रविवार, 12 जुलाई 2015

एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति-7

एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति- 7

एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति सीरीज की पिछली छह कड़ियों में हमने विचार किया था कि हाथों और पैरों के कारसपाँडेंट पर शरीर के विभिन्न Organs, Tissues, Glands, हमारी ज्ञानेन्द्रियाँ और कर्मेन्द्रियाँ आती हैं। हमारे हाथों व पैरों पर दसों द्रव्य- आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी, मन, काल, दिशा, आत्मा और तम आते हैं। अपने हाथों पर शरीर के विभाजन के विषय में भी विचार किया।
         इस आयुर्वैदिक पद्धति में महर्षियों ने यही माना है कि वात (आकाश + वायु), पित (अग्नि + जल) और कफ (जल + पृथ्वी) युग्म में प्रदर्शित महाभूत आपसी सहयोग द्वारा  संतुलन स्थापित करके मानव के शरीर को बल देते हैं। असंतुलन होने के कारण रोग शरीर में आते हैं। इसलिए इनके असंतुलित हो जाने की स्थिति में इन्हें घटाकर या बढ़ाकर इनमें संतुलन स्थापित किया जाता है।
           अब मैं आपको बताना चाहती हूँ कि यदि शरीर के किसी भी अवयव में कोई रोग आता है तो हाथ के जिस स्थान पर उस अवयव विशेष का कारसपांडेट आता है वहाँ उसका उपचार किया जाता है। वैसे तो आप अपने घर के नजदीकी एक्यूप्रेशर चिकित्सक के पास जाकर उपचार करवा सकते हैं।
          'एक्यूप्रेशर शोध प्रशिक्षण एवं उपचार संस्थान', 49\24 मिन्टो रोड, इलाहाबाद जाकर किसी भी साध्य अथवा असाध्य रोग की चिकित्सा करवा सकते हैं।
        बेसिक उपचार हेतु रोग विशेष के ज्वाएंट पर आप मेथी रिंग बनाकर बांध सकते हैं। यह वही मेथी है जिसे हम कढ़ी, आचार या सब्जियों में डालते हैं। मेथी रिंग कैसे बनानी है उसका चित्र नीचे दे रही हूँ। इस मेथी को पट्टी पर चिपकाकर संबंधित जोड़ पर अंगूठी की तरह लपेट लें।
          कृपया इस पद्धति का लाभ उठाकर अनावश्यक परेशानियों से मुक्त होने का प्रयास करें। ईश्वर आप सभी मित्रों को स्वस्थ एवं प्रसन्न रखे।
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