सोमवार, 16 जून 2025

नारी सशक्तिकरण

नारी सशक्तिकरण

नारी सशक्तिकरण की चर्चा आज चारों ओर बड़े जोर शोर से हो रही है। यह समस्या केवल भारत की ही नहीं है अपितु समूचे विश्व की है। सोचने की बात यह है कि मात्र केवल भाषण देने या कुछ लेख लिख देने से अथवा कानून बना देने से इस समस्या का समाधान सम्भव नहीं हो सकता। इक्कीसवीं सदी के सभ्य कहे जाने वाले इस समाज में नारी उत्पीड़न की घटनाओं में दिन-प्रतिदिन बढ़ोत्तरी होती जा रही है। पुरुष मानसिकता में कुछ बदलाव आ रहा है, ऐसा प्रतीत नहीं होता।
             अपनी महान भारतीय संस्कृति की अनुपालना करने वाले हमारे देश में स्त्री को देवता मानकर सम्मान देने की परम्परा है। इसीलिए भगवान मनु विरचित 'मनुस्मृति:' के इस श्लोक में हमें समझाया है -
    यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता:।
    यत्रैतास्तु न पूजयन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:।।
अर्थात् जिस घर में नारी की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं। और जहॉं इनकी पूजा या सम्मान नहीं होता, वहॉं किए गए समस्त कार्य निष्फल हो जाते हैं।
           दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि जिस घर में नारी का यथोचित सत्कार किया जाता है वहाँ सुख, शान्ति व समृद्धि का साम्राज्य होता है। घर की गृह लक्ष्मी जब प्रसन्न रहेगी तो घर में सकारात्मक वातावरण रहता है। वह घर मानो स्वर्ग बन जाता है। इसके विपरीत उसके दुखी या परेशान रहने से घर मानो युद्ध का अखाड़ा बन जाता है। उस घर की सुख-समृद्धि रूठ जाती है। नारी का सम्मान करने का निर्देश देने वाले हमारे भारत देश में आज उसकी शोचनीय अवस्था वाकई गम्भीरता से विचार करने योग्य है।
               इस अवस्था से उभरने के लिए नारी को स्वयं ही झूझना होगा। उसे अपना स्वाभिमान बचाने के लिए कटिबद्ध होना पड़ेगा। पहले उसे अपने लिए आवाज उठानी होगी। अपने अधिकारों के प्रति सजग होना होगा। सबसे बढ़कर अपनी शक्ति को पहचानना होगा। जब तक वह स्वयं होकर आगे नहीं बढ़ेगी तब तक उसकी सहायता न कोई कानून कर सकेगा और न ही कोई अन्य इन्सान।
            शहरों में स्त्री अपनी पहचान बनाने की भरसक कोशिश कर रही है। वह उच्च शिक्षा ग्रहण कर रही है। शिक्षा, ज्ञान, विज्ञान, खेलकूद, राजनीति, संगीत, फिल्म आदि सभी क्षेत्रों में अपना स्थान बना रही है। अपना वर्चस्व स्थापित कर रही है। इसके साथ ही घर, परिवार व समाज के प्रति अपने दायित्वों का निर्वाहण भी कर रही है। शहरों के में तो नारियाँ अपने स्वास्थ्य और कैरियर के प्रति सजग हो रही हैं। गाँवों में भी नारी सशक्तिकरण की उतनी ही महती आवश्यकता है। नारी को शहरों के साथ-साथ गाँवों में भी आगे बढ़कर अपने स्वाभिमान को बनाए रखना होगा। छोटे शहरों या गॉंवों में भी महिलाओं को आगे बढ़ने का प्रयास करना होगा। उन्हें भी अपनी बुद्धिमत्ता का लौहा मनवाना होगा।
            नारी को सशक्त होने के लिए आर्थिक  रूप से भी निर्भर होने की आवश्यकता है ताकि उसे किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े। इसलिए उसका शिक्षित होना बहुत आवश्यक है। अपनी इस आवश्यकता को वह समझने लगी है इसलिए उच्च शिक्षा ग्रहण कर रही है। हर वर्ष के आंकड़ों में विविध परीक्षाओं में लड़कियाँ लड़कों से बाजी भी मार रही हैं।
           अपनी योग्यता के बल पर वह सभी प्रकार के कम्पीटीशन में सफल होकर अपने कैरियर की ऊँचाइयों को छू रही है। देश-विदेश जहाँ भी उसे मौका मिलता है, वह उस अवसर का भरपूर लाभ उठा रही है। उच्च पदों पर आसीन होकर सबको आश्चर्यचकित कर रही है। किसी भी क्षेत्र में वह अपने पुरुष साथियों से कमतर नहीं है बल्कि उनके लिए ईष्या का कारण भी बन जाती है।
            अपनी सुरक्षा के लिए उसे मार्शल आर्ट आदि भी सीखना चाहिए। इसके साथ ही उसे अपने अधिकारों की अर्थात् कानून की जानकारी भी रखनी होगी ताकि विपरीत समय आने पर उसे किसी दूसरे का मुँह न देखना पड़े। वह स्वयं में इतनी सक्षम हो जाए कि बिना किसी की सहायता के सभी समस्याओं से निपटा सके।
             संविधान में बहुत से कानून महिलाओं की सुरक्षा के लिए बने हुए हैं। बहुत-सी सरकारी और सामाजिक संस्थाएँ भी उनकी मदद करने के लिए प्रस्तुत रहती हैं। परन्तु हम चाहते हैं कि आज नारी को किसी पर आश्रित नहीं रहना चाहिए। उसे अपनी शक्ति को टटोलना होगा। अपने डर से मुक्त होकर उसे अन्तस को सुदृढ़ बनाना होगा। तभी वह समाज पर अपनी छाप छोड़ सकने में समर्थ हो सकती है।
चन्द्र प्रभा सूद 

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