शुक्रवार, 12 दिसंबर 2014

क्षमा

क्षमा मनुष्य का सर्वोत्तम आभूषण है। सभी भौतिक आभूषण नष्ट हो जाते हैं परंतु क्षमाशील व्यक्तियों का ख्याति रूपी आभूषण उनके संसार से विदा होने के बाद भी विद्यमान रहता है। क्षमाशीलता हमेशा सुख देने वाली होती है। इससे दूसरों को राहत मिलती है और अपना मन भी शांत व संतुष्ट रहता है। मनुष्य को आत्मिक सुख भी प्राप्त होता है।
       जो दूसरों को क्षमा नहीं कर सकता वह  व्यक्ति अहंकारी कहलाता है। उससे सभी किनारा कर लेते हैं। न तो कोई उसकी प्रशंसा नहीं करता है और न कोई उससे मित्रता करना चाहता है। ऐसा व्यक्ति किसी के मन में अपना स्थान नहीं बना सकता। इसके विपरीत क्षमाशील मनुष्य सबका प्रिय बन जाता है। सबके हृदय का सम्राट बनकर उनका अपना बन जाता है। 
     एक कविता में दिनकर जी ने क्षमा के प्रसंग में कहा है-
क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो।
उसको क्या जो दंतहीन विषरहित विनीत सरल हो।
कवि ने साँप का उदाहरण देकर बहुत अच्छी तरह समझाया है। जो विषधारी साँप है अगर वह न काटे तो उसका बड़प्पन है। जो साँप बूढ़ा हो गया है, विषरहित हो गया है उससे किसी को भय नहीं लगता। उसी प्रकार क्षमा उसी व्यक्ति की मानी जाती है जो समर्थ है और दूसरे को हानि पहुँचा सकता है। वह यदि किसी को उसके अपराध के लिए क्षमा कर देता है तो महान कहलाता है।
      जो व्यक्ति हर दृष्टि से कमजोर है अथवा सामर्थ्यहीन है उससे कोई भयभीत नहीं होता। वह यदि किसी को अपने संस्कारवश क्षमा करता है तो लोग सोचते हैं कि इसके पास कोई अन्य उपाय नहीं इसलिए क्षमा का ढोंग कर रहा है। उसकी क्षमा को लोग मान्यता नहीं देते।
     एक प्रसंग है कि लंका जाने के लिए भगवान राम तीन दिन तक समुद्र से  मार्ग माँगते रहे पर वह मौन रहा। परंतु जब उन्होंने शर संधान कर कहा तीर चलाकर तुम्हारा जल सुखा दूँगा तब बिना समय व्यर्थ गँवाए डर के मारे उसने रास्ता दे दिया।
      इसका यह कदापि अर्थ नहीं है कि जो शक्तिशाली नहीं वह क्षमा रूपी गुण को नहीं अपना सकता। इससे हम स्वयं को वंचित न करें। यदि शारीरिक बल कम हो तो सद् गुणों को अपनाए ताकि कोई आपकी अवहेलना न कर सके।
       क्षमा महान लोगों का गुण है। इतिहास भरा हुआ है ऐसे उदाहरणों से। स्वामी दयानन्द सरस्वती ने विष पिलाने वाले रसोइये को क्षमा करके दूर जाने के लिए कहा था।
        ईसामसीह ने सूली पर चढ़ाने वालों को क्षमा कर दिया था। मीराबाई को प्रसाद के नाम पर विषय दिया गया उसने भी दोषियों को क्षमा कर दिया।
        दूसरों को क्षमा करने वाला हमेशा महान होता है। लोग अनेकशः क्षमा को कमजोरी समझने की भूल करते हैं जो सर्वथा गलत है। हम स्वयं को हर प्रकार से इतना शक्ति सम्पन्न कर लें कि हमारी क्षमा का मूल्य सब पहचान सकें।

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