सोमवार, 6 जुलाई 2015

एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति-1

एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति- 1

मित्रो एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति के विषय में कुछ आलेखों की एक सीरीज प्रस्तुत कर रही हूँ। मुझे आशा है कि इसे पढ़ने के पश्चात आप इस उपचार पद्धति का लाभ उठाएँगे।
        एक्यूप्रेशर नेच्युरोपैथी का ही एक रूप है। इसके विषय में जन सामान्य को  कोई विशेष जानकारी नहीं हैं इसलिए वे इसका लाभ नहीं उठा पाते। यह विधा कोई नयी नहीं है।
          हजारों वर्षों पूर्व आयुर्वेद का जन्म पंचम वेद के रूप में हुआ। हमारी महान ऋषि परंपरा रही है औषधि-विज्ञान के क्षेत्र में। इस कड़ी में महर्षि चरक, धन्वन्तरि, आत्रेय, भारद्वाज आदि का नाम प्रमुखता से ले सकते हैं।
         कुछ वर्ष पूर्व जब महात्मा बुद्ध को वेदनिन्दक कहकर तथाकथित विद्वानों ने तिरस्कृत किया, उस समय महात्मा बुद्ध के अनुयायी बहुत से बौद्ध भिक्षुक अपने धर्म का प्रचार करने के लिए अन्य देशों में चले गए। तब विश्व के कई देशों में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार हुआ। वे बौद्ध भिक्षुक अपने साथ एक्यूप्रेशर की इस विद्या को भी लेते गए। चीन, जापान सहित भारत के बाहर के कई देशों में इस चिकित्सा पद्धति का प्रचार और प्रसार हुआ। वे बौद्ध भिक्षुक अपने साथ एक्यूप्रेशर की इस विद्या को भी लेते गए। चीन, जापान सहित भारत के बाहर के कई देशों में इस चिकित्सा पद्धति का प्रचार और प्रसार हुआ।
         इस पद्धति का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसके प्रयोग से किसी भी प्रकार का साइड इफेक्ट नहीं होता। यहाँ मेरा उद्देश्य किसी भी चिकित्सा पद्धति की आलोचना करना नहीं है बल्कि एक्यूप्रेशर के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा करना है।
        ऋषियों का मानना है कि हमारे हाथों और पैरों के कुछ विशेष बिन्दुओं पर प्रेशर देकर की बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। कैंसर, मस्तिष्क के रोगों, टीबी, रीढ़ के सभी दोषों, हड्डियों, हृदयरोग, आँखों, दाँतों, डायलसिस, हर प्रकार की पथरी, एड्स, दमा, जन्मजात व हर प्रकार के असाध्य रोगों का उपचार भी इस एक्यूप्रेशर पद्धति से सफलतापूर्वक किया जा सकता है। अब सरकार ने इस उपचार पद्धति को अपनी मान्यता दे दी है।
        इस चिकित्सा पद्धति पर 'एक्यूप्रेशर शोध प्रशिक्षण एवं उपचार संस्थान', इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में श्री एम. पी. खेमका और श्री जे. पी. अग्रवाल जी की देखरेख में निरन्तर शोधकार्य हो रहा है।
          हमारे शरीर के सभी अंग हाथों व पैरों के कारसपाँडेंट पर आते हैं। फिर उन्हीं कारसपाँडेंट बिन्दुओं पर उन-उन विशेष अंगों के रोगों का उपचार कार्य किया जाता है। या यूँ कह सकते हैं कि एक बिन्दु पर उपचार देने से उससे संबंधित कई रोगों का उपचार होता है। निम्न चित्र से हम समझते हैं कि हमारे हाथों और पैरों में किस स्थान पर कौन-कौन से अंग आते हैं।

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