शुक्रवार, 4 जुलाई 2025

ईश्वर की लीला बड़ी विचित्र

ईश्वर की लीला बड़ी विचित्र

ईश्वर की लीला बड़ी विचित्र है जिसका हम अज्ञानी मनुष्य पार नहीं पा सकते। पल में वह क्या-से-क्या कर देता है? कुछ भी हमें समझ नहीं आता। वह हमें हैरान करता हुआ पल में ही राजा को रंक बना देता है व रंक को राजा बनाकर सिंहासन पर बैठा देता है। देखते-ही-देखते वह आलिशान भवनों को मटियामेट कर देता है। बड़ी-बड़ी सभ्यताओं को यूँ ही पलक झपकते नष्ट-भ्रष्ट कर देता है। उसकी माया वही जाने। बड़े-बड़े ऋषि-मुनि कोई भी इसका भेद आज तक नहीं जान सका।
             आने वाली प्रातः राज्य को प्राप्त करने वाले भगवान राम को अपनी छोटी रानी कैकेयी के हठ के कारण, रातोंरात जंगलों में भटकने के लिए चौदह वर्षों के लिए भेज दिया। उनके साथ ही भाई लक्ष्मण और पत्नी भगवती सीता भी वन में उनके साथ चले गए। बाद में भगवती सीता के हरण का दंश भगवान राम को झेलने के लिए विवश होना पड़ा। अन्ततः हनुमान जी और सुग्रीव आदि की सहायता से भगवती सीता को मुक्त करवाकर अपने देश अयोध्या वापिस आए। फिर गर्भवती सीता मॉं का वन गमन हुआ और अन्त में उनका धरती में समाना भी कष्टप्रद रहा।
            स्वप्न में दान देने वाले सत्यवादी राज हरिश्चन्द्र को राजपाट छोड़कर श्मशान का रखवाला बना दिया। उनकी पत्नी को दासी के रूप में व पुत्र राजकुमार को बिकवा दिया। अन्त में पुत्र की मृत्यु के कारण शोकग्रस्त पति-पत्नी को उसके कफन का मोहताज बना दिया। श्मशान के नियमानुसार कर न दे सकने के कारण मॉं को पुत्र के संस्कार के लिए अपनी आधी साड़ी देनी पड़ी।
            आज जिनकी हम सादर पूजा करते हैं,  आर्यसमाज के प्रवर्तक स्वामी दयानन्द सरस्वती समाज को दिशा देने का कार्य कर रहे थे। उन्हें अपने ही लालची और रिश्वत लेने वाले रसोइए के द्वारा जहर पिलवा दिया। ईसाई मतावलम्बियों के भगवान कहे जाने वाले ईसा मसीह को सूली पर टंगवा दिया।
           इस प्रकार हम नहीं जानते कि वह किसको और कब भाग्यशाली बना दे। उसके सिर पर अपना वरद हस्त रखकर उसे इतिहास में अमर कर दे और सबके सिर-आँखों पर बिठा दे।
            सर्व विदित सत्य है कि लोकप्रसिद्ध रामायण के रचयिता आदिकवि वाल्मीकि अपने जीवन के पूर्वकाल में डाकू थे। ऋषियों को लूटने के लिए पकड़ा तो उन्होंने घर जाकर पूछने के लिए कहा की तुम्हारी इस पाप की कमाई में कौन-कौन भागीदार होगा। पत्नी-पुत्रादि परिवार जनों ने पाप की कमाई में बराबर के भागीदार होने से इन्कार करते हुए उत्तर दिया कि तुम्हारा काम परिवार का पालन करना है। कैसे भी धन कमाओ हमें कोई मतलब नहीं। तुम अपने दुष्कर्मों को स्वयं भोगोगे, हम नहीं।
             इस घटना ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया। कठोर साधना करते हुए वे अमर रामकथा के रचयिता बने। महर्षि वाल्मीकि व उनकी रचित रचना 'वाल्मीकिरामायणम्' दोनों ही इस संसार में प्रसिद्ध हो गए। अनेक परवर्ती रचनाकारों का प्रेरणा स्त्रोत बन गए। इसी प्रकार दुर्दान्त डाकू अंगुलीमाल लोगों की हत्या करके उनकी अंगुली काटकर माला बना देता था। उस डाकू को भी महात्मा बुद्ध की शरण में भेज दिया और महात्मा बना दिया। वे महात्मा बुद्ध के परम‌शिष्य बनकर उनका प्रचार करने लगे।
        महाकवि कालिदास जैसे महामूर्ख जिसे यह भी ज्ञात नहीं था कि जिस पेड़ की टहनी पर बैठकर उसे ही काट रहा था, उसकी शादी परम विदुषी विद्योतमा से करवा दी। फिर उन्हें इतना विद्वान बना दिया कि वे आज भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में प्रसिद्ध व अनुकरणीय हैं। उनके ग्रन्थों का विश्व की अनेक भाषाओं में अनुवाद किया गया है। साँप को रस्सी समझकर अन्धेरी रात में पत्नी के पास पहुँचने वाले उस अन्धप्रेमी तुलसीदास जी से 'रामचरितमानस' लिखवाकर युगों-युगों तक के लिए उन्हें अमर बना दिया।
            इस ईश्वर के चमत्कारों का बखान करने लगें तो न जाने कितने जन्म बीत जाएँगे पर उसकी लीलाओं का, चमत्कारों का वर्णन समाप्त नहीं होगा। ऐसे उस महान प्रभु की शरण में जाने से ही सद् गति मिलती है। वह किसी का भी अहंकार सहन नहीं करता। रावण, हिरण्यकश्यप जैसे शक्तिशालियों की भी गर्वोक्तियाँ को सहन नहीं करता जो स्वयं को भगवान मानने लगे थे। उनको भी उसने नष्ट कर दिया। रावण का वध श्रीराम जी के हाथों हुआ। हिरण्यकश्यप का वध नृसिंह भगवान के द्वारा किया गया।
        जितना विनम्र व जिज्ञासु बनकर हम उसकी शरण में जाएँगे, उतना ही उसके हृदय में स्थान पाएँगे। इसका कारण है कि वह अपनी शरण में सच्चे मन से आए हुए जीवों को निराश नहीं करता। उसे केवल हमारे अन्तस् के भाव ही भाते हैं। उसे दिखावे या प्रदर्शन से उसे हम कदापि प्राप्त नहीं कर सकते। वह अपने सच्चे भक्तों की कठोर परीक्षाएँ लेता है। उन्हें कुन्दन की तरह शुद्ध और पवित्र बनाता है। जो भक्त उसकी कसौटी पर खरे उतरते हैं, वे ही उसके प्रिय बनते हैं अन्य नहीं।
चन्द्र प्रभा सूद 

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