शनिवार, 17 अगस्त 2019

मेरा देश महान्

धन्य है वह देश, जहाँ के नागरिक अपने देश से प्रेम करने वाले होते हैं। ऐसे देश को उन्नति की ऊँचाइयों को छूने से कोई शक्ति नहीं रोक सकती। ऐसे देशप्रेमी अपने देश को महान् बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। देश के नेताओं से, उनकी कार्यप्रणाली से उन्हें रोष हो सकता है। परन्तु वे ऐसा कोई देश विरोधी कार्य नहीं करते, जिससे उनके देश का सिर विश्व में दूसरे राष्ट्रों के समक्ष झुक जाए।
         यहाँ मैं जापान देश की बात कर रही हूँ, जो विश्व में एक अनूठा उदाहरण है। द्वितीय विश्व युद्ध के समय सन् 1945 में मित्रदेशों ने उनके दो प्रदेशों हिरोशिमा और नागासाकी पर एटम बम्ब गिराए गए थे। फलस्वरूप जापान के अनेक निर्दोष नागरिक काल कवलित हो गए और अनेक लोग अपाहिज हो गए थे। इतना सब होने पर जापान के लोगों ने हार नहीं मानी। आज टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में यह देश अग्रणी है। इसलिए उसका लोहा पूरा विश्व मानता है। उनकी बनाई  हुई वस्तुएँ पूरे विश्व में प्रयोग की जाती हैं।
         अपने देश जापान को दूसरों के सामने न झुकने देने वाली यह कथा मैंने बहुत बार पढ़ी है। इसे पढ़कर, इस पर विचार करके उनकी देशभक्ति पर सचमुच गर्व होता है। आप सुधीजनों की नजर में भी यह घटना अवश्य आई होगी। यह घटना कुछ इस प्रकार है।
         जापान में ट्रेन की सीट फटी हुई थी, एक जापानी नागरिक ने अपने बैग में से सुई धागा निकाला और सीट की सिलाई करने लगा।
          एक भारतीय नागरिक भी उसी ट्रेन में था उसने पूछा, "क्या आप रेलवे के कर्मचारी हैं?"
         उसने कहा, "नहीं मैं एक शिक्षक हूँ, मैं इस ट्रेन से हर रोज अप-डाउन करता हूँ , जाते वक्त इस सीट की खस्ता हालत देखकर वापस आते वक्त बाजार से सुई धागा खरीद लाया हूँ।"
           मुझे लग रहा था, "यदि कोई विदेशी नागरिक इस फटी सीट को देखेगा, तो मेरे देश का अपमान होग। यह सोचकर मैं इस सीट की सिलाई कर रहा हूँ।"
       जो नागरिक देश की इज्जत अपनी इज्जत समझता हो, जिस देश के नागरिकों की सोच महान हो, वह देश विकसित और महान बन जाता है, जापान आज इतना विकसित हो गया है कि हम उससे बुलेट ट्रेन खरीद रहे है।
           इस घटना का उल्लेख करने का तात्पर्य यही है कि अपने देश को प्यार करने का इससे बड़ा उदाहरण नहीं हो सकता। जापान के लोग बहूत परिश्रमी होते हैं। वे लोग हमारे देशवासियों की तरह नित्य-प्रति हड़ताल करके काम नहीं रोकते या चक्का जाम नहीं करते। अपितु वे काली पट्टी बाँधकर और अधिक उत्पादन करते हैं। वे अपने नेताओं को इस प्रकार सकारात्मक चुनौती देते हैं।
           हमारे देश में हर समस्या को बड़े ही सामान्य तरीके से लिया जाता है। इसीलिए हमारे देशवासी मेरा भारत महान् का नारा लगाकर, इस विषय पर लेख लिखकर, भाषण देकर, टी.वी. डिबेट में हिस्सा लेकर या पोस्टर लगाकर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं। वे यह सोच लेते हैं कि उन्होनें देश को महान् बना दिया है। बस इतने मात्र से ही वे अपना दायित्व पूर्ण हो गया समझ लेते है। यह सोच ही वास्तव में गलत है।
           देश को महान् बनाने के लिए इन सब टोटकों की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि अपनी सोच की अग्नि को भड़काना होता है। उसके लिए अथक प्रयास करने पड़ते हैं। केवल जबानी जमा खर्च कर देने से देश की उन्नति नहीं हो सकती। जब सभी देशवासी मिल-जुलकर साझा प्रयत्न करते हैं, तभी देश आसमान छूने के योग्य बन सकता है तथा विश्ववन्दनीय बन सकता है।
चन्द्र प्रभा सूद
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