गुरुवार, 29 अक्तूबर 2020

स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम

स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम

जीवन में स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम करना बहुत आवश्यक होता है। मानव शरीर प्रकृति की एक सुन्दर और परिपूर्ण रचना है।यह शरीर जितना चलता-फिरता रहता है, उतना ही स्वस्थ, मजबूत, और लचीला बना रहता है। इसीलिए आजकल जिम जाने का फैशन बढ़ता जा रहा है। वहाँ जाकर लोग वर्कआउट करते हैं। बहुत-सा धन देकर वे स्वयं के लिए प्रवेश पाते हैं। लड़की हो या लड़का यानी हर युवा जिम में जाकर अपनी बॉडी बनाकर फिट रहना चाहता है। नौजवान सिक्स पैक बनाने में गर्व का अनुभव करते हैं। जिम जाकर वे कई प्रकार की एक्सरसाइज करते हैं। 
      व्यायाम की रूपरेखा इंसान के स्वास्थ्य, जीवनपद्धति, व्यवसाय और आयु को ध्यान में रख कर निश्चित करनी चाहिए। किसी एक इंसान द्वारा किया जाने वाला व्यायाम दूसरे व्यक्ति को भी सूट कर जाएगा, यह आवश्यक नहीं है। कुछ युवा लोग सी डी चलाकर उसके साथ एक्सरसाइज करते हैं। इनके अतिरिक्त कुछ लोग सैर करना स्वास्घ्य के लिए बहुत आवश्यक मानते हैं। कुछ लोग भागकर, वेट ट्रेनिंग लेकर, स्विमिंग करके, कोई खेल खेलकर या डांस करके द्वारा व्यायाम करते हैं। तरीका कोई भी अपनाया जा सकता है। 
        वास्तव में व्यायाम एक ऐसी गतिविधि है जो मनुष्य के शरीर को स्वस्थ रखती है और साथ ही उसके समग्र स्वास्थ्य को भी बढाती है। माँसपेशियों को मजबूत बनाने, हृदय प्रणाली को सुदृढ़ करने, एथलेटिक कौशल बढाने, वजन घटाने या फिर केवल मात्र आनन्द आदि किसी भी कारणवश इसे किया जा सकता है। कारण कोई भी हो सकता है, पर उद्देश्य एक ही है कि शरीर स्वस्थ रहना चाहिए, नीरोग रहना चाहिए।
          व्यायाम अथवा कसरत से जी चुराने वाले आलसी लोग तर्क देते हैं कि एक खरगोश अपने जीवनकाल में दौड़ता है, उछलता कूदता है, मस्ती करता है और फिर भी केवल पन्द्रह वर्ष तक ही जीवित रहता है। इसके विपरीत एक कछुआ है, जो न दौड़ता है और न ही कुछ करता है, फिर भी वह तीन सौ वर्ष तक जीवित रहता है। इसलिए एक्सरसाइज जाए भाड़ में, कौन शरीर को कष्ट दे। अतः निश्चिन्त होकर अच्छी गहरी नींद में सो लिया जाए। आराम से बढ़कर इस जीवन में और कुछ भी नहीं है।
        प्रतिदिन दौड़ लगाना भी एक व्यायाम है। दौड़ने से शरीर में बदलाव होते हैं। तनाव से दूर रहने में भी मदद मिलती है। शरीर में जमी वसा नष्ट होती है। इस कारण मोटापा घटाने में मदद मिलती है। इससे अच्छी नींद आती है, इन्सान प्रसन्न रहता है। तनाव से दूर रहने में भी मदद मिलती है और सकारात्मक मानसिकता तैयार होती है। मनुष्य दिन भर फ्रैश रहता है और उसे थकावट नहीं होती। नियमित रूप से दौड़ने से स्ट्रोक, रक्तचाप, डायबिटीज जैसी बीमारियों से दूर रहना संभव होता है।
        व्यायाम करते समय कुछ बिन्दुओं की ओर ध्यान देना बहुत आवश्यक होता है। व्यायाम सदा विशेषज्ञ के मार्गदर्शन के बाद ही करना चाहिए। इस बात को समझना आवश्यक है कि व्यायाम की शुरुआत में बदनदर्द होता है, लेकिन बाद में लाभ होता है। व्यायाम हमेशा उतना ही किया जाना चाहिए, जिससे शरीर में थोड़ी थकावट बेशक हो जाए, पर अनावश्यक रूप से थककर चूर नहीं होना चाहिए। व्यायाम के बाद विश्राम करना बहुत आवश्यक होता है।
       व्यायाम हमेशा शुद्ध वायु में खाली पेट और शौच के बाद प्रातःकाल करना चाहिए। यदि सम्भव न हो तो भोजन के कम-से-कम चार घण्टे बाद इसे किया जा सकता है। शरीर पर मौसम के अनुसार ढीले वस्त्र होने चाहिए। व्यायाम के तुरन्त बाद पानी पिया जा सकता है, लेकिन उसके आधे घण्टे बाद ही कुछ खाना चाहिए। व्यायाम के पन्द्रह मिनट बाद गुनगुना दूध पीना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। तेज चलते हुए पंखे के सामने या उसके नीचे व्यायाम नहीं करना चाहिए। इससे अच्छा है कि पंखा धीमा कर दें और पसीना निकलने दें। व्यायाम करते वक्त पसीना पोंछने के लिए अपने पास सूती नैपकिन रखना चाहिए।
       झटके से कभी व्यायाम नहीं करना चाहिए। व्यायाम में विविधता बनाए रखनी चाहिए। लगातार एक ही तरह का व्यायाम करने से हमारे शरीर को  उसकी आदत होने लगती है। इसलिए धीरे-धीरे उसका सकारात्मक परिणाम दिखाई देना बन्द हो जाता है।  
        सबसे आवश्यक बात यह है कि व्यायाम में निरन्तरता बनाए रखना जरूरी होता है, अन्यथा सब बेकार हो जाता है। यदि लाभ लेना चाहते हैं, तो व्यायाम नियमित रूप से करना चाहिए। यदि कभी कोई समस्या आ जाए तो सप्ताह में कम-से-कम  पाँच दिन व्यायाम अवश्य करना चाहिए।
         कुछ लोग ऐसे भी हैं जो योगाभ्यास करके स्वयं को चुस्त और दुरुस्त रखने का प्रयास करते हैं। अधिकाँशत: लोग योगासन तथा व्यायाम दोनों को एक ही समझते हैं परन्तु ऐसा नहीं है। दोनों ही विधाओं में बहुत अन्तर है और इन दोनों का ही अपना-अपना महत्व है। योग सिर्फ कसरत मात्र नहीं है। व्यायाम में केवल शारीरिक प्रक्रिया की जाती हैं ताकि शरीर स्वस्थ रहे। दूसरी ओर योग मनुष्य को शारीरिक, मानसिक एवं भावानात्मक रूप से सुदृढ़ बनाता है।
चन्द्र प्रभा सूद

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