सोमवार, 18 अगस्त 2025

हर वस्तु की अपनी उपादेयता

हर वस्तु की अपनी उपादेयता 

 हर वस्तु चाहे वह छोटी है या बड़ी, उसका हमारे जीवन में अपना ही एक स्थान व उपादेयता होती है। इसलिए किसी छोटी-से-छोटी वस्तु की भी अवहेलना नहीं करनी चाहिए। न ही किसी को बड़ा मान कर उसे अपने सिर पर ही सवार होने देना चाहिए। अन्यथा कुछ समय पश्चात वही हमारे लिए मुसीबत बन जाता है। तब हमें बहुत कष्ट होता है पर फिर हम कुछ कर नहीं सकते।
             यहॉं हम तिनके का उदाहरण लेते हैं। तिनके को हम बहुत तुच्छ वस्तु मानते हैं। तिनके जैसी तुच्छ चीज जिसको हम फूँक मारकर उड़ा देते हैं। उसकी हमारे जीवन में कोई उपादेयता नहीं होती। पर जब तेज हवा के चलने से यही तिनका आँख में गिरता है तो बड़ा कष्ट देता है। कितने समय तक आँख में लाली बनी रहती है। उसमें भयंकर पीड़ा होती है यानी कि- 'पीड़ घनेरी होय।' तब हमें उसका समझ में आता है कि उसका भी कोई महत्त्व होता है।
           हम  प्रायः अपने घर में देखते हैं कि वस्त्रों की सिलाई के लिए हमेशा सुई जैसी छोटी-सी वस्तु का प्रयोग किया जाता है। यदि सुई न हो तो हम कपड़ों की सिलाई या मुरम्मत का कार्य नहीं कर सकते। वहाँ तलवार जैसी बड़ी व मारक वस्तु का प्रयोग नहीं कर सकते। तलवार रूपी शस्त्र की आवश्यकता युद्ध के मैदान में होती है जहाँ शत्रु का मुकाबला किया जाता है। वहाँ यदि तलवार के स्थान पर सुई लेकर जाएँगे तो निश्चित ही शत्रु हम पर हावी हो जाएगा। रहीम जी ने निम्न दोहे में यही बात कही है -
   रहिमन देख बड़ें को, लघु न दीजिए डारि।
   जहां काम आवे सुई, कहा करें तरवारि।।
अर्थात् रहीम ने इस दोहे में बताया है कि हमें कभी भी बड़ी वस्तु की चाहत में छोटी वस्तु को फेंकना नहीं चाहिए क्योंकि जो काम एक सुई कर सकती है वही काम एक तलवार नहीं कर सकती। अत: हर वस्तु का अपना अलग महत्व है। ठीक इसी प्रकार हमें किसी भी इन्सान को छोटा नहीं समझना चाहिए। जीवन में कभी भी किसी की भी जरूरत पड़ सकती है। सभी अच्छा व्यवहार बनाकर रखना चाहिए।
             इसलिए जहाँ जिस वस्तु की आवश्यकता होती है वहाँ उसका उपयोग करना ही सदा बुद्धिमत्ता होती है। अगर हम ऐसी मूर्खता करने की सोचेंगे तो जग में हँसी का पात्र बनेंगे। इसलिए जहाँ सुई की आवश्यकता है वहाँ हम सुई का प्रयोग करेंगें और जहाँ तलवार की जरूरत है वहाँ तलवार का प्रयोग करेंगे।
             हर वस्तु चाहे वह छोटी हो या बड़ी उसका अपना महत्त्व होता है। एक के होते हुए हम दूसरी को नजरअंदाज नहीं कर सकते। हमें घर-परिवार में सभी वस्तुओं की आवश्यकता होती है। जब किसी एक वस्तु की हमें जरूरत होती है और वह समय पर हमें न मिले तो परेशान हो जाते हैं। जो भी हमारे सामने पड़ता है उसी पर हम झल्लाने लगते हैं, चीखते-चिल्लाते हैं। जब तक आवश्यक वस्तु को हम जुटा नहीं लेते हमें पलभर भी चैन नहीं मिल पाता।    
          इसी प्रकार अपने जीवन में मिलने वाले सभी लोगों की हमें आवश्यकता होती है। अगर हम यही सोचते रहेंगे कि अमुक व्यक्ति छोटा है हमें उसकी जरूरत क्योंकर पड़ने लगी? तो हम गलत सोचते हैं। घर में कामवाली या नौकर के बिना हम एक दिन भी बिताने में असहाय अनुभव करते हैं।
सारा घर अस्त-व्यस्त हो जाता है। इसी तरह ड्राइवर के बिना कहीं आनेजाने के लिए लाचार हो जाते हैं। धोबी के बिना हम कपड़े प्रेस करवाए बिना बाहर नहीं जाया जा सकता। माली के बिना घरेलु पौधों की देखभाल में हमें कठिनाई का सामना करना पड़ता है। सफाई कर्मचारी न हो तो घर-बाहर हर ओर गंदगी फैल जाएगी जिससे चारों ओर दुर्गन्ध व बीमारियाँ फैलने लगती हैं। इलेक्ट्रिशियन, कारपेंटर या प्लंबर न मिले तो छोटे-मोटे सुधार कार्य नहीं हो पाते। इनके बिना भी हमारी रोजमर्रा की जिन्दगी नरक बन जाती है। 
            मात्र केवल बड़े लोगों से दोस्ती करेंगे और छोटों का तिरस्कार करेंगे तो हमारा जीवन दुष्वार हो जाएगा। यही मानकर चलिए कि हमें अपने जीवनकाल में सबकी आवश्यकता होती है। इसलिए बड़े लोगों की ही तरह छोटे लोगों को भी उतना ही सम्मान दें। उन्हें पैर की जूती की तरह समझने की भूल न करें।
चन्द्र प्रभा सूद

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