शुक्रवार, 8 अगस्त 2025

भाई-बहन का प्यार

भाई-बहन का प्यार 

भाई-बहन का सम्बन्ध अटूट होता है। यह ईश्वर की ओर से दिया गया एक अनमोल उपहार है। एक घर तभी पूर्ण कहा जाता है जहॉं पर बेटी और बेटा दोनों होते हैं। ये दोनों अर्थात् भाई और बहन एक-दूसरे के पूरक होते हैं। भाई यदि घर की शान होता है तो बहन घर का मान होती है। बहन के लिए भाई का और भाई के लिए बहन का प्यार अमूल्य होता है। भाई-बहन का रिश्ता बहुत गहरा होता है। यह रिश्ता प्यार, देखभाल और कभी-कभी झगड़ों से भरा होता है। हमेशा एक-दूसरे के प्रति इन दोनों का एक मजबूत बन्धन होता है।
            भारतीय संस्कृति में भाई-बहन का बन्धन अनमोल माना जाता है। मृत्युपर्यन्त भाई इस रिश्ते को अपना कर्तव्य के समझकर, अपनी हैसियत के अनुसार भली-भाँति निभाता है। इसी रिश्ते के प्रतीक-स्वरूप रक्षाबन्धन व भैयादूज त्योहार मनाए जाने हैं। ये सामाजिक त्योहार भाई-बहन के प्रगाढ़ बन्धन के प्रतीक हैं। रक्षाबन्धन जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इस त्योहार में बहन अपने भाई को राखी के रूप में रक्षाकवच बाँधती है और भाई उसे यथाशक्ति उपहार देकर आयुपर्यन्त रक्षा उसकी करने का वचन देता है। 
             भैयादूज पर बहन भाई के माथे पर तिलक लगाती है। भाई सामर्थ्यानुसार बहन को उपहार देता है। भाई चाहे छोटा हो या बड़ा हमेशा अपनी बहन का सहारा बनता है। बहन को भी अपने भाई पर मान होता है। माता-पिता के न रहने के पश्चात बहन का मायका भाई-भाभी से बना रहता है। भाई-बहन बड़े चाव से एक-दूसरे की खुशियों के साथी बनते हैं। भारतीय संस्कृति में बहन की जब शादी होती है तो भाई उसके हाथ में खील या लाजा डालता है। जब भाई का विवाह होता है तो बहन बड़ी हसरतों से उसके माथे पर सेहरा सजाती है। बहन के बच्चों की शादी में भाई मायरा देता है।
            इस प्रकार भाई-बहन का एक-दूसरे से अटूट प्यार और समर्थन उनकी पूॅंजी होती है। दोनों एक-दूसरे की परवाह करते हैं, देखभाल करते हैं। यह प्यार बचपन से ही शुरू होता है और जीवन भर बना रहता है। भाई-बहन एक-दूसरे के लिए सुरक्षा और समर्थन का स्रोत होते हैं। कठिनाई के समय वे एक-दूसरे की दिल से मदद करते हैं। कन्धे-से-कन्धा मिलाकर साथ खड़े रहते हैं। भाई-बहन के बीच कभी-कभी झगड़े भी होते हैं और प्रतिस्पर्धा भी होती है। यह सब उनके पवित्र प्यार का ही एक हिस्सा होता है।
         ‌   भाई-बहन एक-दूसरे के दोस्त और साथी भी होते हैं। ये दोनों हमराज होते हैं। एक-दूसरे के साथ ये समय बिताना पसन्द करते हैं। एक-दूसरे की कम्पनी का आनन्द लेते हैं। इन दोनों में रिश्ता जीवन भर बना रहता है। समय अथवा स्थान की दूरी इस रिश्ते में मायने नहीं रखती। एक-दूसरे से दोनों सामाजिक कौशल सीखते हैं। बातों, कामों या किन्हीं अन्य वस्तुओं को आपस में साझा करते हैं ।परस्पर एक-दूसरे का सहयोग करते हैं। एक-दूसरे को अपने मम्मी-पापा के गुस्से से बचाने काम करते हैं। उस स्थिति में ये दोनों एक-दूसरे का रक्षा कवच बन जाते हैं।
              भाई-बहन को एक-दूसरे का भावनात्मक समर्थन प्राप्त होता हैं। परिवार में रहते वह उनके भावनात्मक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।‌ भाई-बहन एक-दूसरे को प्रोत्साहित करते रहते हैं और आत्मविश्वास बढ़ाते रहते हैं। भाई-बहन के साथ रहने के कारण वे अन्य रिश्तों को भली-भॉंति समझ पाते हैं। यद्यपि आज के भौतिकतावादी युग में ये सम्बन्ध भी अछूता नहीं रहा। कहीं-कहीं किन्हीं परिवारों में धन-संपत्ति को लेकर भाई-बहन के संबंधों में कुछ कड़वाहट अवश्य आ गई हैं। पर वे कुछ परिवार अंगुलियों पर गिने जा सकते हैं।
            यहाँ मैं एक बात और स्पष्ट करना चाहती हूँ कि जिस धर्म में अपने रक्त सम्बन्धों में विवाह की अनुमति है, वहाँ भी सगे भाई-बहन में विवाह निषिद्ध है। इस कथन का यहॉं संकेत करने का यही तात्पर्य है कि भाई-बहन का सम्बन्ध बहुत ही पवित्र है इसे उन दोनों को ही सच्चे मन से निभाना चाहिए। यहाँ पर हम यह बात भी जोड़ सकते हैं कि भारतीय संस्कृति में यदि सगी बहन न होते हुए, किसी युवती को बहन मान लिया जाता है तो उसके साथ भी ताउम्र वैसा ही सम्बन्ध निभाया जाता है जैसा रिश्ता अपनी सगी बहन के साथ निभाया जाता है।
           आधुनिकता की अन्धी दौड़ और पाश्चात्य प्रभाव के कारण कुछ भाई और बहनों में विवाद होने लगा है। माता-पिता की धन-सम्पत्ति के बटवारे में कुछ बहनें अपना हिस्सा मॉंगने लगी हैं। यदि उनकी इस इच्छा को नहीं माना जाता तो मामला कोर्ट-कचहरी तक चला जाता है। ऐसे घरों में दोनों भाई-बहन में मन मुटाव हो जाता है। वहॉं आपसी सम्बन्ध समाप्त हो जाते हैं। उन दोनों में दूरियॉं इतनी बढ़ जाती हैं कि वे एक-दूसरे का मुॅंह तक नहीं देखना चाहते। आजकल वैधानिक तौर पर माता-पिता की सम्पत्ति में सभी भाई-बहनों का बराबर का अधिकार कहा गया है।
              कुछ अपवादों को छोड़कर अभी भी बहनें अपने माता-पिता की सम्पत्ति में अपना अधिकार भाई के लिए छोड़ देती हैं। ईश्वर से  प्रार्थना है कि भाई और बहन के इस अनमोल रिश्ते की पवित्रता को बनाए रखे।
चन्द्र प्रभा सूद 

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