गुरुवार, 13 अगस्त 2015

ईश्वर ने मनुष्य के लिए सब बनाया

इस ब्रह्माण्ड में जो कुछ भी उपलब्ध है वह सब कुछ हम जीवों के लिए बहुत उपयोगी है। किसी भी पदार्थ के विषय में हम यह नहीं कह सकते कि वह तो हमारे लिए अनुपयोगी है। सारी प्रकृति हमारी सेवा में जुटी रहती है। सूर्य, चन्द्रमा, वायु, अग्नि, ग्रह-नक्षत्र, पेड़-पौधे, नदियाँ-समुद्र आदि हमारे ही लिए उपयोगी हैं।
        दिन और रात यदि ईश्वर न बनाता तो मनुष्य पागल हो जाता। दिन भर कोल्हू के बैल की तरह परिश्रम करने के पश्चात उसे नींद की आवश्यकता होती है। यदि ईश्वर रात न बनाता तो मनुष्य अपनी नींद पूरी न कर पाता। इससे उसकी कार्यक्षमता पर प्रभाव पड़ता। वह अगले दिन उत्साहपूर्वक  अपने कार्य नहीं कर सकता।
          सूर्य को गरमी व प्रकाश देने का कार्य सौंपा। इसी के कारण दिन-रात, ऋतु चक्र और मौसम बदलते हैं। चन्द्रमा को रात्रि में प्रकाश और शीतलता देने के लिए बनाया। जल हमारी जीवनी शक्ति है। इसके बिना हम अपने दैनन्दिन कार्यों का संपादन नहीं कर सकते। वायु हमारा प्राण है। इसके बिना सृष्टि पल भर में ही समाप्त हो जाएगी। अग्नि हमारी ऊष्मा का कारण है।  हमारे शरीर को पुष्ट करने वाला हमारा भोजन इसी की बदौलत मिलता है। इस प्रकार ये पञ्च महाभूत हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। इनके बिना हम अपने जीवन कील कल्पना भी नहीं कर सकते।
         पेड़-पौधे हमारा पेट भरने के लिए हमें स्वादिष्ट फल देते हैं। हमें ताप से बचाने के लिए शीतल छाया देते हैं। हमारे घरों व दफ्तरों की सुरक्षा व सजावट के उपकरण देते हैं। हमें लिखने-पढ़ने के लिए साधन देते हैं। सुन्दर, सुगंधित व रंग-बिरंगे फूल मन को बरबस मोह लेते हैं। चित्र-विचित्र पशु-पक्षी हमारे लिए आकर्षण का कारण बनते हैं। पक्षियों का मधुर कलरव कर्णप्रिय लगता है।
          नदियाँ हमारे लिए जल की आपूर्ति करती हैं। उनके कलकल का सुरीला गीत कानों को भाता है। समुद्र सदा हमारे लिए रहस्य की तरह रहा है। इसकी गहराई की थाह पाने के लिए तैराक और गोताखोर बारबार यत्न करते रहते हैं। यह हमारे लिए सदियों से यातायात का प्रबन्ध करता है।
         किसी भी वनस्पति की ओर यदि हम अपनी दृष्टि डालें और उस के विषय में जानकारी एकत्र करने का प्रयास करें तो हम पाएँगे कि वह किसी-न-किसी रूप में हमारे लिए उपयोगी है। आयुर्वेद के अनुसार हर वनस्पति में औषधीय गुण विद्यमान हैं। यह बात और है कि हम सारी वनस्पतियों के विषय में न तो जानते हैं और न ही उनका उपयोग करते हैं। इसी कारण विश्व के हर देश के भोजन में हम विविधता पाते हैं। जबकि उन्हीं सब खाद्य पदार्थों और मसालों का उपयोग हर स्थान पर किया जाता है। उसी प्रकार स्वाद में भी हम वैविध्य ही पाते हैं।
         जिन पौधों को हम सब खर-पतवार समझकर तिरस्कृत करते हैं उन्हें पशु खाते हैं और अपनी भूख मिटाते हैं।
          मनुष्य पशुओं से अपनी खेती करता है, यातायात के साधन के रूप में उनका उपयोग करता है और अपना मनोरंजन भी करता है। अपने आराम के सारे कार्य उनसे बड़ी हेकड़ी से करवाता है।
          ईश्वर ने अपनी पूजा-अर्चना करने के लिए इंसान को बनाया है। इस सृष्टि के शेष सभी पदार्थ मनुष्य के सुख और आराम के लिए बनाई हैं। हमें हमेशा उस मालिक का धन्यवाद करना चाहिए जिसने हमारी हर सुख-सुविधा जुटाने के लिए सब यत्न किए हैं।
चन्द्र प्रभा सूद
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