सोमवार, 8 जून 2015

मत छेड़ो मेरे मौन को

मत छेड़ो मेरे मौन को
उसे एकान्त में विचरने दो
मौन मुखरित हो गया तो
दुनिया में तूफान उठ जाएगा

मत कुरेदो इस मौन को
रहने दो खामोशी से पार
जान लो कि तुम कदाचित
सह सकोगे न इसकी आँच को

देखते रह जाओगे तब
विचारों के उठते बुलबुले
एक टीस है वहाँ पर जो
चुभन दे जाएगी दिल पर तेरे

समझ सकते हो क्या
मेरे मौन की भाषा को तुम
तो पढ़ लो इसमें अनकहे
मेरे जज़्बातों की पूरी किताब।

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