शुक्रवार, 16 जनवरी 2015

आत्मचिन्तन

आत्मविश्लेषण करने वाला व्यक्ति सदा सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ता है। स्वयं के विषय में विचार करना ही आत्मविश्लेषण कहा जाता है। इसका यह अर्थ कदापि नहीं कि हम चौबीसों घंटे अपने बारे में सोचते-सोचते स्वार्थी बन जाएँ। अपनी धार्मिक, सामाजिक व पारिवारिक जिम्मेदारियों से पिंड छुड़ा लें और हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाएँ। ऐसा करके तो हम आलसी बनकर जीवन की रेस में पिछड़ जाएँगे। यह स्थिति तो किसी भी शर्त पर स्वीकार नहीं की जा सकती।
      जीवन की भागदौड़ का हिस्सा बनते हुए ही आत्मचिंतन अपेक्षित है। वैसे तो आज के भौतिक जीवन में धन कमाने के लिए जी तोड़ श्रम करना पड़ता है अन्यथा अपने सभी दायित्वों को अर्थाभाव में पूर्ण नहीं कर पाएँगे। समय का अभाव तो हमेशा ही रहता है। इस समयाभाव में थोड़ा सा समय निकाल कर अपना निरीक्षण-परीक्षण करना है। हम अपने आराम के समय में से कुछ पल चुरा कर विचार कर सकते हैं। रात को सोने के लिए बिस्तर में लेटते हुए विचारने का समय सबसे उत्तम होता है।
        यह महत्त्वपूर्ण प्रश्न है कि हमें विचार क्या करना है ? सबसे पहले यह देखना है कि हमने अपनी दिनचर्चा के अनुसार कार्य संपादन कर लिए हैं। उत्तर यदि हाँ है तो बहुत अच्छा। हमने आज का लक्ष्य प्राप्त कर लिया। इसके विपरीत यदि उत्तर न में मिले तो इसका अर्थ है कि हमने कहीं चूक कर दी है। यह समस्या गंभीरतापूर्वक विचारणीय है।
       दिनभर जो भी कार्य किये हैं उन पर एक नजर डालिए। स्वत: ही समझ में आ जाएगा कि हमने जो- जो कार्य आज दिन के लिए निर्धारित किए थे उनके पूरा न होने का कारण क्या था। हो सकता है वे कार्य हमारी असावधानी के कारण पूरे नहीं हो सके हों या यह भी हो सकता है कि किसी ऐसे आवश्यक कार्य में उलझ जाने के कारण वह कार्य नहीं कर पाए।
         इसके अतिरिक्त घर-परिवार या आस-पड़ोस में कोई अनहोनी घटना घट गई हो जिस पर हमारा जोर नहीं चलता। इनमें से कोई भी कारण हो विचार तो करना ही होगा। अब उचित यही है कि अपनी कमी को दूर करके अगले दिन संकल्पपूर्वक निर्धारित कार्य का लक्ष्य पूर्ण करने का यत्नपूर्वक प्रयास करेंगे तो अवश्य सफल होंगे और मन भी प्रसन्न होगा। उससे आत्मसंतोष भी होगा।
        इसी प्रकार दिनभर  के किए गए कार्योँ के चिन्तन के साथ ही यह भी विचार करना है कि आज के दिन हमने कितने गलत कार्य किए, किस का दिल दुखाया, किस के साथ अनावश्यक नोकझोंक की या अपने काम में ईमानदारी से चूके, कितनी बार झूठ-सच किया आदि।
        यदि हमें हमारे मन ने हरी झंडी दिखा दी तो समझिए आज का दिन सफल रहा। पर यदि किन्तु-परन्तु जैसे बहाने तलाशने पड़ें अपने-आपको संतुष्ट करने के लिए तो निश्चित ही कहीं गलती हुई है। फिर उन गललतयों की सूची बनाएँ। अगले दिन उन्हें न दोहराने का संकल्प करें। और फिर अगले दिन भी यही क्रम अपनाएँ। इस क्रम को अन्य आवश्यक हिस्सों की तरह  अपने जीवन में ढाल लें। इस प्रकार यदि जीवन में हम इन छोटे-छोटे लक्ष्यों को प्राप्त करते जाएँगे तो आत्मोत्थान करने व भौतिक सफलताओं को पाने से हमें कोई नहीं रोक सकता।
       एवंविध आत्मचिंतन करने वाला मनुष्य अपनी कमियों को दूर करके महान बनता है। अपने विवेक से आत्ममंथन करें और जो चाहे लक्ष्य पा सकते हैं।

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