबके समक्ष आता है। ऐसे विचार वाले समाज के शत्रु कहलाते हैं, सबसे कटकर रहते हैं व सजा पाते हैं।
इन सबके अतिरिक्त पक्षियों के समान कलरव करते विचार मोहिनी शक्ति रखते हैं। सभी लोग इनके मधुर व्यवहार से प्रसन्न रहते हैं इनका संसर्ग करने के लिए लालायित रहते हैं।
नदी झरनों की कलकल वाले विचार शांत, ठहराव वाले व दूसरों के लिए पूर्णतः समर्पित रहते हैं। कभी नदी की तरह तूफान का सामना करते हैं पर प्रायः अपना सर्वस्व समाज के लिए बलिदान करने में नहीं हिचकिचाते।
समुद्र-सी गहराई वाले विचारों का भी उदय होता है। ये अपने में असीम शक्तियाँ समेटे गहन गम्भीर होते हैं। इनकी थाह पाना संभव नहीं होता। ऊपर से कड़वे प्रतीत होने वाले ये विचारवान समाज के हीरे हैं। इनकी चमक के सामने सब कुछ फीका रह जाता है।
विचारों के मकड़जाल में घिरे हुए हम हमेशा उलझे रहते हैं। जितना हम उससे बाहर निकलने के लिए हाथ-पाँव फैलाते हैं उतना ही गहरे फंस जाते हैं। इसलिए हमें अपने विचारों को उचित मार्गदर्शन देते हुए ईश्वर से सद् बुद्धि की प्रार्थना बारंबार करनी चाहिए।
शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015
विचारों का जंगल
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