मंगलवार, 24 जुलाई 2018

गलतफहमी

ऑटो रुका तो दिव्या और कमल ने राहत की साँस ली। बहुत देर से वह दोनों बस स्टॉप पर बैठे हुए कैब को बुक करवा रहे थे। कैब है कि मिल ही नहीं रही थी। सर्द रात होने के कारण सड़कें भी सुनसान पड़ी थीं। एक साहित्यिक कार्यक्रम से निकलने में ज़रा-सी देर क्या हो गई मुसीबत ही आ गयी। दो कैब कैंसिल हो चुकी थीं।
         बस स्टॉप पर अभी कुछ देर पहले ही आये दो व्यक्ति लगातार दोनो पति-पत्नी को घूर रहे थे और आपस में इशारे भी कर रहे थे। दिव्या का दिल आशंका से घबराने लगा था। कमल ने शीघ्रता से ऑटो ड्राइवर को अपने गन्तव्य का पता दिया। ऑटो वाला जाने को तो तैयार हो गया परन्तु ऑटो में बैठे दूसरे व्यक्ति की ओर इशारा करके बोला कि वह उसका मित्र है और कुछ आगे जाकर उतर जाएगा। कमल ने ऐतराज़ करना चाहा पर दिव्या ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक दिया।
             तभी वहाँ खड़े दोनो व्यक्ति उनके पास आ गए और ऑटो वाले से उस आदमी को उतार देने के लिए हील हुज्जत करने लगे। ऑटो वाला नाराज़ होकर चला गया। दिव्या का कलेजा काँप उठा। आये दिन समाचार पत्रों में आने वाली लूटपाट और दुष्कर्म की खबरें उसके दिमाग में रील की तरह घूम गईं।
          उसे वह दोनों व्यक्ति सन्दिग्ध लग रहे थे। उसने डर के कारण कमल की बाँह जकड़ रखी थी। आखिर इन दोनों को दाल भात में मूसलचन्द बनने की आवश्यकता ही क्या थी। क्यों टाँग अड़ा रहे हैं उनके मामले में? कमल भी बहुत परेशान लग रहा था। तभी एक और ऑटो रुका, उन दोनो व्यक्तियों ने उससे कुछ सवाल-जवाब किये। फिर कमल की ओर मुड़ते हुए बोले- "आपलोग इसके साथ चले जाइए, वो ऑटो वाला बदमाश था, गलत इरादे से अपने साथी को लेकर घूम रहा था। कभी बिना सोचे-समझे ऐसे किसी के भी साथ मत चल दिया करिए।"
        दिव्या और कमल अवाक होकर उन दोनों का चेहरा देखते रह गए। अपने शंकालु स्वभाव पर अब वे दोनों शर्मिंदा नज़र आ रहे थे।
चन्द्र प्रभा सूद
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