मंगलवार, 20 मार्च 2018

शाकाहारियों की श्रेणियाँ

सदियों से शाकाहार अथवा मांसाहार के विषय में चर्चा होती रहती है। कुछ लोग शाकाहार के पक्षधर हैं तो कुछ मांसाहार के। दोनों ही अपने समर्थन में अकाट्य तर्क देने का प्रयास करते हैं। इस विषय में सबके अपने-अपने विचार हैं। किसी भी व्यक्ति को अनावश्यक रूप से बाध्य नहीं किया जा सकता कि वह शाकाहारी बने या मांसाहारी। आजकल विश्व बहुत से ऐसे लोग हैं जो शाकाहार की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। शायद वे इस आहार को खाकर थक गए हैं अथवा बोर हो गए हैं।
         मांसाहारी लोग तो स्पष्ट रूप से कहते हैं कि वे मांसाहार का सेवन करते हैं। वहाँ पर तो किसी किन्तु या परन्तु की गुँजाइश ही नहीं है। न ही वे यह कहने में जरा भी झिझकते हैं कि वे मांसाहारी हैं। वहाँ पर खाने की वैरायटी बहुत अधिक है। वे विभिन्न प्रकार के जलचर, नभचर और भूचर जीवों को अपने भोजन में सम्मिलित करते हैं। यह बात अलग है कि मांसाहार में किसी व्यक्ति को किसी जीव का मांस खाना पसन्द नहीं आता तो किसी को अन्य जीव का। फिर भी वे खाते तो मांसाहार ही हैं।
        शाकाहारी लोग शाकाहार का सेवन तो करते हैं परन्तु वे उसके साथ 'पर' शब्द का भी प्रयोग करते हैं। कहने को तो वे शाकाहारी होते हैं किन्तु अण्डे को भी वे शाकाहार का ही एक रूप मानते हैं। इसलिए कुछ लोगों को शुद्ध शाकाहारी कहा जा सकता है और कुछ लोग शाकाहारी कहलाते हैं। यानी इस प्रकार से शाकाहारी लोगों की बहुत-सी श्रेणियाँ बन जाती हैं। बहुत समय पहले एक विशलेषण में पढ़ा था कि भारत में शाकाहारी लोग सात प्रकार के हैं-
           इस श्रेणी में सबसे पहले वे लोग आते हैं जो शुद्ध शाकाहारी हैं। वे किसी भी रूप में मांसाहार का सेवन नहीं करते। न ही वे अण्डा खाते हैं और न ही इस प्रकार का कोई अन्य खाद्य पदार्थ चखते हैं।
           दूसरी श्रेणी में वे लोग आते हैं जो स्वयं को शाकाहारी ही कहते हैं पर अण्डे का सेवन कर लेते हैं। उनके अनुसार अण्डा आजकल शाकाहार में ही गिना जाने लगा है। किसी भी विधि से बना हुआ अण्डा वे खा लेते हैं परन्तु चिकन आदि अन्य किसी भी प्रकार का मांस वे नहीं खाते।
          तीसरी श्रेणी वाले शाकाहारी लोग अण्डे वाला केक एवं पेस्ट्री खा लेते हैं। किन्तु किसी भी तरह से बने हुए अण्डे का सेवन नहीं करते और न ही वे किसी अन्य प्रकार के मीट का सेवन करते हैं।
          चौथी श्रेणी के शाकाहारी कहलाने वाले वे लोग हैं जो मांसाहार का सेवन नहीं करते पर वे मीट की तरी खा लेते हैं, उसका पीस नहीं खाते। चिकन बिरयानी में से चावल खा लेते हैं किन्तु चिकन का पीस निकालकर अलग कर देते हैं, उसे खाते नहीं हैं।
          शाकाहारियों की पाँचवीं श्रेणी वह है जिनके घर पर मांसाहार नहीं पकाया जाता। वे लोग नियमित मांसाहार का भक्षण नहीं करते। इसलिए वे कभी-कभार पार्टी या होटल आदि में जाकर मांसाहार का सेवन कर लेते हैं। उन्हें इससे परहेज नहीं होता। यानी वे घर से बाहर खा लेते हैं पर घर में नहीं खाते।
         छटी श्रेणी उन लोगों की है जो मांसाहार खाते तो नहीं है पर उसका सेवन केवल उस समय करते हैं जब वे दोस्तों के साथ बैठकर शराब पीते हैं। और जब वे दारू नहीं पीते तो मांसाहार भी नहीं खाते।
         अन्त में सातवीं श्रेणी के तथाकथित शाकाहारियों की चर्चा करते हैं जो अपनी सुविधा से कभी शाकाहारी बन जाते हैं तो कभी मांसाहारी। यानी बुधवार, शुक्रवार और रविवार को वे मांसाहार का भक्षण कर लेते हैं। परन्तु मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को इष्ट का दिन मानते हुए वे मांसाहार को बिल्कुल हाथ नहीं लगाते।
          इस विशलेषण से मांसाहारियों को नहीं पर शाकाहारियों को श्रेणीबद्ध किया जा सकता है। कुछ लोग अपनी सुविधा से अपने आहार में परिवर्तन करते रहते हैं। कभी वे शाकाहारी बन जाते हैं तो कभी मांसाहारी।
चन्द्र प्रभा सूद
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