सरलता से जीवन यापन
जन्म लिया है तो मनुष्य को जीवन यापन भी करना ही पड़ता है। उसके लिए उसे अनेक तरह के पापड़ बेलने पड़ते हैं। सबसे पहले तो पढ़-लिखकर योग्य बनना पड़ता है। तब जाकर मनुष्य अच्छी नौकरी या व्यवसाय कर सकता है। जो बच्चे पढ़ने की आयु में मौज-मस्ती करते हैं, उन्हें उतनी अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती। इनके अतिरिक्त जो किसी भी कारण से बिल्कुल नहीं पढ़ पाते, वे प्रायः लेबर वर्क करते हैं। बहुत कठिनाई से अपनी गुजर-बसर करने लायक धन जुटा पाते हैं।
निम्न श्लोक में कवि ने इस विषय में बताया है-
बुद्धि: प्रभाव: तेजश्च सत्वमुत्थानमेव।
व्यवसायश्च यस्यास्ति तस्य वृत्तिभयं कुत:।।
अर्थात् जिसके पास बुद्धि, प्रभुत्व, तेज, सत्ता, उत्साह और कार्य करने की इच्छा हो, उसे जीवन-यापन करने के लिए चिन्ता करने की कोई आवश्यकता नहीं।
इस श्लोक के कहने का अर्थ है कि जिस मनुष्य की बुद्धि तीव्र है, उसे ज्ञान प्राप्त करने में कठिनाई नहीं आती। वह विद्याध्ययन करके उच्च पद को प्राप्त करता है। समाज में सम्मननीय स्थान का अधिकारी बन जाता है। उसके भाग्य से कुछ लोग रश्क करते हैं। बुद्धि के बल पर मनुष्य जिस भी कार्य में हाथ डालता है, उसे सरलता से पूर्ण करके अपने उद्देश्य में सफल हो जाता है।
जिस व्यक्ति का समाज में प्रभुत्व होता है, उसे किसी भी कार्य को करवाने में सफलता मिलती है। लोग अपने कार्यों के लिए प्रभावशाली व्यक्ति का सहारा खोजते हैं। जो मनुष्य अपने पास आए हुए इन्सान के कार्य सहजता से करवा सकता है, तो अपने लिए परेशान होने की आवश्यकता उसे नहीं होती। ऐसा व्यक्ति कभी भूखा नहीं रह सकता। उसे अपना जीवन यापन करने में सुगमता होती है।
तेजस्वी व्यक्ति अपने तेज से सबको प्रभावित कर लेता है। अपने इस गुण के कारण उसे अपना जीवन यापन करने की समस्या कदापि नहीं आती। वह जिस कार्यक्षेत्र में अपना कदम रखता है, उसके लिए वहाँ के दरवाजे खुल जाते हैं। वह अपनी तेजस्विता के कारण हर क्षेत्र में विजयी रहता है। उसे रेस में पछाड़ना दूसरों के लिए दूर की कौड़ी होता है यानी कठिन कार्य होता है।
सत्ता पर विराजमान लोग अपना जीवन यापन सुविधापूर्वक कर लेते हैं। सत्ता में रहते हुए उनके सम्बन्ध बहुत लोगों से बन जाते हैं। उनकी जान पहचान का दायरा नित्य-प्रति बढ़ता रहता है। वे दूसरों के कार्य भी आसानी से करवा लेते हैं, तो उनके कार्य सिद्ध होने में कोई बाधा नहीं आ पाती। सत्ता में रहने के अन्य पार्टियों के साथ उनके मधुर सम्बन्ध बन जाते हैं। यदि वे सत्ता में न भी रह पाएँ, तो भी उन्हें कोई अन्तर नहीं पड़ता।
उत्साह मनुष्य का ऐसा गुण है, जो उसे सदा कर्मयोगी बनाए रखता है। ऐसा मनुष्य कोई भी कार्य उत्साहपूर्वक करता है, जिससे उसे सफलता मिल जाती है। ऐसा व्यक्ति कभी निराश नहीं होता। जो भी छोटा या बड़ा काम उसे सौंपा जाए, उसे उत्साह से करता है। तभी वह मनुष्य अच्छे परिणाम लेकर आता है। ऐसा सफल व्यक्ति निस्सन्देह हर स्थान पर हाथों हाथ ले लिया जाता है।
कार्य करने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति कहीं भी मार नहीं खाता। उसे कैसा भी कठिन या सरल कार्य दे दिया जाए, वह उसे पूर्ण कारके ही चैन लेता है। ऐसा मनुष्य किसी काम को छोटा या बड़ा नहीं मानता। वह बस अपनी ईमानदारी से कार्य को करता रहता है। वह किसी भी कार्य को करने से हिचकिचाता नहीं है, इसलिए उस मनुष्य को जीवन यापन करने में कठिनाई नहीं आती।
इस प्रकार बुद्धि की पखरता, प्रभुता, तेजस्विता, सत्ता में भागीदारी, उत्साही और कार्य करने की इच्छा रखने वाले मनुष्यों के समक्ष कभी जीवन यापन करने की समस्या नहीं आती। ये लोग अपने जीवन की नैया को सरलता से पार लगा लेते हैं। मनुष्य को स्वयं पर विश्वास होना चाहिए, तब वह संसार में कुछ भी कर सकने में समर्थ होता है। उसे पीछे मुड़कर देखने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
चन्द्र प्रभा सूद
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