शुक्रवार, 19 दिसंबर 2014

चाहत का आधार

चाहत का आधार नहीं, नफरत सी दीवार नहीं
चलो इसे छोड़ो बस, यह तो मेरी सरकार नहीं

आते जाते पाते नाते, तोहफे सबही आधार नहीं
प्यार से सींचो इनको, नफरत का व्योपार नहीं

जीना जग में भला है यारो, घुटके जीना काम नहीं
झूम-झूम खुशियाँ सहेज रे, मायूसी का काम नहीं

ऊपर-नीचे, दाएँ-बाएँ, चारों ओर खबर आम नहीं
जगमग दीप जलाओ, आंधियों का बस काम नहीं

हँसते-गाते जी लो पलभर, रोने का फिर नाम नहीं
भागो-भागो छूकर देखो, लक्ष्य तुम्हारा धाम नहीं

पालो उसको हाथ बढ़ाके, मुड़ जाने का काम नहीं
बार-बार मौके नहीं आते, इतने तो तुम नादान नहीं

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