भारतीय परम्परा में नाम का बहुत महत्त्व स्वीकार किया गया है। जीव के बच्चे के रूप में जन्म के पूर्व से लेकर उसकी मृत्यु के उपरान्त तक सोलह संस्कारों का विधान हमारे महान् ग्रन्थों द्वारा किया गया है। इन्हीं संस्कारों में एक है नामकरण संस्कार।
बच्चे के जन्म के कुछ दिनों बाद ही उसका नामकरण संस्कार धूमधाम से किया जाता है। घर-परिवार के लोगों के साथ रिश्तेदारों और बन्धु-बान्धवों को भी आमन्त्रित किया जाता है। यथाशक्ति सबको दावत भी दी जाती है।
बच्चे के अभिभावक या माता-पिता जन्म के समय जो उसका नामकरण करते हैं, प्रायः उसी नाम से आयुपर्यन्त मनुष्य जाना जाता है। बहुत ही कम लोग होते हैं जो माता-पिता का दिया हुआ नाम बदलते हैं। यदा कदा परिस्थितिवश बच्चे का नाम बदला जाता है। कुछ परिवारों में शादी के उपरान्त बहु का नाम बदलने की परम्परा भी देखी गई है।
मनीषी कहते हैं कि नाम का मनुष्य के जीवन पर बहुत प्रभाव होता है। पर्वतों, नदियों, देवताओं आदि के नाम पर बच्चे का नाम न रखने के लिए कहा गया है। नाम अर्थपूर्ण होना चाहिए। बड़े दुर्भाग्य की बात है कि आजकल लोग बच्चों का नाम रख देते हैं पर उन्हें स्वयं ही उसका अर्थ नहीं पता होता। इसलिए जब अर्थ का अनर्थ हो जाता है तो उसका दुष्प्रभाव बच्चे के जीवन पर भी पड़ता है। कई नामों का उच्चारण भी अशुद्ध किया जाता है। जैसे कण्व का उच्चारण कणव करते हैं।
बच्चे के पैदा होते ही उसके चरित्र और स्वाभाव के विषय में ज्ञान नहीं होता है। बड़ा होकर व्यक्ति कैसा आचरण करेगा यह कोई नहीं जानता। हर माता-पिता अपने बच्चे को अच्छे-से-अच्छे संस्कार देने का यत्न करते हैं जिससे उसे समाज में उचित स्थान मिल सके।
यद्यपि आसपास के वातावरण, उसके स्कूल और दोस्तों का प्रभाव भी बच्चे के चरित्र निर्माण पर पड़ता है। पर यदि घर के संस्कार प्रबल हों तो बाहरी संस्कार उस पर किसी भी तरह हावी नहीं हो सकते।
नाम के अनुरूप बच्चे का आचरण हो यह जरूरी नहीं होता। एक कहावत है-'आँख का अन्धा नाम नयनसुख।' यानि नाम तो नयन सुख है पर मनुष्य आँखों से अन्धा है। इसी प्रकार किसी का नाम गरीब दास होता है पर वह बहुत अमीर होता है। एवंविध नाम अमीर चन्द होता है पर सारी जिन्दगी वह दाने-दाने को तरसता रहता है। ऐसा भी देखा गया है कि नाम हवेली राम होने के बावजूद इन्सान सारी आयु सड़कों पर जीते हुए बिता देता है।
इसी श्रेणी में उस महिला के नाम की चर्चा भी कर सकते हैं जिसका नाम कोयल है लेकिन उसका स्वभाव बहुत ही कर्कश है। सुन्दरी या माधुरी नाम वाली महिलाएँ भी कुरूप देखी जा सकती हैं।
ऐसा भी देखा जाता है कि किसी देवता के नाम वाले मनुष्य क्रूर और आततायी बन जाते हैं। शान्ति या शान्त अर्थ के नाम वाले अशान्त रहते हैं। दूसरों के साथ कठोर व्यवहार करके उन्हें भी परेशान करते रहते हैं।
एक ही नाम वाले दो व्यक्तियों के चरित्र और स्वाभाव एक जैसे हों यह आवश्यक नहीं बल्कि इसकी सम्भावना अधिक हो सकती है कि दोनों ध्रुवों की भाँति वे सर्वथा विपरीत हों।
किसी व्यक्ति के नाम के कारण उससे एक बार मिलकर अथवा बात करके उसके विषय मे कोई सम्मति या राय नहीं बनाई जा सकती। जब तक उसके साथ व्यवहार न किया जाए उसकी असलियत का ज्ञान नहीं होता।
नाम के महत्त्व को समझकर बच्चे को सार्थक और अर्थपूर्ण नाम दें। बहुत से माता-पिता बच्चे की जन्म राशि के अनुसार किसी विद्वान से पूछकर उसका नाम रखते हैं। पुस्तकों से पढ़कर अथवा नेट से देखकर बच्चे को वह नाम न दें जिसके विषय में स्वयं आपको जानकारी न हो।
चन्द्र प्रभा सूद
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रविवार, 5 जून 2016
नाम का महत्व
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