इक्कीसवीं सदी का यह युग टेक्नोलॉजी का है। बच्चे और युवा इस तकनीक का सफलतापूर्वक भरपूर प्रयोग करते हुए दिखाई देते हैं। छोटे-छोटे बच्चे भी आज कमप्यूटर, मोबाइल फोन और आईपेड का प्रयोग सुविधा से करते हैं। बच्चों को इन उपकरणों पर सहजता से कार्य करते हुए देखकर मन प्रसन्न हो जाता है।
प्रायः आयुप्राप्त होते लोगों से भी मिलना होता रहता है। वे स्वयं को जब इस तकनीक के प्रयोग के लिए मिसफिट समझ लेते हैं तो मन को कष्ट होता है। सारी आयु नित नूतन प्रयोग करने वालों से ऐसी सोच की आशा निराश करने वाली होती है।
मोबाइल फोन अपनी जेब में रखकर जब लोग कहते हैं कि हमें तो बस फोन मिलाना और किसी से बात करने के अलावा कुछ नहीं आता तो झटका-सा लगता है। न वे फोन में कोई नम्बर फीड कर सकते हैं और न ही मैसेज तक कर सकते हैं। फेसबुक और वाटसअप या अन्य एप्लीकेशन की जानकारी होना बहुत दूर की कौड़ी है।
रिटायर होने के बाद सभी बुजुर्गों को समय व्यतीत करने की समस्या होने लगती है। उसका कारण है कि वृद्धावस्था की ओर कदम बढ़ाते हुए उनका शरीर अशक्त होने लगता है। इसलिए वे भागदौड़ कटटवाले काम नहीं कर पाते। सभी लोगों के पास कुछ करने के लिए काम नहीं होता। तभी वे प्रायः खाली बैठे रहते हैं। बच्चे अपने कामों में व्यस्त रहते हैं, उनके पास बुजुर्गों के पास बैठने के लिए सीमित समय निकल पाता है। स्वयं को अपेक्षित समझने के कारण वे हर समय अनमने और चिड़चिड़े से रहने लगते हैं।
इस तरह की परेशानियों से अपने घर के बुजुर्गों को मोबाइल का उपहार देकर उन्हें व्यस्त रहने का अवसर दें। उन्हें फेसबुक और वाटसअप आदि चलाना भी सिखाएँ। वे जब इस नई तकनीक का सही ढंग से प्रयोग करना सीख जाएँगे तो उनका मन भी लगा रहेगा।
उन्हें सिखा देना चाहिए कि वे पोस्ट पढ़ें, उन पर कमेन्ट करे, मन करे तो कुछ लिखकर पोस्ट कर दें, कभी चाहें तो फोटो भी लोड कर सकते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय व्यतीत हो जाएगा। जब वे व्यस्त हो जाएँगे तो उनकी समय बिताने की समस्या का समाधान हो जाएगा। घर की शान्ति भी बनी रहेगी।
अपने बुजुर्गों या माता-पिता को यह अवश्य बता दें कि फेसबुक मित्रता का अखाड़ा नही है अपितु उसका उपयोग रचनात्मक होना चाहिए। यदि कोई अवांछित पोस्ट करे अथवा कोई पसन्द न आए तो उसे ब्लॉक करने अथवा अनफ्रैण्ड करना भी सिखाएँ।
जिस भी विषय में उनकी जानकारी है अथवा अपने जीवनभर प्राप्त अनुभवों को सबके साथ साझा कर सकते हैं। लाइक वाले बटन पर वे क्लिक करके अपनी सहमति दर्ज कर सकते हैं। यह बात उन्हें समझानी भी आवश्यक है कि यदि वहाँ उनकी पोस्ट पर लाइक न भी आ सकें तो निराश न होकर अपने अनुभवों को साझा करते रहें। यह ऐसा माध्यम है जहाँ सभी लोग निस्सकोच अपने मन की बात या सुख दुख भी शेयर करके अपने दिल का बोझ कम कर सकते हैं। इस माध्यम से लाभ-हानि की अपेक्षा करना उचित नहीं हो सकता।
युवाओं को चाहिए कि जहाँ भी उन्हें कोई कठिनाई आए तो उनके पास बैठकर तसल्ली से उसके निवारण का उपाय बताएँ। उनकी व्यस्तता के इस बहाने की सराहना करते रहें, इससे उनका उत्साह बना रहेगा। प्रयास करिए कि वे इस नई तकनीक से बोर न हों बल्कि उसमें अपना मन लगाए रहें। यदि बुजुर्ग अपने फालतू समय का सदुपयोग इस तरह करेंगे तो प्रसन्न रहेंगे और आप स्वयं उनकी ओर से निश्चिन्त हो जाएँगे।
चन्द्र प्रभा सूद
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मंगलवार, 21 जून 2016
बजुर्गों को नई तकनीक का उपहार
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