रविवार, 20 सितंबर 2020

तनाव से मुक्ति

तनाव से मुक्ति

तनाव मनुष्य के जीवन को बहुत प्रभावित करता है। यह उसके तन और मन को अपने कब्जे में कर लेता है। जब यह बहुत अधिक बढ़ जाता है, तो मनुष्य अवसाद में आ जाता है। तब मनुष्य आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम उठा लेता है। यह सच है कि नई पीढ़ी पर इसका जोरदार हमला हो चुका है। इसका कारण उनके कार्यक्षेत्र में होने वाले कार्य की अधिकता है। काम का प्रेशर इतना होता है कि उन्हें अपने लिए समय नहीं मिल पाता।
          इन्सान के शरीर में एक सीमित समय तक तनाव झेलने की क्षमता होती है। यह जब लम्बे समय तक बना रहता है, तो घातक सिद्ध होता है। तनाव के बारे में सबसे खतरनाक बात यह है कि मनुष्य इसका अभ्यस्त हो जाता है। सामान्यत: मनुष्य को पता नहीं चलता कि उसने इसे कितना प्रभावित किया है। सामान्य चेतावनी के संकेत और तनाव के लक्षणों के बारे में पता होना महत्वपूर्ण है। 
          प्रत्येक मनुष्य में तनाव के कारण अलग-अलग हो सकते हैं। काम का दबाव, आपसी रिश्तों की खटास या आर्थिक तंगी आदि। कारण चाहे कुछ भी हो, परन्तु उसका प्रभाव एक जैसा हो होता है। मनुष्य को जितना अधिक तनाव रहेगा, उतना ही उसके शरीर को स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल से जूझना पड़ेगा। कुछ मामलों में यह तनाव स्थायी हो जाता है। तब यह स्थिति बहुत भयावह हो जाती है। इसका सबसे अधिक असर हृदय, मस्तिष्क और प्रमुख अंगों पर पड़ता है। 
           तनाव के मुख्य कारण, इससे शरीर को होने वाले नुकसान और बचने के उपायों के बारे में जानना बहुत आवश्यक है। तनाव होने पर मनुष्य को न भूख लगती है और न ही खाया हुआ भोजन उसे पचता है। तनाव का बड़ा हमला जठर तन्त्र पर या पाचन प्रणाली पर होता है। तनाव हमारी आंतों पर भी नकारात्मक असर डालता है। तनाव से अवसाद और चिन्ता, किसी भी तरह का दर्द, कब्ज़ की शिकायत, त्वचा की स्थिति, जैसे एक्जिमा, दिल की बीमारी, वजन की समस्या होने लगती है।
         तनाव को दूर रखने के लिए स्वास्थ्य के नियमों का पालन करना चाहिए। तनाव से मुक्त होने के लिए दिन में कम से कम सात से आठ घण्टे अवश्य सोना चाहिए। सुपाच्य भोजन खाना चाहिए, योग और प्राणायम करना चाहिए, पैदल चलना चाहिए, स्वीमिंग करनी चाहिए, दौड़ लगानी चाहिए। दिन में कम से कम पैंतीस मिनट तक व्यायाम अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य के शरीर में चुस्ती-स्फूर्ति बनी रहती है। 
          कुछ लोगों को आदत होती है कि वे आवश्यक कार्यों को अन्तिम समय तक टालते रहते हैं, वे अपेक्षाकृत अधिक तनाव में रहते हैं। अपने हर काम को अच्छी तरह सोच-समझकर और योजनाबद्ध तरीके से करना चाहिए। किसी योजना पर काम शुरू करने से पहले हानि-लाभ आदि पर विचार अवश्य कर लेना चाहिए। तनाव दबाव में प्रदर्शन करने में मनुष्य की सहायता कर सकता है। 
          तनाव शरीर के किसी भी प्रकार की माँग या खतरे का जवाब देने का तरीका है।तनाव शरीर की रक्षा करने का भी तरीका है। ठीक से काम करते समय, यह मनुष्य को केन्द्रित, ऊर्जावान और सतर्क रहने में मदद करता है। जब भी आपातकालीन परिस्थितियाँ हों, तब तनाव जीवन को बचा सकता है। उदाहरण के लिए दुर्घटना से बचने के लिए ब्रेक पर स्लैम करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
            तनाव से मनुष्य को डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसका डटकर सामना कर लेना चाहिए। थोड़ा-बहुत तनाव तो जिन्दगी का हिस्सा है। मनुष्य को यह समझना होगा कि इस तनाव से आखिर कैसे निपटा जाए? परिस्थितियों का सामना सही तरीके से करने पर तनाव का बुरा असर नहीं होता। कितना भी काम हो या कितना भी तनाव हो, रिलेक्स होने का समय निकाल लेना चाहिए। 
          यदि कोई समस्या आती है तो अपने बन्धु-बान्धवों से चर्चा करनी चाहिए। अपने ग्रन्थों का अध्ययन करने में समय व्यतीत करना चाहिए। अपनी कोई हॉबी है, तो उस पर कार्य करना चाहिए। अकेले बैठने से बचना चाहिए, सबक साथ मिलकर रहना चाहिए। ईश्वर का ध्यान करने से भी तनाव से मुक्ति मिलती है। इस प्रकार समस्याओं का सही हल, तनाव से मनुष्य को निजात दिला सकता है।  
चन्द्र प्रभा सूद

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