मंगलवार, 9 दिसंबर 2014

ब्राह्मणों का दायित्व

जब किसी की दुखती रग छेड़ दी जाए तो उसे वह सहन नहीं कर पाता। यही स्थिति पंडितों के साथ भी हो रही है। जो वास्तव में विद्वान हैं, समाज को दिशानिर्देश देने में समर्थ हैं उनको विश्व प्रणाम करता है। उनकी चर्चा यहाँ विषय नहीं।
        हम यहाँ उन पंडितों की बात करना चाहते हैं जो पूजा पाठ के द्वारा अपनी जीविका चलाते हैं पर अध्ययन नहीं करना चाहते। जन्मपूर्व से मृत्यु पर्यन्त मात्र सोलह संस्कारों का विधान शास्त्रों ने किया है। उनमें से भी कुछ चार-पाँच संस्कार ही प्राय: लोग करते हैं। ऐसे पंडितों की संख्या अधिक है जो मन्त्रोच्चार शुद्ध नहीं करते। और तो और जो मन्त्र प्रतिदिन उच्चारित करने होते हैं उन्हें भी शुद्ध नहीं पढ़ते। ऐसे पंडितों के प्रति किसी के मन में श्रद्धाभाव नहीं जगेगा।
        हमारे ग्रन्थ हमें समझाते हैं कि शब्द ब्रह्म होता है। उसका अशुद्ध उच्चारण वातावरण को दूषित करता है व कर्णकटु होता है। इससे भी अधिक यह अनर्थ का कारण बनता है। इन सबसे भी बढ़कर यह  अपने यजमानों को हानि पहुँचने का अपराध कराता है। कारण, जिस उद्देश्य से यज्ञ या जप कार्य कराया जाता है वह अशुद्ध उच्चारण के कारण लाभ के स्थान पर हानि कर देता है।
       अब सोचना यह है कि जो अपने व्यवसाय के प्रति ईमानदार नहीं है उससे समाज क्या उम्मीद रख सकता है? इसलिए जिसको अपनी रोज़ी-रोटी जाती दिखेगी वो तो बुरा मानेगा ही। जिन पंडितों को कम दक्षिणा मिलती है तो वो सोचें कि उनको अपने द्वारा किये कर्मकांड के प्रति कितनी निष्ठा है और कितना उनका चिंतन-मनन है!
      कुछ तथाकथित पंडित लोगों के मन में अनावश्यक भ्रम और भय उत्पन्न करके उनका शोषण करते हैं जो निंदनीय कर्म है। ऐसे पाखंडियों से सावधान रहना व दूरी बनाना बहुत आवश्यक है।
     हम अपने धर्म की निंदा कभी नहीं करते पर ढकोसलों पर प्रहार करना अवश्य ही हम सभी सुधी जनों का दायित्व   है। इसमें सेक्युलर होने या कहलाने की कोई बात नहीं है। सभी सहृदय जन अपने-अपने धर्म की रूढ़ियों का विरोध करते हैं। हिन्दू धर्म में मत वैभिन्य सबसे ज्यादा दिखाई देता है। शंकराचार्य जैसी संस्था को भी स्वार्थपूर्ति का माध्यम हिन्दू धर्म में ही बनाया जाता है। पाखंड खंडन या रूढ़ियों का विरोध आज की आवश्यकता है। धर्म वैसे भी व्यक्तिगत मामला है। जिसको जो रुचिकर लगे वो वैसा करे। ऐसी तर्कपूर्ण बातों पर तलवारें तो तनेंगी ही। इसलिए इससे घबराना नहीं चाहिए।

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