रविवार, 3 फ़रवरी 2019

परीक्षा का समय

आजकल बच्चों की वार्षिक परीक्षा का समय आ गया है। परीक्षा का समय जब आता है तो हर घर में कर्फ्यू जैसी स्थिति बन जाती है। यदि बोर्ड की परीक्षा हो तो हालात और भी भयावह हो जाते हैं। यह समय घर में बैठकर पढ़ने का होता है। सारे वर्ष के अथक परिश्रम को सफल करने का होता है। जब तक बच्चों की परीक्षा समाप्त नहीं हो जाती, तब तक सभी गतिविधियाँ स्थगित कर दी जाती हैं। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि न किसी सम्बन्धी के घर पर आना-जाना, न ही किसी को अपने घर पर बुलाना होता है। शादी-ब्याह अथवा पार्टी से भी परहेज करना होता है। टी.वी. देखने पर बैन लग जाता है, खेलने जाने को समय की बर्बादी माना जाता है।
          कुल मिलाकर हर ओर से स्वयं को काटकर पुस्तकों की दुनिया में खो जाना ही एकमात्र उद्देश्य होता है। इसके साथ-साथ यह भी सच है कि हर माता-पिता की हार्दिक इच्छा होती है कि उनके बच्चे परीक्षा में अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण हों। बच्चों के अच्छे परीक्षाफल के कारण सभा-सोसायटी में उनका सिर ऊँचा हो जाए। वे गर्व से अपने बच्चों की पीठ थपथपा सकें। उनकी प्रशस्ति में कसीदे पढ़ सकें।
          माता-पिता के मन की यही प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष भावना बच्चों के लिए तनाव या प्रैशर का कारण बनती जा रही है। बच्चों के दिन-रात का चैन खोता जा रहा है। हर समय घर में बस एक ही धुन सुनाई देती है,
          पढ़ लो भाई, समय बर्बाद मत करो।
          यह समय बार-बार नहीं आएगा।
ऐसे में बच्चा बेचारा क्या करे? अब सोचने की बात यह है कि चौबीसों घण्टे तो बच्चा पढ़ नहीं सकता। उसके दिमाग को भी थोड़ा-से आराम करने की आवश्यकता होती है। उसके शरीर को स्वस्थ रखने के लिए खेल की आवश्यकता होती है। बच्चे को स्वयं को तरोताजा रखने के लिए थोड़े समय के लिए अवश्य खेलना चाहिए। मस्तिष्क को आराम देने के लिए बच्चे थोड़े समय के लिए टी.वी. देख सकते हैं अथवा अपने किसी मित्र से पाठ्यक्रम पर चर्चा कर सकते हैं।
           यदि बच्चे समय सारिणी बनाकर पढ़ाई करें तो उन्हें किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी। हर विषय को निश्चित समय देने से कोई भी विषय छूटेगा नहीं। एक बात का विशेष ध्यान देना चाहिए कि जो विषय अधिक पसन्द हैं, उसे अधिक समय देने से शेष अन्य विषयों के साथ न्याय नहीं हो सकेगा। सबसे विशेष ध्यान यह रखना चाहिए कि पढ़ते समय जब नींद आने लगे, उस समय गणित विषय को पढ़ा जा सकता है। इस तरह नींद भाग जाएगी और समय का सदुपयोग भी हो जाएगा। यह छोटे-छोटे टिप्स हैं, जिनका पालन करने से पढ़ाई अच्छी तरह हो सकती हैं।
          माता-पिता का कर्त्तव्य बनता है कि वे अपने बच्चों का आत्मविश्वास कभी कमजोर न पड़ने दें। समय-समय पर उन्हें परीक्षा से न डरने के लिए समझाते रहें और बच्चों के समक्ष स्वयं सामान्य बने रहें। न तो खुद घबराएँ और न ही अपने बच्चों पर अनावश्यक दबाव बनाएँ। एक बच्चा दूसरे बच्चे से हर मायने में अलग होता है। अपने बच्चे की उन्नति के लिए उसकी तुलना दूसरे बच्चों से करके उसे हतोत्साहित नहीं करना चाहिए। इसके अतिरिक्त अपने बच्चे का आत्मविश्वास डिगाने वाले अथवा हतोत्साहित करने वाले शब्दों से उसका मनोबल नहीं डिगाना चाहिए।
          बच्चों के ध्यान देने वाली खास बात यह है कि पढ़ते समय यदि किसी प्रश्न का हल न समझ में आए तो घबराना नहीं चाहिए और न ही शौर मचाना चाहिए। अपने मित्रों से उसका हल ढूंढने में समय व्यर्थ नहीं गँवाना चाहिए। अपने विद्यालय के अध्यापक से फोन पर अपनी समस्या का हल प्राप्त किया जा सकता है। यदि कठिनाई एक से अधिक विषयों में हो तो थोड़ा-सा समय निकालकर अपने विद्यालय जाकर, अध्यापकों के पास बैठकर, अपनी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। अध्यापक सदा ही अपने बच्चों की सहायता के लिए प्रस्तुत रहते हैं।
           परीक्षा के दिनों में शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए घर का बना हुआ पौष्टिक नाश्ता और भोजन यथासमय काना चाहिए। जहाँ तक हो सके जंक फूड और बाहर के खाने से परहेज करना चाहिए। दोनों समय दूध पीना चाहिए और मौसम के फल खाने चाहिए। यदि जूस पीना हो तो बाजार का निकला हुआ या टेट्रापैक के स्थान पर ताजा निकला हुआ जूस पिएँ। मानसिक व आत्मिक बल बढ़ाने के लिए ईश्वर का स्मरण करना चाहिए।
          इस प्रकार माता-पिता और अध्यापकों के सहयोग से बच्चे अपनी परीक्षा की तैयारी अच्छी तरह से कर सकते हैं। इसमें कोई सन्देह नहीं कि अपने समय का सदुपयोग करते हुए, सकारात्मक विचार रखते हुए, सभी बच्चे परीक्षा में निश्चित ही मनचाही सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इसी प्रकार अपने जीवन के कैरियर की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
चन्द्र प्रभा सूद
Email : cprabas59@gmail.com
Blog : http//prabhavmanthan.blogpost.com/2015/5blogpost_29html
Twitter : http//tco/86whejp

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें