शयन की विधि
शास्त्रों ने मनुष्य जीवन को सुचारू रूप से चलने के लिए, उसे अनुशासित करने का प्रयास किया है। इसीलिए आहार-विहार, सोने-जागने आदि के लिए कुछ नया बनाए हैं। उनके अनुसार यदि जीवन जीने की आदत बन ली जाए, तो मनुष्य बहुत-सी बीमारियों से बच सकता है। आज हम शयन यानी सोने के बारे में चर्चा करेंगे। इस विषय में विद्वानों ने कई परामर्श दिए है। उन पर विचार करते है।
बहुत समय पूर्व सोने के नियमों के विषय में कहीं पढ़ा था। उन्हें यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ। हो सकता है आप लोगों में से कुछ ने इन नियमों के विषय में पड़ा होगा। थोड़ा-सा परिवर्तन करके इन्हें इस आलेख में दे रही हूँ।
मनीषी कहते हैं कि मनुष्य को सूर्यास्त के एक लगभग तीन घण्टे के बाद सोना चाहिए। 'पद्मपुराण' का मानना है कि जिस कमरे में मनुष्य शयन करे उसमें थोड़ा-सा प्रकाश अवश्य ही होना चाहिए। बिल्कुल अँधेरे कमरे में मनुष्य को नहीं सोना चाहिए।
'मनुस्मृति:' में महाराज मनु कहते हैं कि सूने तथा निर्जन घर में अकेले नहीं सोना चाहिए। इसके अतिरिक्त देव मन्दिर और श्मशान में भी मनुष्य को नहीं सोना चाहिए। 'गौतम धर्मसूत्र' का मत है कि नग्न होकर या निर्वस्त्र होकर कभी नहीं सोना चाहिए। सोते समय माथे पर से तिलक हटा देना चाहिए। ललाट पर तिलक लगाकर सोना भी अशुभ माना जाता है।
'ब्रह्मवैवर्तपुराण' में कहा है कि दिन में सोने से तथा सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सोने वाला मनुष्य रोगी एवं दरिद्र हो जाता है। दिन में सोने से मनुष्य को बचना चाहिए। विद्वानों का ऐसा मानना है कि दिन में सोने से मनुष्य को रोग घेर लेते हैं और आयु का क्षरण होता है। ज्येष्ठ मास में जब बहुत गर्मी होती है, तब दोपहर के समय एक मुहूर्त यानी अड़तालीस मिनट के लिए सोया जा सकता है।
दक्षिण दिशा में पाँव करके सोने को अशुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि दक्षिण दिशा में यम और दुष्ट निशाचरों का निवास रहता है। इससे कान में हवा भरती है। मस्तिष्क में रक्त का संचार कम को जाता है, स्मृति-भ्रंश, मौत व असंख्य प्रकार की बीमारियाँ हो जाती है। गीले पैर नहीं सोना चाहिए, पैरों को अच्छी तरह पौंछकर सुखा लेना चहिए। सूखे पैर सोने से लक्ष्मी या धन की प्राप्ति होती है। पाँव पर पाँव चढ़ाकर भी नहीं सोना चाहिए।
'आचारमयूखम्' का कथन है कि पूर्व की ओर सिर करके सोने से विद्या बढ़ती है। पश्चिम की ओर सिर करके सोने से प्रबल चिन्ता घेर लेती है। उत्तर की ओर सिर करके सोने से हानि व मृत्यु होती है।दक्षिण की ओर सिर करके सोने होती है धन व आयु की प्राप्ति होती है। बायीं करवट लेकर सोना मनुष्य के स्वास्थ्य के लिये हितकर है।
'महाभारत' में कहा गया है कि टूटी चारपाई पर और जूठे मुँह सोना वर्जित कहा गया है। इसका अर्थ है कि चारपाई टूटी हो तो गिरने से चोट लग सकती है। यदि कुल्ला करके अथवा ब्रश करके न सोया जाए तो दाँतों में कीड़ा लग सकता है। इससे दाँत सड़ने लगते हैं।
हृदय पर हाथ रखकर सोने से स्वप्न बहुत आते हैं। छत के पाट या बीम के नीचे सोने से बीम गिरने का डर रहता है। सोते सोते पढ़ना नहीं चाहिए। ऐसा करने से नेत्र ज्योति घटती है। नींद आने से पढ़ाई नहीं हो सकती।
'विष्णुस्मृति:' में कहा गया है कि सोए हुए मनुष्य को अचानक नहीं जगाना चाहिए। इसका कारण है कि मनुष्य हड़बड़ा कर उठता है। इससे वह लड़खड़ाकर गिर सकता है। कुछ लोगों को शारिरिक कष्ट भी हो जाता है। इसलिए मनुष्य को आराम से और प्यार से जगाना चाहिए।
आचार्य चाणक्य का कथन है कि विद्यार्थी, नौकर और द्वारपाल यदि अधिक समय से सोए हुए हों, तो इन्हें जगा देना चाहिए। विद्यार्थी यदि देर तक सोएगा तो उसकी पढ़ाई का नुकसान होगा। नौकरों को घर के मालिक से पूर्व उठकर तैयार हो जाना चाहिए। इसी प्रकार द्वारपाल को भी प्रातः शीघ्र उठ जाना चाहिए।
इस प्रकार शयन के ये नियम कहे गए हैं। इनका पालन करके मनुष्य सुख और शान्ति से रह सकता है। आजकल लोग फ्लैटों में रहते हैं। हो सकता है वहाँ का नक्शा इस प्रकार का हो कि इन नियमों का पालन न किया जा सके। जहाँ तक सम्भव हो इन नियमों की पालना कर लेनी चाहिए।
चन्द्र प्रभा सूद
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