शनिवार, 22 अगस्त 2015

जीवन साथी का चुनाव

हर युवा अपने जीवन साथी को लेकर एक सपना बुनता है। यह निश्चित है कि वह अपने जीवन साथी में कुछ विशेष गुणों को देखना चाहता है। प्रत्येक व्यक्ति का अपना दृष्टिकोण होता है। वह अपने साथी को अपने ही सोचे हुए उन मापदण्डों पर खरा उतरता हुआ देखना चाहता है।
        आज युवाओं में प्रेम के मायने बदल गए हैं। भौतिक युग की चकाचौंध ने उनकी आँखों पर पैसे की पट्टी बाँध दी है। पैसे के पीछे भागते हुए वे किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हो जाते हैं। आपसी विश्वास और वचनबद्धता टूटती हुई दिखाई देती है। सभी तो नहीं परन्तु शायद कुछ युवा मौज मस्ती को ही सब कुछ मानने लगे हैं। इसीलिए उनमें प्रायः वैमनस्य की स्थितियाँ बन जाती हैं।
          युवाओं को अपने भावी जीवन के प्रति सजग रहना चाहिए। उन्हें यथासम्भव ऐसा कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए जो भविष्य में उनके लिए मुसीबत बन जाए। उनका नया गृहस्थ जीवन सुखदायी होने के बजाय कष्टदायी बन जाए। फिर उस समय चिड़िया हाथ से निकल जाने के बाद पश्चाताप करने जैसी स्थिति बन जाती है। तब युवा से न उगलते बनता है और न ही निगलते।
          युवाओं को अपने जीवन साथी का चुनाव करते समय सबसे पहले उसके गुण, कर्म व स्वभाव को परखना चाहिए। उसके चरित्र अथवा चाल-चलन को महत्त्व देना चाहिए। जो व्यक्ति अपने घर-परिवार में मिलजुल कर नहीं रह सकता वह किसी के साथ भी सामञ्जस्य नहीं बिठा सकता। उसकी संगति कैसी है? वह किन लोगों के साथ उठता-बैठता है? यह जानना भी बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। यदि उसकी संगति अच्छे लोगों से नहीं होगी तब वह अपनी कमाई तो बरबाद करेगा ही, साथ ही माता-पिता की मेहनत से कमाई गई धन-संपत्ति को नष्ट करने में देर नहीं लगाएगा। घर के माहौल को देखते ही सयाने लोग बहुत कुछ समझ जाते हैं। इसलिए उनकी राय को महत्त्व देना चाहिए।
           फिल्मों व टीवी की चकाचौंध को देखकर आजकल कुछ नवयुवक फिल्मी हीरोइनों जैसी पत्नी चाहते हैं और नवयुवतियाँ फिल्मी हीरो जैसे पति चाहती हैं। वे इस बात को भूल जाते हैं कि फिल्म वाले सिर्फ़ अपने किरदार का फिल्मी तरीके से पर्दे पर अभिनय करते हैं। असल जीवन में वे भी आम लोगों की ही तरह अपने घर-परिवार के लिए समर्पित होते हैं।
           दो युवाओं को परस्पर संबंध जोड़ते समय यह बात अवश्य सोचनी चाहिए कि उस घर में पैसा यदि अपनी अपेक्षा से थोड़ा कम भी हो परन्तु परिवारी जन आपस में सामञ्जस्य पूर्वक रहते हैं, वे प्यार को ही अपनी पूँजी मानते हैं तो ऐसे घर में किया गया बच्चों का संबंध हमेशा सुखदायक होता है। ऐसे परिवारों में प्रायः तालमेल बिठाने में अधिक दिक्कतें नहीं आतीं।
         आज का युवावर्ग बहुत समझदार है वह अपना भला-बुरा अच्छी तरह जानता है। उसे बस जरा-सी सूझबूझ से सम्हालने की आवश्यकता है। यदि सकारात्मक राह  उसे दिखाई जाए तो वह निश्चित ही सही फैसले लेगा। अपने जीवन में वह कभी पीछे मुड़कर देखने की स्थिति में नहीं भटकेगा। स्वयं तो वह सही राह पर चलेगा ही और देश का एक जिम्मेदार नागरिक बनकर वह आने वाली पीढ़ी का भी सही मार्गदर्शक बनेगा।
चन्द्र प्रभा सूद
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