गुरुवार, 12 नवंबर 2015

सपनो की सौदागर

मैं सपनों की सौदागर स्वप्न बेचने आई हूँ
कौन खरीदेगा  मनभावन ख्वाब मैं लाई हूँ

जैसा सपना चाहो वैसा दाम चुकाओ भाई
सपनों की सौदागर अब नगर तुम्हारे आई

ये नया कारोबार शुरु किया है सब आओ
देखो यह सुन्दर  शोरूम सजाया है आओ

आकर्षक शोकेस में मनभावन ख्वाब भाई
इन्द्रधनुषी सपने ले कर देखो मैं अब आई

जल्दी आओ जल्दी पाओ शर्त ये समझाओ
भाई आओ बहना आओ एक लाइन लगाओ

चुन्नू मुन्नू रीता गीता साथ सभी को लाओ
जल्दी कर लो ख्वाब  पाने से चूक न जाओ

राजा-रानी, नेता-अभिनेता, अमीर-गरीब के
पति-पत्नी, भाई-बहना, युवा  और बच्चों के

साधु-फकीर, गोरे-काले, ऊँचे और नीचों के
बूढ़े-लाचार माता-पिता एकाकी सब जन के

किसान-मजदूर,  व्यापारी-अफसर  जग के
बिस्तर पर लेटे रोगी और उस अपाहिज के

पुजारी-पंडित,  चोर-उच्चके,  डाकू-साहू  के
दानी-मानी, ढोगी-भोगी ऐसे सब ही जन के

सबका सपना अपना सपना पाओ मेरे भाई
देखो ये आकर्षक पैकेट बना दिए सब भाई

जिसको जो रुच जाए  वही उठा लो रे भाई
फिर न कहना चूक गए नहीं बचा कुछ भाई

एक बात बस ध्यान में धर लेना रे मेरे भाई
सामर्थ्य बराबर सपना  खरीदना तुम भाई

ऊँची उड़ान भरते-भरते चोट न खाना भाई
पंख टूटें गिर जाएँ  लाचार मत बनना भाई

कुछ  खास सपने ही अपने हो पाते जग में
मैं सौदागर सपने  बेचके चाहूँ खूब कमाना

आओ-आओ  सब खरीद  लो इनको जाना
माल सब बिक जाए तो नए सपने ले आऊँ।
चन्द्र प्रभा सूद
Twitter- http://t.co/86wT8BHeJP

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