रविवार, 7 जनवरी 2018

स्वच्छता

शोच या स्वच्छता अर्थात् तन और मन को स्वच्छ रखना । धर्म के दस लक्षणों में से यह एक है। हमारे ग्रन्थ कहते हैं कि शरीर की सफाई बहुत आवश्यक है। यदि उस ओर ध्यान न दिया जाए तो मनुष्य के पास से दुर्गन्ध आने लगती है व वह कई रोगों का घर बन जाता है। कोई भी उसके पास बैठना पसंद नहीं करता, यथासंभव उससे किनारा करना चाहते हैं।
      कहते हैं- स्वस्थ शरीर में ही ईश्वर का निवास होता है। मनुष्य का शरीर स्वस्थ होगा तभी वह अपने पारिवारिक, नैतिक व धार्मिक दायित्वों का निर्वहन कर सकेगा। ईश्वर की उपासना करने के लिए पहली शर्त शरीरिक स्वास्थ्य  है।
       शरीर के साथ मन की स्वच्छता भी उतनी ही आवश्यक है। मन स्वस्थ होगा तो तभी उसमें मानवोचित गुणों का समावेश होगा। जिस व्यक्ति का मन अच्छा होता है उसे किसी तीर्थयात्रा या नदी स्नान करने की जरूरत नहीं होती। संत रैदास ने कहा था- मन चंगा तो कठौती में गंगा अर्थात् मन अच्छा है तो पानी रखने वाले उनके कटोरे में साक्षात गंगा है।
        हमारे सद् ग्रन्थ हमें हमेशा सुमना या अच्छे मन वाला बनने की प्रेरणा देते हैं।
        तन और मन की स्वच्छता के साथ-साथ अपने परिवेश की सफाई भी आवश्यक है। अपने घर को सजा-संवार करना बहुत शुभ होता है। ऐसे घर में सकारात्मक ऊर्जा रहती है। वहाँ रहने वालों तथा घर में आने वाले मेहमानों का मन भी प्रसन्न होता है। अपने घर को साफ रखना बहुत अच्छी बात है। पर ऐसा नहीं करना चाहिए कि अपने घर की सफाई करके कूड़ा कूड़ेदान में न डाल कर बाहर सड़क पर फैंक दिया जाए। ऐसा करके हम अपने नगर को, अपने देश को दूषित करते हैं। चारों ओर गंदगी होने पर्यावरण प्रदूषित होता है, कीटाणुओं का जन्म होता है जिससे बिमारियाँ फैलती हैं।
        अपने घर की भाँति देश भी हमारा घर है। इसे सजाना और संवारना भी हमारा कर्त्तव्य है। देश स्वच्छ होगा तो चारों ओर खुशहाली का वातावरण बनेगा। देशवासी बीमारियों से बचेंगे। जो लोग विदेशों की चमक-दमक की चर्चा करते हैं उनके मुँह पर भी ताले लग जाएँगे। इसीलिए कुछ दिनों से देश में स्वच्छ भारत अभियान बहुत जोरों पर है।
       हमें स्वयं ही तय करना है कि अपने तन और मन की शुचिता के साथ-साथ घर व देश की स्वच्छता की ओर भी हमें ध्यान देना है तभी हमारी साधना सफल हो सकेगी।
चन्द्र प्रभा सूद
Email : cprabas59@gmail.com
Blog : http//prabhavmanthan.blogpost.com/2015/5blogpost_29html
Twitter : http//tco/86whejp

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें