मैं सपनों की सौदागर स्वप्न बेचने आई हूँ
कौन खरीदेगा मनभावन ख्वाब मैं लाई हूँ
जैसा सपना चाहो वैसा दाम चुकाओ भाई
सपनों की सौदागर अब नगर तुम्हारे आई
ये नया कारोबार शुरु किया है सब आओ
देखो यह सुन्दर शोरूम सजाया है आओ
आकर्षक शोकेस में मनभावन ख्वाब भाई
इन्द्रधनुषी सपने ले कर देखो मैं अब आई
जल्दी आओ जल्दी पाओ शर्त ये समझाओ
भाई आओ बहना आओ एक लाइन लगाओ
चुन्नू मुन्नू रीता गीता साथ सभी को लाओ
जल्दी कर लो ख्वाब पाने से चूक न जाओ
राजा-रानी, नेता-अभिनेता, अमीर-गरीब के
पति-पत्नी, भाई-बहना, युवा और बच्चों के
साधु-फकीर, गोरे-काले, ऊँचे और नीचों के
बूढ़े-लाचार माता-पिता एकाकी सब जन के
किसान-मजदूर, व्यापारी-अफसर जग के
बिस्तर पर लेटे रोगी और उस अपाहिज के
पुजारी-पंडित, चोर-उच्चके, डाकू-साहू के
दानी-मानी, ढोगी-भोगी ऐसे सब ही जन के
सबका सपना अपना सपना पाओ मेरे भाई
देखो ये आकर्षक पैकेट बना दिए सब भाई
जिसको जो रुच जाए वही उठा लो रे भाई
फिर न कहना चूक गए नहीं बचा कुछ भाई
एक बात बस ध्यान में धर लेना रे मेरे भाई
सामर्थ्य बराबर सपना खरीदना तुम भाई
ऊँची उड़ान भरते-भरते चोट न खाना भाई
पंख टूटें गिर जाएँ लाचार मत बनना भाई
कुछ खास सपने ही अपने हो पाते जग में
मैं सौदागर सपने बेचके चाहूँ खूब कमाना
आओ-आओ सब खरीद लो इनको जाना
माल सब बिक जाए तो नए सपने ले आऊँ।
चन्द्र प्रभा सूद
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