शुक्रवार, 14 नवंबर 2025

हर पदार्थ उपयोगी

हर पदार्थ उपयोगी 

इस ब्रह्माण्ड में जो कुछ भी उपलब्ध है यानी जो भी पदार्थ हैं, वे सब कुछ हम जीवों के लिए बहुत उपयोगी है। किसी भी पदार्थ के विषय में हम यह नहीं कह सकते कि वह तो हमारे लिए अनुपयोगी है। सारी प्रकृति हमारी सेवा में जुटी रहती है। सूर्य, चन्द्रमा, वायु, अग्नि, ग्रह-नक्षत्र, पृथ्वी पर विद्यमान सभी पेड़-पौधे, नदियाँ-समुद्र, जीव-जन्तु आदि सभी हमारे ही लिए बनाए हैं। ईश्वर ने इन सबको बनाकर हमें उपहार स्वरूप दिया है। यह अब हम पर निर्भर करता है कि हम उनका उपयोग किस प्रकार करते हैं।
         दिन और रात यदि ईश्वर न बनाता तो मनुष्य पागल हो जाता। दिन भर कोल्हू के बैल की तरह परिश्रम करने के पश्चात उसे नींद की, आराम की आवश्यकता होती है। यदि ईश्वर रात न बनाता तो मनुष्य अपनी नींद पूरी नहीं कर पाता। इससे उसकी कार्यक्षमता पर बहुत प्रभाव पड़ता। वह अगले दिन उत्साहपूर्वक अपने कार्य सम्पन्न नहीं कर सकता था। अब हम रात को सोने के उपरान्त प्रात: तरोताजा हो जाते हैं। नए जोश के साथ अपने दायित्वों को निभाने के लिए जुट जाते हैं। हमें इसके लिए उस प्रभु का धन्यवाद करना चाहिए कि उसने हम पर इतनी कृपा की है।
           ईश्वर ने सूर्य को गर्मी व प्रकाश देने का कार्य सौंपा। इसी कारण दिन-रात, ऋतु चक्र और मौसम बदलते हैं। चन्द्रमा को रात्रि में प्रकाश और शीतलता देने के लिए बनाया। जल हमारी जीवनी शक्ति है। इसके बिना हम अपने दैनन्दिन कार्यों का सम्पादन नहीं कर सकते। वायु हमारा प्राण है। इसके बिना सृष्टि पल भर में ही समाप्त हो जाएगी। अग्नि हमारी ऊष्मा का कारण है। हमारे शरीर को पुष्ट करने वाला हमारा भोजन इसी की बदौलत मिलता है। यह अग्नि हमारे खाए हुए अन्न को पचती है। इस प्रकार ये पञ्च महाभूत हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। इनके बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते।
             पेड़-पौधे हमारा पेट भरने के लिए हैं। ये हमें स्वादिष्ट फल देते हैं। हमें ताप से बचाने के लिए शीतल छाया देते हैं। हमारे घरों और दफ्तरों की सुरक्षा व सजावट के उपकरण देते हैं। ये ही हमें लिखने-पढ़ने के लिए साधन देते हैं। भूमि हमारे लिए विभिन्न प्रकार के अन्न का उत्पादन करती है। उन्हें खाकर हम हृष्ट-पुष्ट बनते हैं। सुन्दर, सुगन्धित व रंग-बिरंगे फूल मानव मन को बरबस मोह लेते हैं। चित्र-विचित्र पशु-पक्षी हमारे लिए आकर्षण का कारण बनते हैं। पक्षियों का मधुर कलरव हमें कर्णप्रिय लगता है। 
          नदियाँ हमारे लिए जल की आपूर्ति करती हैं। यह जल हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसीलिए नदियों के किनारे घनी आबादी पाई जाती है। नदियों के कलकल का सुरीला संगीत कानों को भाता है। समुद्र सदा हमारे लिए रहस्य की तरह रहा है। समुद्र से हमें बहुत सारा अनमोल खजाना देता है। इसकी गहराई की थाह पाने के लिए तैराक और गोताखोर बारबार यत्न करते रहते हैं। यह हमारे लिए सदियों से यातायात का प्रबन्धन करता है।
           किसी भी वनस्पति की ओर यदि हम अपनी दृष्टि डालें और उसके विषय में जानकारी एकत्र करने का प्रयास करें तो हम पाएँगे कि वह किसी-न-किसी रूप में हमारे लिए उपयोगी है। आयुर्वेद के अनुसार हर वनस्पति में औषधीय गुण विद्यमान हैं। यह बात और है कि हम सारी वनस्पतियों के विषय में न तो जानते हैं और न ही उनका उपयोग करते हैं। इसी कारण विश्व के हर देश के भोजन में हम विविधता पाते हैं। जबकि उन्हीं सब खाद्य पदार्थों और मसालों का उपयोग हर स्थान पर किया जाता है। उसी प्रकार स्वाद में भी हम वैविध्य ही पाते हैं।
        जिन पौधों को हम सब खर-पतवार समझकर तिरस्कृत करते हैं, उन्हें पशु खाते हैं और अपनी भूख मिटाते हैं। मनुष्य पशुओं के माध्यम से अपनी खेती करता है, उनका यातायात के साधन के रूप में उनका उपयोग करता है और अपना मनोरंजन भी करता है। मनुष्य पशुओं को साधकर अपने आराम के सारे कार्य उनसे बड़ी हेकड़ी से करवाता है। वे भी अपने मालिक की इच्छानुसार बहुत कुशलता से कार्यों को सम्पन्न करते हैं।
          ईश्वर ने इस सृष्टि की हर रचना को मनुष्य के लिए रचा है और अपनी पूजा-अर्चना करने के लिए इन्सान को बनाया है। इस सृष्टि के शेष सभी पदार्थ मनुष्य के सुख और आराम के लिए बनाए हैं। हमें हमेशा उस मालिक का धन्यवाद करना चाहिए जिसने हमारी हर सुख-सुविधा जुटाने के लिए सब खेल‌ रचा हैं।
चन्द्र प्रभा सूद 

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