शनिवार, 21 नवंबर 2015

गॉड गिफ्टेड बच्चे

गाड गिफ्टेड शब्द उन बच्चों के लिए प्रयुक्त किया जाता है जो आम बच्चों से ज्ञान प्राप्ति के क्षेत्र में थोड़ा अलग होते हैं अर्थात विलक्षण प्रतिभा के धनी होते हैं। उनकी बुद्धिमत्ता की चर्चा चारों ओर होती है। वे बचपन से ही अपने ज्ञान के कारण सबको आश्चर्यचकित कर देते हैं।
          पिछले दिनों टीवी पर चाणक्य आदि बच्चों के ज्ञान को परखा गया और एक्सपर्टस के सामने उनसे विभिन्न प्रश्न पूछे गए जिनके उत्तर उन्होंने बिल्कुल ठीक दिए। समाचार पत्रों में भी ऐसे बच्चों के चर्चे अक्सर होते रहते हैं।
         अब प्रतिदिन के बच्चों के जीवन को ही देखिए। एक कक्षा में चालीस से पचास तक बच्चे होते हैं। वही विषय होते हैं, वही अध्यापक होते हैं और एकसाथ ही सबको पढ़ाया जाता है। परन्तु जब परीक्षा का परिणाम आता है तब कोई निन्यानवे प्रतिशत अंक लेकर प्रथम आता है तो कोई अनुत्तीर्ण हो जाता है।
         उन स्कूलों में जहाँ सभी प्रकार की सुविधाओं से सम्पन्न परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं वहाँ भी यही स्थितियाँ होती हैं। यह विद्या भी सबको अपने-अपने भाग्य से ही मिलती है। इससे भी बढ़कर एक ही माता-पिता की यदि चार सनतानें हैं तो उनमें कोई इंजीनियर, डाक्टर आदि हो सकता है तो कोई चपरासी भी हो सकता है। इस संसार में कोई यहाँ किसी से छीन-झपटकर विद्या नहीं ले सकता।
         इसीलिए कहते है कि न इसे चोर चुरा सकते हैं और न भाई इसका बटवारा अन्य धन-सपत्ति की तरह कर सकते हैं। जितना अधिक विद्या ग्रहण करो वह दिन-प्रतिदिन बढ़ती रहती है।
         इस वर्तमान जन्म में जो विद्या, ज्ञान या अनुभव मनुष्य अपने जीवन मे अर्जित करता है वह मृत्यु के पश्चात भौतिक शरीर के साथ नष्ट नहीं होता बल्कि जन्म-जन्मान्तरों तक उसके साथ जाता है। उस जन्म में वह जो ज्ञानार्जन करता है उसमें पूर्ववर्ती जन्म का विद्याधन भी जुड़ जाता है। इस प्रकार बैंक में बढ़ते हुए हमारे धन की तरह कई जन्मों का यह धन भी जुड़कर इतना अधिक हो जाता है कि किसी एक अगले जन्म में बच्चे को गाड गिफ्टेड वाली श्रेणी में ला करके खड़ा कर देता है। ऐसे बच्चे दूसरों के लिए ईर्ष्या का नहीं प्रेरणा का स्त्रोत होते हैं।
         इसीलिए माता-पिता से शास्त्र आग्रह करते हैं कि जहाँ तक हो सके अपने बच्चों को विद्यावान और गुणवान बनाएँ। उनके विषय में कहा है-
         माता शत्रु पिता वैरी येन बालो न पाठित:।
         न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये बको यथा॥
अर्थात वे माता-पिता बच्चों का शत्रु कहलाते हैं जो उन्हें शिक्षा नहीं दिलवाते। वे बच्चे उसी प्रकार समाज में सुशोभित नहीं होते जैसे हंसों के बीच में बगुला नहीं जंचता।
         ये गाड गिफ्टेड बच्चे किसी सम्पन्न घर में जन्म लेंगे ऐसा नहीं है। ये अपने पूर्वजन्म कृत कर्मों के अनुसार किसी भी आर्थिक या सामाजिक परिवेश वाले घर में जन्म ले सकते हैं और अपने माता-पिता के लिए गर्व का विषय बन सकते हैं।
          इन गाड गिफ्टेड बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता भी सर्वत्र सम्मान प्राप्त करते हैं। फूलों की तरह ही इनकी सुगन्ध भी चारों ओर फैलती है। इन बच्चों को एक उदाहरण मानते हुए हर माता-पिता का कर्त्तव्य है कि अपने बच्चों को ज्ञानार्जन के लिए प्रोत्साहित करें।
चन्द्र प्रभा सूद
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