शनिवार, 19 अगस्त 2017

सहृदय को सबका साथ

सरल हृदय लोगों के सभी इच्छित कार्य देर-सवेर अवश्य पूर्ण होते हैं। इसमें कोई सन्देह है नहीं कि उनकी सरलता ही उनकी महानता का परिचायक होती है। उनकी सच्चाई और ईमानदारी उनका मान होती है। निश्छल हृदय ये लोग सभी को अपना समझते हैं। अपने-पराए के फेर में नहीं पड़ते यानी ये किसी भी मनुष्य से किसी भी कारण से भेदभाव नहीं करते। इसीलिए सभी लोग उनको अपना प्रिय मानकर, उन्हें सदा आदर देते हैं।
         ऐसे उदार लोगों का कभी कोई कार्य नहीं रुकता। कोई-न-कोई उनकी सहायता के लिए स्वयं ही आगे निकलकर आ जाता है। ये लोग इतने भले मानस होते हैं कि स्वयं होकर किसी का अहित नहीं करते। स्वप्न में भी किसी का दिल दुखाने के बारे में सोच ही नहीं सकते। यही कारण है कि इनके सभी कार्य सरलता से संपन्न हो जाते हैं। यदि कहीं कोई अड़चन आ भी जाती है तो उसका हल भी शीघ्र ही निकल आता है। फिर वे उससे शीघ्र ही उभरकर बाहर आ जाते हैं।
        ये लोग किसी की टाँग खींचकर उसे नीचे गिराने का कार्य कदापि नहीं करते। किसी को धोखा नहीं देते और न ही किसी की पीठ में छुरा घोंपने जैसा घृणित कार्य करते हैं। इनके साथ यदि कोई व्यक्ति अनुचित व्यवहार कर भी जाता है तो उस व्यक्ति विशेष की अनजाने में की गई गलती मानकर उसे क्षमा करके अपने बड़प्न का परिचय देते हैं। यह उनके लोकप्रिय होने का एक सबसे बड़ा कारण है।
         अनुभवजन्य एक बात और आप सबसे साझा करना चाहती हूँ कि इन लोगों का यदि कोई बुरा करना चाहता है अथवा अहित करता भी है तो उस बुराई का फल उसी व्यक्ति को मिलता है, जिसने ऐसा दुष्कर्म करने की लिए सोचा था। वास्तव में यह सत्य है कि इन सज्जनों पर उसका प्रभाव नहीं पड़ता। इस तथ्य को आप में से भी बहुत लोगों ने प्रत्यक्ष अनुभव किया होगा।
         इसका यह अर्थ कदापि नहीं लगाया जा सकता कि इन लोगों के पास दुःख या परेशनियाँ कभी नहीं आतीं। पूर्वजर्न्मों में कृत कर्मों के अनुसार ही सुख-दुःख उनके जीवन में भी आते हैं। इस समय उनका सहारा ऐसे लोग बन जाते हैं जिनके कारण अपने उस समय को ये सीमित कष्ट में ही गुजार देते हैं।
        ये अपनी कमाई की शुद्धता पर बहुत ध्यान देते हैं, इसलिए परेशानी के समय में उन्हें उन व्यक्तियों की अपेक्षा कम धन का व्यय करना पड़ता है, जो लोग अपना धन गलत तरीकों से कमाते हैं। यानी वे अपनी कमाई की शुद्धता पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते। उनका यही मानना होता है कि बहुत सारा धन घर में आना चाहिए, वह किसी भी तरीके से कमाया जाए, इससे किसी को क्या फर्क पड़ता है?
         यदि मनन किया जाए तो गलत रास्ते से जो धन घर में आता है, वह अपने साथ बहुत-सी बुराइयाँ भी लेकर आता है। उस घर के हर सदस्य पर उस पाप की कमाई का प्रभाव पड़ता है। जब अपने उन कर्मों का फल भोगने का समय आता है तब बहुत असहनीय पीड़ा होती है। मनुष्य अपना सर पकड़कर रोता है, पर उनसे छुटकारा नहीं मिलता।
        एक सत्य घटना आपसे साझा करना चाहती हूँ। एक परिवार ने अपने पड़ोस में रहने वालों को बहुत परेशान किया कि वे अपना घर किसी भी तरह उन्हें बेच दें। इसके लिए उन्होंने तन्त्र-मन्त्र, गण्डा-तावीज सब करवाए। आज स्थिति यह है कि वही गलत काम करने वालों की घरेलू स्थिति ऐसी बनी कि उन्हें वह घर छोड़कर अन्यत्र नया घर लेना पड़ा। और जिस घर की चाह में यह सब किया, उस घर के निवासी आज भी मजे से अपने घर में निवास कर रहे हैं।
         कहने का तात्पर्य यही है कि अपने जीवन में सुख-शान्ति की कामना करने वालों को सहृदयतापूर्वक सबको अपने साथ लेकर चलना चाहिए। उन्हें अपने मन, वचन और कर्म में एक होना चाहिए। दूसरों को अपना बनाने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए।संबंधों को तोड़ने के स्थान पर उन्हें जोड़ना चाहिए। तभी मनुष्य को जीवन में सबका साथ और विश्वास मिलता है।
चन्द्र प्रभा सूद
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