बुधवार, 24 जून 2015

स्वप्न

स्वप्न मनुष्य जीवन का एक अभिन्न हिस्सा हैं। अब तक रहस्य बना हुआ है कि ये स्वपन मनुष्य को क्यों आते हैं? हम यहाँ दिवा स्वप्न की चर्चा नहीं करेंगे।
          जब इंसान सोता है तो उसे स्वप्न आते हैं। उनसे कभी हमें प्रेरणा मिलती है और कभी चेतावनी। इन स्वप्नों के माध्यम से शुभ-अशुभ घटनाओं की जानकारी मिलती है। कभी-कभी हम सवेरे उठते हैं तो तरोताजा महसूस करते हैं और कभी परेशान होते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि कुछ स्वप्नों में हम जीवन का आनन्द लेते हैं, घूमते-फिरते हैं, उड़ते फिरते और तैरते हैं, जीवित या मृत, मित्रों-संबंधियों से मिलते हैं।
           कुछ विद्वान मानते हैं कि ये सपने हमारे आसपास के वातावरण से प्रभावित होते हैं और कुछ विद्वानों का मानना है कि सपनों में हम अपनी अतृप्त इच्छाओं को पूर्ण करते हैं। हम कह सकते हैं कि स्वप्न विकारयुक्त या निर्विकार होते हैं।
           सपनों का भी एक शास्त्र होता है। विश्व के सभी विद्वान इसे मानते हैं। इन सपनों का विश्लेषण करते हुए विद्वानों ने कुछ सिद्धांत बनाए हैं पर स्वप्न शास्त्र पर कोई प्रामाणिक ग्रन्थ नहीं है। यह इतना जटिल एवं विस्तृत है कि इस विषय पर किसी ग्रन्थ को लिख पाना संभव नहीं। इतने प्रकार के स्वप्न सभी लोगों को आते हैं कि उन्हें पुस्तकाकार रूप आज तक नहीं दिया जा सका।
           विद्वानों का मानना है कि यदि एक ही रात में शुभ और अशुभ आएँ तो जो घटना या प्रसंग स्वप्न के अंत में दिखाई दे तो उसके अनुसार फल मिलता है। वैसे कहा जाता है कि प्रातः काल यदि शुभ स्वप्न दिखाई दे तो उसके बाद सोना नहीं चाहिए। इसके विपरीत यदि अशुभ स्वप्न दिखाई तो पुनः सो जाना चाहिए। सपने सच्चे होते या झूठे यह हमेशा विवाद का विषय रहा है।
         हम कुछ ऐसे सपने भी देखते हैं जो बेसिर पैर के होते हैं। उनका ओरछोर समझ में नहीं आता। कुछ विद्वानों का मानना है कि यह सब अंधविश्वास के कारण उत्पन्न होते हैं और अप्रामाणिक होते हैं।
           भारतीय मनीषियों ने तीन अवस्थाएँ मानी हैं- जाग्रत, स्वप्न और सुषुप्ति। जाग्रत और स्वप्न अवस्थाओं में स्वप्न दिखाई देते हैं परन्तु सुषुप्ति अवस्था में स्वप्न नहीं आते। उस समय जीव गहरी नींद का आनन्द लेता है।
         तात्पर्य यह है कि स्वप्न इन स्थूल आँखों से नहीं देखे जाते बल्कि यह सूक्ष्म विषय है। भारतीय मनीषियों ने अपनी दिव्य दृष्टि से इनका विश्लेषण किया है। पुराणों में भी शुभ और अशुभ स्वप्नों की चर्चा मिलती है।
         यह भी माना जाता है कि जन्म जन्मान्तरों के संस्कार जीव को स्वप्न में दिखाई देते हैं। कभी-कभी टेलीपेथी के माध्यम से भी मन का जुड़ाव होने से स्वप्न में विचारों का आदान-प्रदान हो जाता है। यदि स्वप्नों के डर से मनुष्य नींद न ले तो वह पागल हो जाएगा।
          यदि एक स्वप्न बार-बार आए तो वह किसी घटना विशेष का सूचक होता है।
कुछ सपने हमारे गम्भीर रहस्यों को भी सुलझाते हैं जिन्हें हम जागते हुए सुलझाने में असमर्थ होते हैं।
         वास्तव में ये स्वप्न एक ऐसी पहेली हैं जिसे विद्वान अपनी-अपनी योग्यता से सुलझाने का प्रयास करते रहते हैं। मनुष्य में भी अपने स्वप्नों का अर्थ जानने की उत्सुकता बनी रहती है। यह शास्त्र हमेशा से ही अनुसंधान का विषय रहा है और भविष्य में भी इस पर चर्चा होती ही रहेगी ऐसा विश्वास है। इनके पीछे भागते हुए परेशान होने की आवश्यकता नहीं है।

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