स्वागत है नववर्ष
तुम एक बार फिर से
मुस्कुराते हुए आ रहे हो
अपनी मनमोहिनी छटा बिखेरते हुए।
तुम्हारे आने का
उल्लास धरती पर
चहुँ ओर दिखाई देता है
हर मन नई आस लिए बाट जोहता है।
अब सब सोचते हैं
शायद कुछ नया होगा
नव नवीन वादों से हटकर
सबके जीवन में हो जाएगा सुधार।
चाहते हैं रोक सकें
वह क्रन्दन, वह बन्धन,
वह भ्रष्टाचार, वह रिश्वतखोरी,
वह अनाचार, वह कदाचार मिल सब।
कोई कृष्ण धरा पर
अस्मत की रक्षा और
आततायी के विनाश हेतु
शायद आ ही जाए सुदर्शन चक्र लिए।
भूखों को अन्न
नग्नों वस्त्र देने वाला
कोई दानवीर एक बार
फिर से अवतरित हो जाए इस साल।
हो जाए किसी विध
आतंक का घिनौना रूप
इस जहाँ से कोसों कोस दूर
बच जाए मानवता शर्मसार होने से।
तुम्हारे आ जाने से
चारों ओर खुशियों का
साम्राज्य छा जाए बस
आशा करते हैं मिलकर सब जन।
नव निर्माण हो
नव-नूतन विहान हो
नव सृष्टि का विधान हो
नव उड़ान भरने के लिए नव पंख हों।
आओ नववर्ष आओ
चारों ओर होने वाले इस
जीवन संगीत को सुनो जरा
तुम्हारे आने की खुशी में हैं सब उत्सव।
चन्द्र प्रभा सूद
Twitter : http//tco/86whejp
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