रविवार, 6 अगस्त 2017

रक्षाबन्धन का त्योहार

भाई-बहन का सम्बन्ध अटूट है और ईश्वर की ओर दिया गया एक अनमोल उपहार है। ये दोनों अर्थात भाई और बहन एक-दूसरे के पूरक हैं। भाई यदि घर की शान है तो बहन घर का मान होती है। बहन के लिए भाई का और भाई के लिए बहन का प्यार अमूल्य होता है।
     भारतीय संस्कृति में बहन एक अनमोल बन्धन माना जाता है। मृत्युपर्यन्त भाई इस रिश्ते को अपना कर्तव्य के समझकर अपनी हैसियत के अनुसार भली भाँति निभाता है। इसी रिश्ते के प्रतीक-स्वरूप रक्षाबन्धन व भैयादूज त्योहार हैं। ये सामाजिक त्योहार भाई-बहन के प्रगाढ़ बन्धन के प्रतीक हैं। रक्षाबन्धन जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इस त्योहार में बहन भाई को राखी के स्वरूप में रक्षाकवच बाँधती है और भाई उसे यथाशक्ति उपहार देकर आयुपर्यन्त रक्षा करने का वचन देता है। भैयादूज पर बहन भाई के माथे पर तिलक लगाती है भाई सामर्थ्यानुसार बहन को उपहार देता है। भाई चाहे छोटा हो या बड़ा हमेशा बहन का सहारा बनता है।
    यद्यपि आज के भौतिकतावादी युग में ये सम्बन्ध भी अछूता नहीं रहा। कहीं-कहीं किन्हीं परिवारों में धन-संपत्ति को लेकर भाई-बहन के संबंधों में कुछ कड़वाहट अवश्य आ गई हैं। पर वे कुछ परिवार अंगुलियों पर गिने जा सकते हैं।
       यहाँ मैं एक बात और स्पष्ट करना चाहती हूँ कि जिस धर्म में अपने रक्त सम्बन्धों में विवाह की अनुमति है वहाँ भी सगे भाई-बहन में विवाह निषिद्ध है।
      इस कथन का यही तात्पर्य है कि भाई-बहन का संबंध बहुत ही पवित्र है इसे उन दोनों को ही सच्चे मन से निभाना चाहिए।
        यहाँ हम यह भी जोड़ सकते हैं कि भारतीय संस्कृति में यदि सगी बहन न होते हुए किसी युवती को बहन मान लिया जाता है तो उसके साथ भी ताउम्र वैसा ही संबंध निभाया जाता है जैसा रिश्ता सगी बहन के साथ निभाया जाता है।
      ईश्वर भाई और बहन के इस रिश्ते की पवित्रता बनाए रखे।
चन्द्र प्रभा सूद
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