रविवार, 5 अक्टूबर 2025

भोजन शाकाहारी हो या मांसाहारी

भोजन शाकाहारी हो या मांसाहारी

भोजन शाकाहारी हो या मांसाहारी इस विषय पर चर्चा युगों से चली आ रही है। कुछ लोग शाकाहारी भोजन पसन्द करते हैं जबकि अन्य मांसाहारी भोजन पसन्द करते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के अनुसार अपना आहार चुनें। शाकाहारी लोग इसके पक्ष में अपनी दलीलें देते हैं और मांसाहारी लोग अपनी दलीलें देते हैं। इन दोनों के ही तर्कों को लोग अपने-अपने लाभ के लिए प्रयुक्त करते हैं।
              आप शाकाहारी हों या मांसाहारी, यह महत्वपूर्ण है कि आपको एक सन्तुलित आहार लेना जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व शामिल हों। यह व्यक्तिगत प्राथमिकताओं और स्वास्थ्य लक्ष्यों पर निर्भर करता है। शाकाहारी भोजन कुछ लोगों के लिए स्वास्थ्यप्रद विकल्प हो सकता है जबकि मांसाहारी भोजन दूसरों के लिए बेहतर हो सकता है। कुछ स्वास्थ्य रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों प्रकार के आहार के अपने लाभ और हानि हैं। 
              वैसे तो कुछ लोग अपने फायदे के लिए कहते हैं कि यज्ञों में भी पशुओं की बलि दी जाती थी। इसके लिए मन्त्रों के प्रमाण भी देते हैं। मन्त्रों में गो, अज आदि शब्दों का प्रयोग अवश्य किया गया है पर ये शब्द पशुओं के लिए नहीं थे। ये इन्द्रियों के लिए प्रयुक्त किए गए शब्द हैं जिन्हें वश में करके मोक्ष की राह पर आगे बढ़ना है। उस समय तथाकथित विद्वानों ने अपने स्वार्थ के लिए पशुबलि की प्रथा को जन्म दिया। 
            जब भगवान बुद्ध और महावीर ने यज्ञ में पशुबलि का विरोध किया तो उन्हें वेद  निन्दक कहकर अपमानित और बहिष्कृत किया गया। स्वामी दयानन्द सरस्वती सहित अनेकश: समाज सुधारकों ने इस मांसाहार का विरोध किया।
             शाकाहार हमें अधिक स्वस्थ रखता है। शाकाहारी भोजन आमतौर पर फाइबर, विटामिन, और खनिजों से भरपूर होता है। कुछ अध्ययनों के अनुसार, शाकाहार हृदय रोग, मधुमेह और कुछ प्रकार के कैंसर के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है। शाकाहार में, लोग केवल पौधों से प्राप्त खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, जैसे फल, सब्जियॉं, अनाज, दालें, और बीज। 
              मांसाहार खाने वाले अपेक्षाकृत अधिक रोगी बनते हैं। मांसाहारी भोजन में संतृप्त वसा और कोलेस्ट्रॉल अधिक हो सकता है जो हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे को बढ़ा सकता है। मांसाहार में लोग मांस, मछली और अण्डे जैसे पशु उत्पादों का भी सेवन करते हैं। इस मांसाहार से मनुष्य में तामसिक वृत्तियाँ बढ़ती हैं। क्रोध, हिंसा, असहिष्णुता आदि की वृद्धि होती है।
             पहली बात तो यह है कि हर पशु-पक्षी में आत्मा का वास होता है। ईश्वर यह कदापि आज्ञा नहीं देता कि हम उसकी बनाई सृष्टि को नष्ट करें। हमारे बच्चों को काँटा भी चुभता है तो हम परेशान हो जाते हैं। परन्तु उस परमपिता की जिन्दा सन्तानों को हम मारकर खा जाते हैं। एक बात आजतक मेरी समझ में नहीं आई कि एक मनुष्य यानी जीव को मारने पर आजीवन कारावास की सजा मिलती है तो उन निरीह जीवों को मारने की सजा का क्या प्रावधान है? शायद उनका न्याय उस बड़ी अदालत में होता है।
              ईश्वर ने अपनी सृष्टि को बैलेंस करने के लिए खुद ही विधान बनाया है। कुछ जीव उसने शाकाहारी बनाए हैं और कुछ मांसाहारी जीव बनाए हैं। समय-समय पर प्राकृतिक आपदाओं के माध्यम से जीवों का सामंजस्य बिठा देता है।
        कुछ दिन पूर्व किसी मित्र ने फेसबुक पर पोस्ट लगाई थी कि अब विज्ञान ने भी मांसाहार के नुकसान सिद्ध किए हैं। उसमें भाषा की अशुद्धियों को दूर करके मैं उन्हें यथावत आपके समक्ष रख रही हूँ। यदि किसी को उन मित्र का नाम याद आ जाए तो बता दें ताकि उनका नाम लिख सकूँ। वैसे उनका मैं हृदय से धन्यवाद करती हूँ कि उन्होंने ये विचार हमारे साथ साझा किए।
1. दिल के दौरे का खतरा 23 गुणा अधिक
2. कैलोस्ट्रोल की मात्रा खतरनाक स्तर तक ले जाता है। 
3. कैंसर के 8०% रोगी मांसाहारी हैं।
4. दुनिया के 95% वैज्ञानिक शाकाहारी हैं
5. दुनिया के 98% समाजसेवी शाकाहारी हैं।
6. मनुष्य के दाँत शाकाहारी जीवों जैसे हैं।
7. मनुष्य के पेट आंत और लीवर की कार्य प्रणाली शाकाहारी जीवों जैसी है।
8. हर बिमारी के आसार मांसाहार में अधिक पाए जाते हैं।
9. हत्या के समय पशु की चीख पुकार ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा कारण है।
10. मांसाहार शाकाहार से 1000 गुणा अधिक पानी बरबाद करता है।
11. मांसाहार हिंसक और स्वार्थी विचार बढ़ाता है।
12. अमेरिका में हर साल 20% लोग शाकाहारी बन रहे हैं।
13. दुनिया में भूख से मरने वाले 35000 लोगों को शाकाहार बचा सकता है।
14. धर्म न सही विज्ञान की मानें और शाकाहार अपनाकर स्वस्थ रहें।
        अब आप सुधीजन अपनी तर्क की कसौटी पर परखें। रोगों के आ जाने पर तो डाक्टरों के परामर्श से शाकाहार अपनाना ही पड़ता है।
चन्द्र प्रभा सूद 

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