मंगलवार, 6 अक्तूबर 2015

ईश्वर हमारे भले के लिए करता है

हम प्राय: सुनते रहते हैं और कहते भी हैं कि ईश्वर जो करता है हमारे अच्छे के लिए ही करता है। कहने-सुनने यानि (theory) में तो यह बहुत अच्छा लगता है परन्तु जब इसका अभ्यास (practical) करने की बारी आती है तो हम बगले झाँकने लगते हैं।
          उस समय हमें लगता है कि हमें ही परीक्षा में क्यों डाला जा रहा है? दुनिया में बहुत से और भी लोग हैं उनकी परीक्षा लो न। उस समय हम भूल जाते है कि जन्म से मृत्यु तक न जाने हम कितनी परीक्षाओं से गुजरते हैं। कुछ परीक्षाओं में हम पास होते हैं और कुछ में फेल। जब तक पास न हो जाएँ तब तक परीक्षा देनी पड़ती है।
         ईश्वर हमेशा ही हमारी भलाई करता है परन्तु हम अज्ञानी उसकी महानता को समझ नहीं पाते और उस पर दोषारोपण करते हुए उसे कोसते रहते हैं। यहाँ एक कहानी याद आ रही है जो बचपन में हम सभी ने पढ़ी है।
           किसी राजा का एक मन्त्री था उसे ईश्वर पर बहुत विश्वास था। वह हर कार्य का श्रेय ईश्वर को ही देता था। हर बात पर कहता था ईश्वर जो करता है हमारे अच्छे के लिए ही करता है। एक दिन उस राजा की अंगुली कट गई। राजा ने उससे अंगुली कटने पर पूछा-' इसमें ईश्वर ने मेरा क्या भला किया?' तब भी उसने यही कहा कि ईश्वर जो करता है हमारे भले के लिए होता है। राजा उसकी इस बात पर चिढ़ गया और उसे बहुत क्रोध आया। तब उसने अपने मन्त्री को जेल में डाल दिया।
          कुछ दिन बीतने पर एक दिन राजा शिकार खेलने के लिए जंगल में गया। वहाँ जंगल में अपने देवता को बलि चढ़ाने के उद्देश्य से आदिवासियों ने राजा को पकड़ लिया। राजा की कटी हुई उस अंगुली को देखकर उसे यह कहते हुए छोड़ दिया कि इसका अंग भंग हो चुका है। इसलिए देवता को इसकी बलि नहीं दी जा सकती। उस समय राजा को यह प्रत्यक्ष अनुभव हुआ कि ईश्वर जो भी करता है हमारे अच्छे के लिए करता है।
         अपने राज्य में वापिस लौटकर उसने मन्त्री को जेल से बाहर निकाला। राजा ने उससे कहा कि ईश्वर पर तुम्हारे अटूट विश्वास के कारण आज मैं अपनी कटी हुई अंगुली के कारण बच गया पर इसमें तुम्हारा क्या भला हुआ?
          तब मन्त्री ने राजा से कहा कि मैं भी अपकी कटी हुई अंगुली के कारण ही बच गया। यदि आप मुझे जेल में न डालते तो मैं भी आपके साथ जंगल में शिकार के लिए जाता। आप तो कटी हुई अंगुली के कारण बच जाते और वे लोग मेरी बलि चढ़ा देते। मैं आपकी सेवा भी न कर पाता। इसीलिए मैं हमेशा कहता हूँ कि ईश्वर जो भी करता है हमारे भले के लिए करता है।
          यह सचमुच ही ईश्वर का चमत्कार है जिसे हमारी स्वार्थी बुद्धि समझ ही नहीं पाती। काल के मुँह में समाता हुआ मनुष्य भी वर्षों तक जीवित रह लेता है। वह प्रभु इतने चमत्कार दिखाता है कि उनका वर्णन भी हम नहीं कर सकते।
         हम उस प्रभु पर सच्चे मन से यदि विश्वास करते हैं तो वह हमारे सारे बिगड़े हुए काम बना देता है। वह तो इसी प्रतीक्षा में रहता है कि कब मनुष्य उसे सच्चे मन से याद करे और वह उसकी सहायता के लिए आगे हाथ बढ़ाए।
          वह जगत्पिता परमात्मा ही हमारा अन्तिम ठौर है। दुनिया के सभी रिश्ते-नाते हमारा साथ छोड़ देते हैं परन्तु वह मालिक कभी हमें निराश नहीं करता। जो भी उसे पुकारता हुआ उसकी शरण में जाता है वह उस पर अनुग्रह करता है। हर समय वह हमारे साथ-साथ चलता हुआ हमारी रक्षा करता है। इसीलिए वह जो भी हमारे लिए करता है अच्छा ही करता है। हमें उसके न्याय पर पूरा विश्वास करना चाहिए।
चन्द्र प्रभा सूद
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