रविवार, 3 मार्च 2019

शिवरात्रि

शिवरात्रि की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ।

आर्यसमाज के प्रवर्तक स्वामी दयानन्द सरस्वती की जीवनधारा शिवरात्रि में हुई एक घटना ने बदलकर रख दी थी। मूर्ति पूजा और आडम्बर का पुरजोर विरोध करने वाले स्वामी दयानन्द सरस्वती बाल्यकाल में भगवान शंकर के भक्त थे।
         पिता के कहने पर उन्होंने एक बार शिवरात्रि का उपवास रखा, लेकिन मध्य रात्रि में शिवलिंग पर एक चूहे को नैवेद्य खाते देखकर उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ। उसी क्षण से उनका मूर्तिपूजा पर से विश्वास उठ गया।
         भारतीय नव जागरण के अग्रदूत माने जाने वाले स्वामी दयानन्द सरस्वती असाधारण प्रतिभा के धनी थे। वे ऐसे सुधारवादी संन्यासी थे, जिन्होंने मिथ्याडम्बरों और रूढ़ियों का पुरजोर विरोध किया था।
चन्द्र प्रभा सूद
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