गुरुवार, 5 अक्तूबर 2017

बेटियाँ

नन्हें नन्हें पैरों में
पायल पहने हुए
रुनझुन करती बेटियाँ
घर के कोने कोने में इधर-उधर भागती हैं।

उस समय
घर का हर सदस्य
हृदय में खुशियाँ लिए
स्वयं को धन्य मानता बलिहारी होता है।

बेटी सीने से
जब लगती है
अपने माँ-पाप के
तब मानो स्वर्ग का सुख घर में आ जाता।

बेटी है तो घर
घर बन जाता है
सदा रौनक रहती है
उसके होने से आ जाता घर में अनुशासन।

सब सदस्यों की
चिन्ता करती है वह
सबके लिए ही जीती है
उसमें ही बसते घर और परिवार के प्राण।

दूसरे घर जाने से
नहीं कम हो जाती
उसकी वह चिन्ता जो
करती है अपने माता-पापा की सारे समय।

जरा भी मिले
उसे समय तो वह
मानो उड़कर आ जाती
बिना समय व्यर्थ गंवाए पल में उनके पास।

उनके सुख-दुख
साझा करती हुई
सम्बल बन जाती है
अपने माँ-पापा का जीवन भर यह बेटी ही।

आपकी प्यारी और
दुलारी ऐसी बेटी यह
न देखे कभी मुँह किसी का
उसे अपने पैरों खड़ा होने योग्य बनाना होगा।

घर का मान-सम्मान
अपनी बेटी को सदा ही
सुसंस्कारित करने का अपना
दायित्व निभा समाज को नगीना देना होगा।
चन्द्र प्रभा सूद
Email : cprabas59@gmail.com
Blog : http//prabhavmanthan.blogpost.com/2015/5blogpost_29html
Twitter : http//tco/86whejp

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें