बुधवार, 6 मई 2015

विवाह की 42वीं वर्षगांठ पर

आज 7 मई  को हमारे वैवाहिक गठबंधन की 42 वीं वर्षगांठ है। इस यादगार दिन की स्मृतियों को सहेजते हुए अपने व अपने जीवन साथी भूपाल सूद के लिए यह भावपूर्ण एक नई कविता-

मीत चलो प्रेम की पींग बढ़ाएँ  ऊँची ऊँची
रोक न पाए इसको कर न सके कोई नीची

दूर गगन तक इसे बढ़ाकर छू लें चंदा तारे
देखें  ललचाई आँखों से खड़े हुए जन सारे

हाथ थामकर  आओ दे दो मुझको सहारा
फिर न होगा हमसे दूर देखो वहाँ किनारा

मैं तुम हो जाऊँ और तुम मैं हो जाओ वादा
ऐसा जग में नेह निराला हो जाए यह वादा

आधा मैं खा लूँगी और आधा तुम खा लेना
मिल बाँटकर ऐसे ही हम दोनों ने जी लेना

कोई गिला न करना न करना कोई शिकवा
खुशी-खुशी संध्या तक साथ चलेंगे मितवा

धूप-छाँव की आहट भी न रोके राह हमारी
सह लेंगे इक-दूजे की मिल कर पीड़ा सारी

बने मूक दर्शक जग सारा है ये रीत निराली
भूल सके न जग में कोई ऐसी  प्रीत निराली

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