मूर्ख लाइलाज
'मूर्ख मित्र से शत्रु अच्छा' यह उक्ति कहकर मनीषी मनुष्य को आगाह करते हैं कि मूर्ख व्यक्ति से कभी मित्रता नहीं करनी चाहिए। उसे समझदार बनाने का कितना भी प्रयास कर लिया जाय, कितना ही माथा फोड़ा जाए, उस पर कोई असर नहीं होता। वह मूर्ख का मूर्ख ही बना रहता है। अपना ही दिमाग खराब हो जाएगा, परन्तु वह सुधरने का नाम नहीं लेता। उससे दूरी बना लेना ही श्रेयस्कर होता है।
महाराज भर्तृहरि ने 'नीतिशतकम्' ग्रन्थ में कहा है-
शक्यो वारयितुं जलेन हुतभुक् छत्रेण सूर्यातपो
नागेन्द्रो निशिताङ्कुशेन समदो दण्डेन गोगर्दभौ।
व्याधिर्भेषजसंग्रहैश्च विविधैर्मन्त्रप्रयोगैर्विषं
सर्वस्यौषधमस्ति शास्त्रविहितं मूर्खस्य नास्त्यौषधम्
अर्थात् अग्नि को जल से बुझाया जा सकता है, तीव्र धूप में छाते द्वारा बचा जा सकता है, जंगली हाथी को भी एक लम्बे डंडे(जिसमे हुक लगा होता है ) की मदद से नियन्त्रित किया जा सकता है, गायों और गधों से झुंडों को छड़ी से नियन्त्रित किया सकता है। अगर कोई असाध्य बीमारी हो तो उसे भी औषधियों से ठीक किया जा सकता है। यहाँ तक की जहर दिए गए व्यक्ति को भी मन्त्रों और औषधियों की मदद से ठीक किया जा सकता है। इस दुनिया में हर बीमारी का इलाज है, लेकिन किसी भी शास्त्र या विज्ञान में मूर्खता का कोई इलाज नहीं है।
इस श्लोक के माध्यम से कवि कह रहे हैं कि मूर्ख की मूर्खता का कोई इलाज नहीं हो सकता। अपनी बात को पुष्ट करने के लिए उन्होंने यहाँ कई उदाहरण दिए हैं। किसी स्थान पर यदि आग लग जाए तो उसे जलने के लिए ऐसे नहीं छोड़ दिया जाता, बल्कि उस अग्नि को पानी डालकर बुझाया जा सकता है। आजकल फायरब्रिगेड को आग लगते ही फोन कर दिया जाता है। वह उसी समय आ जाती है और वह पानी की बौछारों के द्वारा आग को बुझा देती है। इस तरह आग बुझ जाती है।
सूर्य जब अपनी युवावस्था यानी दोपहर के समय होता है, तब उसका प्रकाश और गर्मी अपने उत्कर्ष पर होते हैं यानी बहुत तीव्र होते हैं। उस समय ऐसा प्रतीत होता है, मानो मनुष्य का सिर जलने लगता है। उस समय यदि व्यक्ति छाते का उपयोग कर लेता है, तो वह उस छाते के कारण तीव्र धूप में जलने से बच सकता है। दूसरे शब्दों में कहें तो मनुष्य गर्मी से राहत पा सकता है।
जंगली हाथी को पकड़ने के लिए अंकुश या एक लम्बा डण्डा जिसमें एक हुक लगी हुई होती है, उसका सहारा लेकर उसे नियन्त्रित किया जाता है। इन जंगली हाथियों को सवारी करने के लिए, उनसे और काम करने के लिए या फिर सर्कस आदि में करतब दिखने के लिए पालतू बनाया जाता है। इसीलिए इन्हें इस प्रकार पकड़ा जाता है। फिर उन्हें ट्रेनिंग देकर उनसे कार्य करवाए जाते हैं।
गायों को जब चराने ले जाते हैं या फिर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते हैं, तब उन्हें चराने वाला छड़ी का उपयोग करता है, जिससे वे इधर-उधर न चली जाएँ। अथवा किसी वाहन से टकराकर घायल न हो जाएँ। इसी प्रकार गधों का मालिक से भी उनके झुंडों को छड़ी से ही नियन्त्रित करता है। इसका उद्देश्य भी यही होता है कि गधे भागकर कहीं और न चले जाएँ।
मनुष्य को यदि कोई असाध्य बीमारी हो जाती है, तो उसे योग्य डॉक्टर के पास लेकर जाते हैं। वह उचित औषधियों के उपचार द्वारा उस मनुष्य को स्वस्थ कर देता है। इससे भी बढ़कर यदि किसी व्यक्ति को यदि विष या जहर दे दिए गया हो, तो उसे उचित इलाज के द्वारा निश्चित ही ठीक किया जा सकता है। उस व्यक्ति को मन्त्रों की सहायता से भी ठीक कर दिया जा सकता है।
इतने सारे उदाहरणों को देने के पश्चात कवि कहते हैं कि इस दुनिया में हर बीमारी का इलाज किया जा सकता है और रोगी स्वस्थ भी हो जाता है। परन्तु किसी भी शास्त्र या विज्ञान में मूर्खता का कोई इलाज नहीं है। मूर्ख व्यक्ति को कितना भी बुद्धिमान बनाने का प्रयास कर लो, वह अपनी मूर्खता को नहीं छोड़ता। ऐसे मूर्ख के साथ माथापच्ची करने के स्थान पर उससे किनारा कर लेना चाहिए।
चन्द्र प्रभा सूद
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