जल ही जीवन
जल मनुष्य जीवन के लिए एक संजीवनी शक्ति है। इसके बिना मनुष्य का जीवन कुछ पल भी नहीं चल सकता। 'जल ही जीवन है'- यह पंक्ति मनुष्य जीवन के लिए बिल्कुल सटीक बैठती है। यह जल हम सभी जीवों की जीवनदायिनी शक्ति है। निस्सन्देह जल के बिना हमारा कोई अस्तित्व ही नहीं रह जाता। जल के बिना हमारे दैनन्दिन कार्य पूर्ण नहीं हो सकते। पानी की कमी होने पर हमारा शरीर भी जवाब देने लगता है।
जल के बिना हमारे सभी कार्य ठप्प हो जाऍंगे। यानी कि शरीर की, गन्दे हुए घर की, मैले वस्त्रों की, झूठे बर्तनों की, गाड़ियों आदि की सफाई कदापि सम्भव नहीं हो सकती। हमारा भोजन इस जल के बिना नहीं बन सकता। हमारे वस्त्र इस जल के बिना मैले ही रह जाऍंगे। वातावरण में चारों ओर दुर्गन्ध का साम्राज्य हो जाएगा। हमारे जीवन पर संकट के बादल मण्डराने लगेंगे। कई प्रकार की बीमारियॉं अपने पैर पसारने लगेंगी। चारों ओर त्राहि-त्राहि मच जाएगी।
यदि कभी एक दिन भी हमारे घर में पानी न आए और वह समाप्त हो जाए तो उस स्थिति की कल्पना करना बहुत ही कठिन है। उस समय हम हर सम्भव यत्न करते हैं। पैसा खर्च करके अपने घर के पानी के टैंक भरवा लेते हैं जिससे हमें जल के इस संकट से न झूझना पड़े। यह सत्य है कि इस पानी को हम जाने-अनजाने बर्बाद भी करते हैं। हमें उसके लिए कोई पछतावा नहीं होता। उस समय हम भूल जाते हैं कि इसके न मिलने पर हमारा जीवन नरक बन जाता है।
डॉ जेफरी उटज़ का कहना है कि मनुष्य के शरीर में अन्य सभी खनिज आदि के साथ 60% पानी होता है। पैदा होते बच्चे के शरीर में 78% पानी होता है और जब वह एक वर्ष का होता है तो 65% पानी उसके शरीर में रह जाता है। पृथ्वी पर 72% जल है जिसमें 97% खारा या नमकीन पानी है। इसका उपयोग हम नहीं कर पाते।
जल हमारे यातायात का भी साधन है। पानी के जहाज मनुष्यों और सामान को इधर-उधर ले जाते हैं। नौकाओं से नदी पार करके आवागमन करते हैं। नौका की सैर का भी आनन्द उठाते हैं। इस जल को पूल में छोड़कर तैराकी करते हैं। इस जल के कारण ही हमारा जीवन सुखमय होता है। जो भी अन्न, सब्जी आदि हम खाते हैं, उनकी उत्पत्ति भी जल के बिना सम्भव नहीं। किसान दिन-रात परिश्रम करके हमारे लिए अन्न व सब्जियाँ उगाता है और हम उन्हें चटखारे लेकर खाते हैं।
सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि जीवन के सारे आनन्द हम इस जल की बदौलत ही उठाते हैं। बिजली भी जल से ही बनती है और उसी से हमारे घरों के सभी उपकरण- फ्रिज, टीवी, एसी, फूड, प्रोसेसर, वाशिंग मशीन, माइक्रोवेव आदि चलते हैं। इसी की दूधिया रौशनी में हमारे घर और शहर खूब जगमगाते हैं। यदि जल से बनने वाली बिजली न होती तो ये सभी अविष्कार न हो पाते। तब हमारा जीवन इतना सुखपूर्वक व्यतीत नहीं हो सकता था। सच में हम ऐसे जीवन की कल्पना करके ही कॉंप उठते हैं।
विचारणीय है कि जिस जल के बिना हम एक पल की भी कल्पना नहीं कर सकते उसकी बरबादी करते हैं। उसे व्यर्थ नष्ट करते समय हम भूल जाते हैं कि जब जल इस पृथ्वी पर नहीं बचेगा तब हम क्या करेंगे? इस अमृत को हम स्वयं प्रदूषित कर रहे हैं। इसमें फैक्ट्रियों का गन्दा पानी डालते हैं। सीवर का पानी इसमें छोड़कर इसे दूषित करते हैं। इस तरह से हमारे द्वारा प्रदूषित किया गया जल हमारे ही लिए बीमारियों का कारण बन जाता है। उससे होने वाली मौतों का ऑंकड़ा बढ़ जाता है।
जल को हम सोच-समझकर खर्च नहीं करते। पानी बह रहा है तो हम परवाह नहीं करते। दाँतों पर ब्रश करते समय, शेव करते समय पुरुष सारा समय नल खुला छोड़ देते हैं। ऐसे ही बाल्टी के स्थान पर फव्वारे के नीचे स्नान करते समय भी पानी व्यर्थ गॅंवाते हैं। पशुओं को नहलाने और गाड़ियों की धुलाई में हम अन्धाधुन्ध जल बहाते हैं। इसी प्रकार घरों और सड़कों पर पाइप लाइनों से पानी लीक होता रहता है। थोड़ा-सा ध्यान देने पर पानी की बरबादी व सम्भावित परेशानियों से बचने के प्रयास हम कर सकते हैं। बारबार विद्वान हमें चेतावनी देते हैं कि तीसरा विश्व युद्ध जल के लिए ही होगा।
जल का अपना कोई भी रंग-रूप नहीं होता। अर्थात् जिस पात्र में उसे डालकर रखा जाएगा उसका रूप वैसा ही होगा। अपने घर में विविध पात्रों में इसे डालकर अनुभव कर सकते हैं। जिस रंग को इसमें मिला देते हैं, यह उसी ही रंग का हो जाता है। हम कह सकते हैं कि मनुष्य को भी जल की तरह हर परिस्थिति में ढल जाना चाहिए। इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि मनुष्य दूसरों की बातों आने वाला बन जाए या कान का कच्चा बनकर हानि उठाए।
जल मानव जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी है। यथासम्भव इसके संरक्षण का उपाय करना चाहिए। आजकल वाटर हारवेस्टिंग की चर्चा जोरों पर है। शायद इसी से ही कुछ जल संरक्षित हो सके। सरकार, स्वयंसेवी संस्थाओं और हम सबको मिलकर जल को बचाना होगा तभी जीवनदायिनी इस शक्ति को बचाया जा सकता है।
चन्द्र प्रभा सूद
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