शुक्रवार, 10 जून 2016

ईश्वर का धन्यवाद

मनुष्य के शरीर में एक धड़कने वाला एक अनमोल दिल है जो ईश्वर ने उसे उपहार स्वरूप दिया है। जब तक यह दिल ठीक से धड़कता रहता है तब तक मनुष्य का इस धरती पर अस्तित्व बना रहता है। यदि यह हृदय काम करना बन्द कर दे तो शरीर बेजान हो जाता है अर्थात मनुष्य के प्राण पखेरू उड़ जाते हैं। तब वह इस लोक को छोड़कर कही अन्यत्र चला जाता है।
         इस हृदय का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। जरा-सी लापरवाही परेशानी का कारण बन जाती है। यदि किसी के हृदय का एक वाल्व ब्लाक हो जाए तो डाक्टर एंजियोग्राफी करके स्टन डाल देते हैं जो कुछ समय के बाद बदलना पड़ता है। उसके लिए लाख रूपए खर्च हो जाते हैं। यदि दिल का दौरा पड़ जाए तो डाक्टर बिना समय गँवाए आपरेशन कर देते हैं। उस आपरेशन पर लाखों रूपए खर्च हो जाते हैं।  
        ऐसा हुआ कि एक बार अस्सी वर्षीय एक बुजुर्ग को दिल का दौरा पड़ा। उसे तत्काल अस्पताल ले जाया गया। वहाँ डाक्टर ने उस बुजुर्ग के हृदय का शीघ्र ही का ऑपरेशन कर दिया।
          उस आपरेशन का आठ लाख रूपए बिल का आया। बिल देखते ही उस बुजुर्ग की आँखों में आँसू आ गए। यह देखकर डॉक्टर ने सोचा कि शायद इनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि ये आठ लाख रूपयों का भुगतान कर सकें। डाक्टर ने साँत्वना देते हुए उन्हें कहा कि रोइए मत, मैं इस राशि को कम कर देता हूँ।
           डाक्टर की बात सुनकर बुजुर्ग ने कहा कि बिल की राशि की कोई समस्या नहीं है। यदि बिल दस लाख का भी होता तो वे देने में समर्थ थे। फिर उन्होंने कहा कि आँसू तो इसलिए आए कि जिस प्रभु ने अस्सी वर्ष तक इस दिल को सम्भाला, उसने कोई बिल नही भेजा। आपने केवल तीन घण्टे ही इसे सम्भाला और आठ लाख रूपये का बिल आ गया। फिर ईश्वर को धन्यवाद करते उसने हुए कि धन्य है वह मालिक जो सब लोगों का कितना ध्यान रखता है।
         इस हृदय को स्वस्थ रखने के लिए हमें स्वास्थ्य के नियमों का पालन करना चाहिए। उचित आहार-विहार पर ध्यान देना चाहिए। यानि निश्चित समय पर सोना-जागना चाहिए, सन्तुलित भोजन खाना चाहिए। योगासन करने चाहिए और नियमित सैर करनी चाहिए।
          हम में से प्रायः सभी लोग इन नियमों का बड़े धड़ल्ले से उल्लंघन करते हैं और फिर सफाई भी देते हैं कि क्या करें? बहुत व्यस्त रहते हैं, इन सबके लिए समय ही नहीं निकाल पाते।
        दोष शत-प्रतिशत हमारी जीवन शैली का है। हमें डिब्बा बन्द व जंक फूड खाना रुचिकर लगता है। दूध और फल खाना नहीं चाहते। अधिक चिकनाई वाला और तला हुआ भोजन खाने से सन्तुष्ट होते हैं। जिस भोजन को कमाने के लिए सारे प्रपंच करते हैं, दिन-रात एक कर देते हैं, उसी को खाने के लिए हमारे पास समय नहीं होता। न हम सैर करते हैं और न ही व्यायाम। लेट नाइट पार्टियाँ करना हमारी जीवनशैली का हिस्सा बन गई हैं। इसी प्रकार शादियों से भी रात देर से लौटते हैं। इससे हमारी बाडी क्लाक डिस्टर्ब होती है।
        हर छोटी या बड़ी बात हम अपने दिल पर ले लेते हैं। अनावश्यक तनाव में रहते हैं। चौबीसों घण्टे योजनाएँ बनाते रहते हैं। इसके साथ ही ईर्ष्या-द्वेष, क्रोध आदि को भी अपने दिल में स्थान दे देते हैं। इसीलिए परिणाम स्वरूप यह हमारा दिल धीरे-धीरे निराश हो जाता है। इसमें रूकावट आने लगती है। जिससे साँस फूलने जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
         समय रहते इसका चैकअप कराते रहना चाहिए। स्वास्थ्य के नियमों का पालन करते हुए प्रसन्न रहना चाहिए। मद्य पान, धूम्रपान जैसे दुर्व्यसनों से बचना चाहिए। साथ ही अनावश्यक तनाव को दूर करते हुए उस मालिक का धन्यवाद करना चाहिए जिसने हमें यह अनमोल दौलत बिना कोई मूल्य लिए उपहार में दी है।
चन्द्र प्रभा सूद
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