जिसके पास जो कुछ भी होता है, वह वही दूसरों को देता है। इस कड़ी में सबसे पहले हम परमपिता परमात्मा की बात करते हैं। उसने सृष्टि का निर्माण कर जीवों की रचना की। उसके पास सब कुछ है, उसने हमें भी सब कुछ दिया है। अति मूल्यवान यह शरीर दिया जिसके एक-एक अंग के मूल्य को यदि जोड़ें तो वह वैज्ञानिक दृष्टि से करोड़ों रुपए बन जाता है। इस शरीर के अलावा दुनिया में जीने के लिए तरह-तरह के साधन दिए हैं। सुख-सुविधाएँ दी हैं।
सम्पूर्ण प्रकृति हम जीवों को जीवन देती है। बादल अपने जल से हमें अन्न, जल देकर हमारा पोषण करता है। वायु हमें
जीवन दायिनी शक्ति देती है। सूर्य अपने प्रकाश व ऊष्णता से इस सम्पूर्ण जगत को प्रकाशित करता है और ऊष्मा देने का महान कार्य है। अग्नि अपने ताप से गरमी देती है और हमारा भोजन पकाती है। जल हमारी दैनन्दिन आवश्यताओं को पूर्ण करता है और बिजली का उपहार देकर हमरे जीवन को सुगम बनाता है। इसी तरह सम्पूर्ण प्रकृति अपने उपहारों से हमें सदा मालामाल करती रहती है।
अब हम अपने आसपास जरा नजर दौड़ाते हैं। हमारे चारों ओर अपार जन समूह है। इसमें भिन्न प्रकृति के लोग रहते हैं। हमारे दैनिक जीवन में हमारा इनसे वास्ता पड़ता रहता है। सज्जन अपने सद् गुणों की फुहार से सबको आनन्दित करते हैं। उनके पास जाने पर मन को सदा शान्ति मिलती है। बारबार उनसे मिलने की इच्छा होती है। इसका कारण उनका उदार हृदय होना होता है। वे निस्वार्थ भाव से सबके हितचिन्तक होते हैं। अपने सुख-चैन की बलि देकर भी मानवता की सेवा में तत्पर रहते हैं।
इसके विपरीत दुर्जन अपने अवगुणों की भट्टी में दूसरों को बरबस झोंकते हैं। वे अपने स्वार्थों को सर्वोपरि रखते हैं। इसलिए जाने-अनजाने दूसरों को कष्ट देते रहते हैं।
उन्हें दूसरों को दुख देकर प्रसन्नता होती है। एसे लोगों से सावधान रहना चाहिए, ये खतरनाक होते हैं।
समाज विरोधी गतिविधियों में लगे लोग सबको वैसा ही बनाना चाहते हैं ताकि वे दूसरों की आड़ में अपने धन्धे को जायज ठहरा सकें। चोर, डाकू, गिरहकट, स्मगलर, रिश्वतखोर, टैक्सचोर आदि सभी दूसरों को वैसा बनने की ट्रेनिंग देते हैं। ऐसे सभी लोग समाज के शत्रु तथा देश व कानून के बड़े अपराधी होते हैं।
आतंकवादी लालच देकर दूसरों के माध्यम से अपनी योजनाओं को साकार करते हैं। धर्म के नाम पर भोले-भाले लोगों को बरगलाने का काम करने वाले वे उन्हें प्यार से या जबरदस्ती अपराधी बना डालते हैं।
तथाकथित धर्मगुरु भी लोगों का ब्रेन वाश करने का काम बखूबी करके उन्हें अपना पिछलग्गू बना देते हैं। अपरिग्रह का उन्हें पाठ पढ़ाते हुए उनका सब कुछ हर लेते हैं और उन्हें किसी भी लायक नहीं छोड़ते। इसी तरह ज्योतिषी और तन्त्र-मन्त्र वाले भी, अपने दुखों से परेशान लोगों को डराकर उन्हें बरबाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। उनके धन को हड़पने में षडयन्त्र करते रहते हैं।
विद्वान के पास जो कोई जाता है, वे उन आगन्तुकों को सदा ही ज्ञान बाँटते हैं। वे हर सम्भव प्रयास करते हैं कि सामने वाला उनसे ज्ञान लाभ करके अपने लोक-परलोक दोनों को सुधार सके।
इस प्रकार हम समझ सकते हैं कि कोई भी व्यक्ति दूसरों को वही दे सकता है जो उसके पास होता है। हमें अपने विवेक से विचार करके सही रास्ते का चुनाव करना है। अपने जीवन में शुभ की कामना करते हुए उसके अनुसार ही आचरण करना आवश्यक है।
चन्द्र प्रभा सूद
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मंगलवार, 22 दिसंबर 2015
जिसके पास जो है वही देगा
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